ग्वालियर. कैंसर पहाड़ी…जानलेवा घाटी पर जिम्मेदारों की लापरवाही ने 8 माह के गर्भस्थ शिशु और उसकी मां की जान ले ली। मांढरे की माता तिराहे से शिवपुरी लिंक रोड के बीच करीब 4 किलोमीटर लंबी घाटी में 9 अंधे मोड़ हैं। सुरक्षा के लिए न यहां रेलिंग है न स्पीड ब्रेकर और संकेतक भी पूरी सड़क पर सिर्फ 1 है। वह भी पेड़ में छिप जाता है। इसके बाद भी यहां से फर्राटा भरती गाड़ियों को रोकने वालों की आंखें बंद हैं। यहां बीते रोज हुए खतरनाक हादसे के बाद भी जिम्मेदार नहीं चेते, यही वजह रही- यहां बुधवार को भी स्कूली वाहन दौड़ते रहे, जिनमें मासूम बच्चे सवार थे। यहां तक कि यहां चेकिंग पाइंट तक नहीं लगाए गए। नईदुनिया टीम ने यहां पहुंचकर इस जानलेवा घाटी पर हादसे के पाइंट देखे, यहां एक नहीं बल्कि 6 पाइंट ऐसे हैं, जो एक तरह से दुर्घटना संभावित क्षेत्र हैं, लेकिन हादसे रोकने के इंतजाम न के बराबर हैं। पढ़िए रिपोर्ट…

लाइव:

– दोपहर 1.30 बजे  … टीम यहां पहुंची। नईदुनिया टीम मांढरे की माता तिराहे से कैंसर पहाड़ी होते हुए शिवपुरी लिंक रोड तक पहुंची। यह पूरी घाटी 4 किलोमीटर लंबी है। जिसमें 9 अंधे मोड़ मिले। नईदुनिया टीम ने जब यहां पड़ताल की तो सामने आया, इन खतरनाक मोड़ों पर सिर्फ भारतीय योग संस्थान के आसपास ही लोहे की जाली लगी है। पूरे रास्ते पर कहीं भी रेलिंग नहीं मिली।

– यहां सिर्फ कैंसर अस्पताल के पास ही स्पीड ब्रेकर मिले, इसके अलावा कहीं भी स्पीड ब्रेकर नहीं मिले। जबकि यहां स्पीड ब्रेकर न होने की वजह से गाड़ियां निर्धारित गति से काफी तेज रफ्तार में दौड़ती हैं। यहां एक संकेतक बोर्ड मिला, जिस पर गति सीमा 20 किमी प्रति घंटा निर्धारित की गई है। लोक निर्माण विभाग का यह बोर्ड है। लेकिन गाड़ियां 60 से 80 किमी प्रति घंटे तक की रफ्तार से यहां दौड़ रही थी। यहां तक कि मोड़ पर भी गाड़ियां तेज रफ्तार में निकल रही थीं।

– यहां मंगलवार को ही खतरनाक हादसा हुआ, लेकिन न मांढरे की माता तिराहे की ओर कोई चेकिंग पाइंट या ट्रैफिक पाइंट तैनात था और न ही शिवपुरी लिंक रोड की ओर मिलने वाले रास्ते पर।

 

– ….. टीम जब यहां पहुंची तो यहां से स्कूल वैन उतरती दिखी। इस वैन का नंबर एमपी07 बीए 2729 है, जिसमें पीछे आठ और ड्राइवर के बगल वाली सीट पर ही दो बच्चे बैठे हुए थे। 7 सीटर वैन में 10 बच्चे सवार थे। लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नहीं था। इसके अलावा भी यहां से स्कूली वाहन गुजर रहे थे।

– घाटी पर मांढरे की माता मंदिर के पास जहां हादसा हुआ, वहां पहाड़ी पर अवैध कब्जा है। सड़क किनारे तक कच्चा निर्माण है, लेकिन इस पर किसी की निगाह नहीं है। इससे सड़क घिर गई है और कई जगह तो सड़क महज 10 फीट की रह गई है।

यहीं हो गया था छात्र का सिर धड़ से अलग:

अक्टूबर 2018, अपने दोस्तों के साथ कार से आ रहे इंजीनियरिंग छात्र की कार अनियंत्रित होकर पेड़ से टकराई। विंडो सीट की तरफ बैठे छात्र अंशुल पुत्र हरपाल सिंह परिहार की गर्दन धड़ से अलग हो गई थी। उसकी गर्दन पेड़ से टकराई, इस दर्दनाक हादसे के बाद भी जिम्मेदार नहीं चेते।

इसके अलावा मांढरे की माता मंदिर की ओर से तिराहे की तरफ आ रहा लोडर के ब्रेक फेल हो गए थे और वह नीचे गिरा था।

यह हैं जिम्मेदार:

ट्रैफिक पुलिस:

नरेश अन्नोटिया, डीएसपी ट्रैफिक

थाना:

दीपक यादव- कंपू थाना प्रभारी

शैलेंद्र भार्गव- झांसी रोड थाना प्रभारी