वोटिंग मशीन में नोटा विकल्प दिलाने वाले शख्स की कहानी …
एटा में बातचीत के दौरान कहा- लंबे संघर्ष के बाद हासिल हुआ था नोटा का विकल्प, जनता को पूर्ण मताधिकार दिलाने का था प्रयास…..
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र वाला देश है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि इस लोकतंत्र में भी 2013 तक भारतीय मतदाताओं की मजबूरी होती थी कि वोटिंग मशीन में जितने उम्मीदवारों के बटन होते थे। उनमें से किसी एक को चुनना उनकी मजबूरी होती थी। चाहे उनको कोई भी उम्मीदवार पसंद न हो।
इस बात को लेकर भारत में सबसे पहले भोपाल के रहने वाले शख्स धनंजय सिंह चौहान ने आवाज उठाई और अपने तरीके से वोटिंग मशीन में नोटा बटन देने की मांग की, जिससे यदि कोई मतदाता वोटिंग मशीन में दिए किसी भी उम्मीदवार को पसंद नहीं करता है तो उसे नोटा ( None of the above) का बटन दबाने का विकल्प दिया जाए।
जनता को पूर्ण मताधिकार दिलाने का था प्रयास
दैनिक भास्कर से बात करते हुए धनंजय सिंह चौहान ने बताया कि इसी मुहिम को आगे और प्रचारित करके आगे बढ़ाने के लिए 2008 में मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भोपाल दक्षिण पश्चिम विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और इस अहम मुद्दे पर देश भर का ध्यान आकृष्ट किया। जब धनंजय सिंह से पूछा गया कि आखिर क्या है नोटा की कहानी तो उन्होंने इसे विस्तार से समझाया। वे कहते हैं कि मेरी एक सूत्रीय मांग थी कि मुझे जनता को पूर्ण मताधिकार दिलाना है। इस पूर्ण मताधिकार से मेरा आशय ये था कि उस समय तक मतदान मशीन में जिन प्रत्याशियों के बटन दिए हुए होते थे। उनमें से किसी एक बटन को दबाकर हमें अपना मत व्यक्त करना पड़ता था। जबकि कई मतदाताओं को या किसी किसी क्षेत्र में मतदाताओं को जितने उम्मीदवार मैदान में होते थे। उनमें से कोई पसंद नहीं होते थे। इस प्रकार की राय प्रकट करने का कोई प्रावधान नहीं था कि जितने उम्मीदवार हैं, उनमें से कोई पसंद नहीं है। हम सबको खारिज करना चाहते हैं।
2013 में मिला नोटा
धनंजय सिंह ने कहा कि इसके लिए मेरी ये मांग थी कि मतदान मशीन में एक ऐसा भी बटन हो जिसको दबा के आदमी ये बता सके कि हमें इनमें से कोई प्रत्याशी पसंद नहीं है। हम सभी प्रत्याशियों को खारिज करना चाहते हैं। तभी हमारा ये मताधिकार पूर्ण होगा और इसी मुहिम के चलते 2013 में जनता को नोटा का बटन मिला। उसके आधार पर अब लोग बाग ये राय व्यक्त कर रहे हैं। हर क्षेत्र के लोग अब काफी बड़ी संख्या में इस बटन का प्रयोग करते हैं। आज नोटा भारतीय लोकतंत्र की ताकत बन चुका है और बड़ी संख्या में लोग इसका प्रयोग कर रहे हैं।