न गति पर नियंत्रण, न जांच होती, खतरे में कर रहे सफर …!
शहर की में दौड़ रही स्कूल बसों की न गति नियंत्रण हैं। न समय पर बसों की जांच हो रही है।
ग्वालियर। शहर की में दौड़ रही स्कूल बसों की न गति नियंत्रण हैं। न समय पर बसों की जांच हो रही है। अब ये शहर में बसें हादसे का कारण बनने लगी हैं। अधिक गति विद्यार्थियों के साथ ये राहगीरों के लिए भी खतरा बन गई हैं। नईदुनिया ने स्कूल बसों की रफ्तार की पड़ताल की तो नौ ऐसी बसें चिह्निंत की, जिनकी गति 55 से 70 किमी प्रतिघंटा की थी। ये गति शहर के व्यस्तम सड़कों पर थी। जबकि स्कूल बस किसी भी स्थिति में 40 किमी प्रतिघंटा से ऊपर नहीं दौड़ना चाहिए, लेकिन ये दौड़ रही हैं। गत दिवस हुआ हादसा भी गति के कारण हुआ है।
मध्य प्रदेश शासन ने स्कूल बसों के हादसों को देखते हुए गति 40 किमी प्रतिघंटा निर्धारित की है। गति को नियंत्रित करने के लिए बस में स्पीड गवर्नर लगाए गए हैं। स्पीड गवर्नर के लगे होने की वजह से बस की गति 40 किमी प्रतिघंटा नहीं जाती है। यदि स्कूल बस 40 किमी प्रतिघंटा से ऊपर दौड़ रही है तो वह नियम विरुद्ध है, क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है। न पुलिस ने। शहर में 600 से अधिक बसों के पास स्कूल का परमिट है।
इसलिए नियमों का नहीं कर रहे पालन
स्कूल बस में स्पीड गवर्नर अनिवार्य किया गया है। बिना स्पीड गवर्नर के बस को फिटनेस नहीं मिलती है, लेकिन स्पीड गवर्नर पर बस को चलाते हैं तो गति 40 किमी प्रतिघंटा ही रहेगी। चाहे चालक कितना भी एक्सीलेटर दे ले।
– स्पीड गवर्नर पर ज्यादा एक्सीलेटर देने पर डीजल की खपत बढ़ जाती है और इंजन को भी नुकसान आता है। फिटनेस के बाद आपरेटर स्पीड गवर्नर के तार निकाल देते हैं। इसलिए गति का प्रतिबंध नहीं रहता है।
– 40 किमी प्रतिघंटा की गति पर बस चलाने पर एक जगह से दूसरी जगह पर जाने में समय अधिक लगता है। इस कारण भी स्पीड गवर्नर को हटा देते हैं।
इसलिए भी जरूरी है सख्ती करना
– कोविड-19 के दौरान स्कूल बसें दो साल खड़ी रही थीं। यें बस सड़कों पर नहीं चली थी। दो साल में बसें कंडम हो गई थी। वर्ष 2022-23 में स्कूल खुले थे। स्कूल बस आपरेटरों ने मरम्मत कर बसों को दौड़ाना शुरू कर दिया।
– फिटनेस भी कैमरे से की गई। बसों की जांच नहीं की गई। वर्तमान में सड़कों पर कई बसें जर्जर हालत में भी दौड़ रही हैं।
पांच साल में दो बार ही कार्रवाई
– परिवहन विभाग ने पिछले पांच साल में दो बार ही स्कूल बसों की जांच की। वर्ष 2018 में कलेक्टर के निर्देश पर स्कूल बसों के खिलाफ अभियान चलाया गया था, जिसमें शहर के बड़े स्कूलों की बसें अनफिट निकली थीं। गति पर नियंत्रण के लिए लगाए स्पीड गवर्नर के तार निकले मिले थे। एक स्कूल को दिन बंद भी रखना पड़ा था। विभाग ने खुद बसों का ट्रायल लेकर देखा था तो बस 75 किमी की गति से दौड़ रही थीं।
– सितंबर 2022 में स्कूल बसों की जांच की गई। इस दौरान बस की फिटनेस, परमिट व ड्राइविंग लाइसेंस देखा गया था, लेकिन बस का ट्रायल नहीं लिया गया कि ये मानकों को पूरा कर रही हैं या नहीं। स्कूल संचालकों को चेतावनी देकर छोड़ दिया था।