कानपुर-बुंदेलखंड फतह करने के लिए अमित शाह ने डाला डेरा
52 सीटों पर जीत का दिया मंत्र, मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में ध्रुवीकरण की बनाई रणनीति….
गृहमंत्री अमित शाह तीसरे चरण के चुनाव में कानपुर बुंदेलखंड की कमान संभालने के लिए खुद कानपुर में डेरा डाले हुए हैं। उन्होंने कानपुर में ही रात्रि विश्राम किया। बुंदेलखंड के दौरे से लौटने के बाद गृहमंत्री ने एक निजी होटल में पार्टी के दिग्गज नेताओं को बुला लिया। शाम से शुरू हुई बैठक देर रात तक जारी रही। फिलहाल कानपुर बुंदेलखंड की 52 सीटों में से 47 सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती किसी भी सूरत में इस किले को दरकने से बचाने की है। ऐसे में भाजपा के चाणक्य ने संगठन मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश चुनाव प्रभारी, सह प्रभारी और क्षेत्रीय अध्यक्ष के साथ एक-एक सीट पर सभी बिंदुओं पर रणनीति तैयार की। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इन 52 सीटों से सबसे ज्यादा उम्मीदें है।
भाजपा के दिग्गज नेता भी पहुंचे
अमित शाह के पुलिस लाइन हेलीपैड से होटल पहुंचते ही सबसे पहले कमरे में सुनील बंसल पहुंचे। उनसे लगभग 20 मिनट बात करने के बाद स्वतंत्रदेव और धर्मेंद्र प्रधान पहुंचे। इनके बीच आधे घंटे की वार्ता के बाद केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी और मानमेंद्र सिंह को बुलाया गया। फिर देर तक चली मंथन बैठक में कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र की सभी 52 सीटों पर बारीकी के साथ रणनीति तैयार की गई।
डैमेज कंट्रोल के लिए लगाए गए स्वतंत्र देव
बैठक में उन सभी कमजोर सीटों पर चर्चा की गई जहां पर प्रत्याशी लड़ाई में फंसे हुए हैं। खासतौर से उन सीटों पर जहां पर वर्तमान विधायक को हटाया गया है। टिकट नहीं मिलने से नाराज ऐसे भी कई लोग जिनको आश्वासन दिया गया था, लेकिन टिकट नहीं दी गई। ऐसे सीटों पर नाराज दावेदारों को मनाने का जिम्मा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के साथ कानपुर बुंदेलखंड के क्षेत्रीय अध्यक्ष मानमेंद्र सिंह को दिया गया है। नाराज अतुल टावर नेताओं को सताने पर उचित सम्मान देने का आश्वासन दिया जाएगा।
मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में हिंदुओं के ध्रुवीकरण की बनाई गई रणनीति
कानपुर की 3 विधानसभा सीटों पर खास तौर पर चर्चा की गई। जिनमें छावनी आर्यनगर और सीसामऊ शामिल है। यह तीनों ही विधानसभा भाजपा के पास नहीं है। पिछले चुनाव में इन तीनों विधानसभाओं में मुस्लिम वोटों के पोलराइजेशन ने भाजपा को पराजित किया था। इस बार इन सीटों को पाने के लिए खास तौर पर गृहमंत्री अमित शाह खुद रोड शो और रैली करने मैदान में उतरे हैं। शाह का चुनाव प्रचार कार्यक्रम मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से सटे हिंदू इलाकों में लगाया गया हैं। मंगलवार को अमित शाह को छावनी में भी चुनाव प्रचार के लिये जाना था। लेकिन व्यस्तता के चलते फिलहाल वह सभा निरस्त कर दी गई है।