स्टिंग के बाद अस्पताल का लाइसेंस रद्द … मजदूरों को बंधक बनाने, कैंसर जैसे इलाज नर्सिंग कर्मचारियों से करवाने जैसे कई घपले स्टिंग में सामने आए थे
लखनऊ का सबसे बड़ा मेडिकल घपला …… के स्टिंग ऑपरेशन के बाद सामने आया। इसके बाद एमसी सक्सेना ग्रुप ऑफ कॉलेज के आरआर सिन्हा अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। जिस अस्पताल परिसर में स्वास्थ्य और श्रम विभाग की टीम भी दाखिल नहीं हो पा रही थी। दैनिक भास्कर की टीम मेडिकल माफिया के गढ़ में घुस गई थी।
पुलिस की छापेमारी के बाद भी अंदर चल रहे घपले से पर्दा उठते देख वहां के कर्मचारियों ने मरीजों को खेतों के रास्ते भगा दिया था। खुद कर्मचारी भी परिसर छोड़ भागने लगे थे। इस पड़ताल के प्रकाशित होने के बाद शासन हरकत में आया। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कॉलेज का लाइसेंस रद्द कर दिया है।
लाइसेंस के बाद अब अस्पताल सील करने की तैयारी
लखनऊ के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि एमसी सक्सेना ग्रुप के अस्पताल की गतिविधियां चिकित्सा सेवा नियमों के बिल्कुल विपरीत थीं। इनकी रिपोर्ट डीएम को भेज दी गई है। ताकि जिला प्रशासन अस्पताल को सील करने की कार्रवाई कर सके। वहीं, डिप्टी सीएमओ डॉ. केडी मिश्रा के मुताबिक आरआर सिन्हा अस्पताल के संचालन के लिए सिर्फ 6 महीने का लाइसेंस दिया गया था।
हाल ही में इसका लाइसेंस रिन्यू किया गया था। पहले अस्पताल में किराए के मजदूरों को मरीज बनाने और फिर पुलिस की कार्रवाई के बावजूद वहीं पर ब्रेन ट्यूमर, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के 50 से ज्यादा मरीजों को बंधक बनाए जाने का खुलासा हुआ। इसके बाद अस्पताल को दो बार नोटिस देकर जवाब मांगा गया। लेकिन अभी तक नोटिस का जवाब नही मिला है।
पुलिस की कार्रवाई के बाद भी अस्पताल में कैद थे मरीज
इस अस्पताल में पहले 8 फरवरी की रात पुलिस ने छापेमारी की। करीब 200 मजदूर बंधक मिले थे। मान्यता का मानक पूरा करने के लिए इन मजदूरों को बंधक बनाकर उनका जबरिया इलाज किया जा रहा था। पुलिस ने कुछ मजदूरों को रेस्क्यू करके मामला रफा दफा कर दिया। दूसरे दिन यहां स्वास्थ्य विभाग और श्रम विभाग की टीम पहुंची, तो कॉलेज के कर्मचारियों ने उन्हें गेट के अंदर नहीं घुसने दिया था।
10 फरवरी को …… के तीन रिपोर्टर कंटीले तारों की बाउंड्री फांदकर मेडिकल माफिया के गढ़ में पड़ताल करने अंदर घुसे। टीम ने देखा कि पुलिस की कार्रवाई के बाद भी 50 से ज्यादा मरीजों को यहां कैद करके रखा गया था। इतना ही नहीं, अस्पताल और मरीजों से जुड़े वह तमाम दस्तावेज नष्ट करने के लिए ले जाए जा रहे थे। जो इस कार्रवाई के बाद एमसी सक्सेना ग्रुप के खिलाफ मजबूत साक्ष्य बन सकते थे। दैनिक भास्कर की टीम ने अस्पताल से परिसर तक कोना-कोना छाना और अंदर चल रही गड़बड़ियों का भंडाफोड़ किया।
……… ने खोले मेडिकल माफिया के कई राज
एमसी सक्सेना के KGMU की नौकरी से इतने बड़े साम्राज्य को खड़ा करने तक के सभी पहलू की पड़ताल भास्कर ने ही प्रकाशित की। एमसी सक्सेना के MBBS पर्चा लीक कराने से लेकर व्यापमं घोटाले में शामिल होने तक का काला चिट्ठा खोला। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद एमसी सक्सेना ग्रुप पर कार्रवाई नहीं होने और उसे मिल रहे राजनीतिक व प्रशासनिक संरक्षण को उजागर किया।