भोपाल के कम्प्यूटर डीलर से सायबर फ्रॉड … 18 मिनट में 35 लाख का फ्रॉड; पहले सिम ब्लॉक करवाई फिर इंदौर में री-इश्यू कराकर नेटबैंकिंग से निकाले रुपए

शातिर जालसाज ने भोपाल के कंप्यूटर डीलर के नेटबैंकिंग खाते से करीब 18 मिनट में 35 लाख रुपए निकाल लिए। पश्चिम बंगाल के बैंक खातों में ट्रांसफर हुई रकम भी एटीएम के जरिए निकाल ली गई है। इस सायबर फ्रॉड से पहले जालसाज ने डीलर के बीएसएनएल नंबर को फर्जी दस्तावेजों के जरिए ब्लॉक करवाया और नया सिम कार्ड इश्यू भी करवा लिया।

ये गड़बड़ी इंदौर बीएसएनएल से हुई, फिर जालसाज ने डीलर की ट्रांजेक्शन लिमिट एक लाख से बढ़ाकर 35 लाख की और कस्टमर केयर पर कॉल कर कस्टमर आईडी नंबर भी ले लिया। सिम ब्लॉक होने के कारण डीलर को पांचों ट्रांजेक्शन का एसएमएस नहीं मिला, लेकिन बैंक ने उन्हें ई-मेल और वॉयस ओवर कॉल भी नहीं किया। अब राज्य सायबर पुलिस जांच कर रही है।

भोपाल के कम्प्यूटर डीलर के साथ धोखे का खेल… बीएसएनएल में जमा की फर्जी केवाईसी

विराशा हाइट्स में रहने वाले शिव वाधवा (50) के साथ धोखे के इस खेल की शुरुआत 25 फरवरी को हुई थी। अचानक उन्हें अपने फोन में बीएसएनएल के सिम कार्ड की नो-सर्विस शो होने लगी। फोन में दूसरा सिमकार्ड चालू था, इसलिए उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया। 28 फरवरी को उन्होंने बीएसएनएल के अपने एक परिचित अधिकारी को कॉल किया।

पता चला कि शिव के सिमकार्ड को री-इशू करने के लिए इंदौर ऑफिस में आवेदन दिया है। आवेदन के साथ लगे केवाईसी में फोटो शिव की ही थी, जिसे दो साल पहले उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल में अपलोड किया था। इन्हीं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बीएसएनएल से शिव के मोबाइल नंबर का सिम कार्ड जालसाज को री-इशू कर दिया गया।

5 बार में साफ कर दिया बैंक खाता

शिव ने बताया कि बैंक स्टेटमेंट लेने पर पता चला कि जालसाज ने 27 फरवरी को 5 बार में 35 लाख रुपए निकाल लिए। ये रकम एचडीएफसी और आईसीआईसीआई के बैंक खातों में ट्रांसफर हुई है। 18 मिनट के भीतर एचडीएफसी में 15 लाख रुपए और आईसीआईसीआई में 20 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए। इसके कुछ देर बाद ही एटीएम कार्ड की मदद से ये पूरी रकम निकाल भी ली गई है। बैंक से पता चला कि जालसाज ने शिव के खाते की ट्रांजेक्शन लिमिट एक से बढ़ाकर 35 लाख की थी।

नेटबैंकिंग से जुड़े नंबर निशाने पर

राज्य सायबर पुलिस के पास इससे पहले भी ऐसे मामले पहुंचे हैं। जालसाज के निशाने पर वही नंबर रहते हैं, जो नेटबैंकिंग से जुड़े हों। इसके बाद वह नंबर गुमने की झूठी शिकायत किसी भी थाने में दर्ज करवाते हैं और इसकी पावती (रिसिप्ट) के जरिए संबंधित टेलीकॉम कंपनी से सिम री-इशू करवा लेते हैं। सिम शुक्रवार को ब्लॉक करवाया जाता है। अगले दो दिन शनिवार और रविवार होने के चलते बैंक और टेलीकॉम कंपनी के दफ्तर बंद रहते हैं।

इन स्तर पर लापरवाही

पुलिस की गलती

  • बगैर सही पहचान के पुलिस थाने में सिम गुमने की शिकायत दर्ज कर ली गई।

बीएएनएल की गलती

  • टेलीकॉम कंपनी ने बगैर किसी सत्यापन के सिम री-इश्यू कर दी।

बैंक की गलती

  • बैंक ने इतने बड़े ट्रांजेक्शन होने के बाद भी कस्टमर को जानकारी नहीं दी, जबकि ईमेल बंद नहीं था।
  • बैंक में फर्जी दस्तावेजों की मदद से खाते खोले गए, जिनमें रकम ट्रांसफर हो गई।

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