जाम और जुर्माने का नोएडा एक्सप्रेस-वे:6 डेडलाइन, 70 लाख जुर्माने के बाद भी डेढ़ साल में पूरा नहीं हो सका काम, अब एक करोड़ जुर्माना लगाने की तैयारी

दिल्ली को ग्रेटर नोएडा से सीधे जोड़ने वाले नोएडा एक्सप्रेस-वे जाम और जुर्माने का एक्सप्रेस-वे बन चुका है। यहां रोजाना वाहन चालकों को 3 से 4 किमी का जाम झेलना पड़ रहा है। इसकी बड़ी वजह एक्सप्रेस-वे की री-सर्फेसिंग का होना है। ये काम सितंबर-अक्टूबर 2020 में शुरू हुआ था। 6 महीने में पूरा होना था।

हालांकि 6 डेडलाइन बीत जाने के बाद भी काम अधूरा है। कंपनी को 30 अप्रैल 2022 तक का अल्टीमेटम दिया गया है। काम पूरा नहीं होने की स्थिति में प्राधिकरण इस पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने जा रहा है। कंपनी पर अब तक 70 लाख का जुर्माना लगाया जा चुका है।

नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की रिसर्फेसिंग करते हुए।
नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की रिसर्फेसिंग करते हुए।

एक साल से एक्सप्रेस की रफ्तार 100 से घट रह गई 20 किमी प्रतिघंटा

नोएडा को ग्रेटर नोएडा से जोड़ने वाला एक्सप्रेस-वे 23.4 किलाेमीटर लंबा है। इसका 20 किमी का हिस्सा नोएडा में है, बाकी ग्रेटर नोएडा में। इसकी रिसर्फेसिंग की जा रही है। रोजना एक्सप्रेस-वे पर सेक्टर-96 से सफीपुर जगह-जगह जाम लगता है। 100 किमी की स्पीड वाले एक्सप्रेस-वे पर 20 किमी प्रतिघंटा या इससे भी कम रफ्तार में वाहन रेंग-रेंग कर चलते हैं। ये झेलते हुए नोएडा दिल्ली ग्रेटर नोएडा वासियों को करीब एक साल से ज्यादा हो गए।

एक्सप्रेस-वे पर लगा जाम।
एक्सप्रेस-वे पर लगा जाम।

कई अधिकारी बदले, लेकिन नहीं हो सका पूरा

रिसर्फेसिंग का कार्य तय समय पर पूरा कराने की जिम्मेदारी प्राधिकरण के कई अधिकारी को दी गई, लेकिन कार्य पूरा नहीं हो सका। ऐसे में प्राधिकरण सीईओ रितु माहेश्वरी ने कंपनी सीएस इंफ्रा कंस्ट्रक्शन कंपनी को आखरी मौका देते हुए 30 अप्रैल का समय दिया है। एक मई को एक करोड़ रुपए जुर्माना लगाने का आदेश जारी कर दिया गया है।

हॉट इन मिक्सिंग तकनीक का किया जा रहा प्रयोग

रिसर्फेसिंग के लिए सड़क सरफेस को 50 एमएम मोटाई में उखाड़ कर मटेरियल को प्लांट में ले जाया जाता है। आवश्यकता अनुसार नया मटेरियल मिलाकर दोबारा लेयरिंग का काम किया जाता है। बिछाई गई लेयर पर 60 एमएम मोटाई में एसएमए का कार्य किया जाता है। 40 एमएम की एक लेयर सड़क पर फाइनल टच के लिए बिछाई जाती है। इस तकनीक से कार्य करने में लागत में बचत आती है और सड़क की मजबूती कई गुना बढ़ जाती है। इस तरह से तैयार एक्सप्रेस-वे पर 7 साल तक किसी प्रकार की मरम्मत करने की आवश्यकता नहीं होगी।

आगरा एक्सप्रेस-वे को करता है लिंक

ये एक्सप्रेस-वे दिल्ली से नोएडा होते हुए ग्रेटर नोएडा जाता है। इसी एक्सप्रेस से आगरा एक्सप्रेस-वे लिंक होता है। रोजाना इस एक्सप्रेस पर से करीब 5 लाख वाहन गुजरते है। रिसर्फेसिंग होने से इन वाहन चालकों को जाम झेलना पड़ रहा है।

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