ब्रज में 250 टन उड़ते हैं गुलाल … मथुरा में होली के लिए तैयार हो रहा गुलाल, 40 दिन तक मनाई जाती है होली

ब्रज में होली की मस्ती बसंत पंचमी से शुरू हो चुकी है। यहां मंदिरों में बसंत पंचमी से भगवान को गुलाल लगाने की परम्परा है। मथुरा में होली को लेकर जहां प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है वही गुलाल बनाने वाले कारीगर दिन रात एक कर गुलाल बना रहे हैं।कहीं अबीर-गुलाल तैयार हो रहा है तो कहीं होली के रंगारंग कार्यक्रमों की तैयारियों में कलाकार जुट गए हैं। मौसम भी अब गुलाल बनाने के अनुकूल हो गया है। धूप निकलने की वजह से गुलाल बनाने के काम ने तेजी पकड़ी है।

गुलाल बनाने का काम हुआ तेज

ब्रज में बसंत पंचमी से होली का डांढा गड़ चुका है। मंदिरों में बसंत पंचमी से 40 दिवसीय होली की शुरुआत हो गयी है। होली पर होने वाले कारोबार से जुड़े लोग पूरी तरह से तैयारियों में जुट गए हैं। मौसम भी सुहाना हो गया है। धूप भी अच्छी खिल रही है। ऐसे में दिल्ली आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित कुछ फैक्ट्रियों के साथ-साथ ग्रामीण अंचलों में गुलाल बनाने वाले कारीगरों ने काम शुरु कर दिया है।

दो साल के बाद कारोबार चलने की उम्मीद

दो साल से कोरोना के कारण रंग ,गुलाल के कारोबार पर खासा असर पड़ा। लेकिन इस वर्ष गुलाल का कारोबार करने वालों को उम्मीद है कि माल ज्यादा बिकेगा।कोरोना काल में दो वर्ष से होली का त्यौहार फीका जाने के कारण मायूस कारोबारियों और कलाकारों को इस बार होली को लेकर खासी उम्मीदें हैं।कोरोना की तीसरी लहर के समाप्ति की ओर जाने के बाद इस बार ब्रज भूमि में होली का पर्व पूरे उल्लास से मनाये जाने की उम्मीद है।

ब्रज में होली पर होती है करीब 250 टन गुलाल की खपत

बृज में होली 40 दिन तक चलती है। मंदिरों में बसंत पंचमी से भगवान को गुलाल लगाना शुरू हो जाता है इसके साथ ही दर्शन करने आने वाले भक्तों पर भी गुलाल डाला जाता है। एक अनुमान के मुताबिक होली के दौरान बृज में करीब 250 टन गुलाल की बिक्री होती है। दो वर्ष से कोरोना के चलते होली का त्योहार न तो पूरी उमंग के साथ मनाया जा रहा था और न ही सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे थे। इसके चलते गुलाल की डिमांड घटकर गयी थी। लेकिन इस बार कारोबारियों को उम्मीद है कि यहाँ पूर्व की भांति गुलाल की बिक्री होगी।

गुलाल की कीमत में हुई बढ़ोतरी

गुलाल बनाने वाले शैलेन्द्र ने बताया कि कोरोना काल की वजह से दो वर्ष से होली पर भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। गुलाल की डिमांड घट गई थी। लेकिन इस बार उम्मीद है। शैलेन्द्र ने बताया कि उनके यहां सात रंग का गुलाल तैयार हो रहा है। करीब 12 कारीगर गुलाल तैयार करने में लगे हैं।अरारोट की कीमत में आठ रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोत्तरी होने की वजह से इस बार गुलाल 60 से 65 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है, जबकि गतवर्ष 55 रुपये प्रति किलो के हिसाब से गुलाल की बिक्री होती थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *