हॉट सीट जसवंत नगर पर शिवपाल यादव रचेंगे इतिहास या BJP लगाएगी सपा के गढ़ में सेंध?

37 साल से जसवंत नगर विधानसभा सीट मुलायम सिंह यादव और उनके कुनबे के कब्ज़े में रही है. 1996 से लगातार 26 साल से मुलायम के भाई शिवपाल (Shivpal Yadav) यहां से विधायक चुने गए.

वक़्त कोई भी रहा हो, दौर कोई भी रहा हो, साल कोई भी रहा हो, जसवंत नगर ने हमेशा मुलायम सिंह (Mulayam Singh Yadav) और उनके कुनबे को ही अपना सियासी रहनुमा चुना है. सिर्फ़ एक बार 1980 में कांग्रेस ने जसवंत नगर विधानसभा सीट पर जीत का परचम लहराया था. उसके बाद से अब तक इटावा (Etawa) ज़िले की जसवंत नगर हॉट सीट को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की साइकिल से कोई नहीं उतार सका है. 37 साल से इटावा की जसवंत नगर विधानसभा सीट मुलायम सिंह यादव और उनके कुनबे के कब्ज़े में रही है. 1996 से लगातार 26 साल से मुलायम के भाई और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल (Shivpal Yadav) यहां से विधायक चुने गए. एक बार फिर वो जसवंत नगर के चुनावी दंगल में हैं.

इसी विधानसभा में सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी भी है, जहां आसपास के जिलों के लोग इलाज कराने पहुंचते हैं. सपा की सरकार में यहां भव्य तरीके से सैफई महोत्सव होता था. इसके अलावा जसवंत नगर की रामलीला को यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया है. इस बार यूपी समेत देश की नज़र जसवंत नगर हॉट सीट पर है.

2017 में चाचा-भतीजे का तनातनी के चलते पार्टी को उठाना पड़ा नुकसान

जसवंत नगर विधानसभा सीट हमेशा से समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है. इस हाई प्रोफाइल सीट पर 2022 का चुनाव ख़ासा दिलचस्प होगा. क्योंकि, 2017 में भतीजे अखिलेश और चाचा शिवपाल के बीच राजनीतिक वर्चस्व को लेकर जो अंदरूनी संघर्ष हुआ था, उसकी वजह से समाजवादी पार्टी को इटावा ज़िले में राजनीतिक नुक़सान उठाना पड़ा था. 2017 में इटावा की तीन विधानसभा सीट में से सदर सीट पर भाजपा की सरिता भदौरिया विधायक चुनी गई थीं. वहीं, भरथना सीट से बीजेपी की सावित्री कठेरिया ने जीत दर्ज की थी. हालांकि, शिवपाल यादव के राजनीतिक वर्चस्व को पिछली बार के मझधार में भी कोई टक्कर नहीं दे पाया था. आगरा-कानपुर हाईवे के पास बसे जसवंत नगर का पारंपरिक राजनीतिक इतिहास समाजवादी पार्टी के साथ है.

जसवंत नगर का सियासी इतिहास

1967 में मुलायम सिंह यादव चुने गए 1969 में कांग्रेस के बिशम्भर यादव जीते 1974 में BKD के टिकट पर मुलायम सिंह जीते 1977 में BlD के टिकट पर फिर मुलायम सिंह विजयी हुए 1980 में कांग्रेस के बलराम सिंह यादव ने जीत दर्ज की 1985 से 1993 तक मुलायम सिंह यादव लगातार जीत दर्ज करते रहे 1996 से 2017 तक SP के टिकट पर शिवपाल यादव जीते

BJP के लिए यादव वोट बैंक का मुक़ाबला करना मुश्किल

1967 से अब तक यानी 55 साल से सिर्फ़ दो बार जसवंत नगर सीट पर मुलायम सिंह और उनके परिवार के अलावा कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. 2017 के चुनाव में BJP पहली बार दूसरे नंबर पर रही, इसके अलावा वो हर बार तीसरे या चौथे नंबर पर थी. यानी BJP के लिए समाजवादी पार्टी के सामने संघर्ष की राह आसान नहीं होगी. बीजेपी ने सपा के गढ़ और शिवपाल यादव के सामने विवेक शाक्य को मैदान में उतारा है. विवेक जिस बिरादरी से आते हैं, उसका वोट बैंक इतना नहीं है कि यादव वोट बैंक का मुक़ाबला कर सके.

जसवंत नगर का वोट गणित
यादव मतदाता 1.40 लाख
अनुसूचित जाति के वोट 77  हज़ार
शाक्य और कुशवाहा वोट 45  हज़ार
ब्राह्मण वोट 18 हज़ार
चाचा-भतीजा दोनों सपा के गढ़ को और मज़बूत बनाने की कोशिश में

शिवपाल यादव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष हैं. चुनाव से कुछ समय पहले उन्होंने अपनी पार्टी का रथ लेकर दौरे किए, लेकिन चुनाव से ठीक पहले भतीजे अखिलेश से हाथ मिला लिया. चाचा-भतीजा दोनों अब ना केवल सपा के गढ़ को और मज़बूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि इटावा की बाक़ी सीटें भी दोबारा जीतने की ज़ोर आज़माइश कर रहे हैं. क़रीब सवा लाख से ज़्यादा यादव वोटर्स की संख्या बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है. क्योंकि, यादव मतदाता समाजवादी पार्टी का पारंपरिक वोट बैंक रहे हैं. ऐसे में बीजेपी को शाक्य, ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के वोट बैंक को पूरी तरह अपनी ओर करना होगा. क्योंकि, जसवंत नगर हॉट सीट का चुनावी इतिहास सपा के पक्ष में है, जिसे बदल पाना बीजेपी के लिए नामुमकिन ना भी हो, तो बहुत मुश्क़िल ज़रूर है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *