फर्जी थी दमोह मिशन अस्पताल की कैथ लैब..9 लोगों पर केस दर्ज

दमोह पुलिस ने विवादित मिशन अस्पताल की प्रबंधन समिति के खिलाफ सोमवार देर रात अवैध कैथ लैब चलाने का केस दर्ज किया है। जबलपुर के डॉक्टर अखिलेश दुबे ने सीएमएचओ मुकेश जैन से शिकायत की थी कि उनके नाम का दुरुपयोग कर फर्जी रजिस्ट्रेशन से कैथ लैब चलाई जा रही है।
डॉक्टर दुबे ने ऑनलाइन दस्तावेजों में अपने फर्जी हस्ताक्षर पाए। सीएमएचओ की जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने कार्रवाई की है। आरोपियों में सेंट्रल इंडिया क्रिश्चियन मिशन के असीम न्यूटन, फ्रैंक हैरिसन, इंदुलाल, जीवन मैसी, रोशन प्रसाद, कदीर यूसुफ, डॉ. अजय लाल, संजीव लैम्बर्ड और विजय लैम्बर्ड शामिल हैं।
इन सभी के खिलाफ अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज किया गया है। पुलिस के मुताबिक, अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। मामले की जांच जारी है।
बता दें कि दमोह के मिशन अस्पताल में हार्ट सर्जरी के बाद सात मरीजों की मौत का दावा किया गया। इनका इलाज डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम ने किया था, जिस पर फर्जी डिग्रियों के आधार पर प्रैक्टिस करने का आरोप है।
इसके बाद डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम को पुलिस ने 7 अप्रैल को यूपी के प्रयागराज से गिरफ्तार कर लिया गया। फिलहाल आरोपी 17 अप्रैल तक पुलिस की रिमांड पर है। एसआईटी उसके अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की पड़ताल कर रही है।

10 अप्रैल को सील हुई थी मिशन अस्पताल की कैथ लैब
इस मामले में स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की टीम ने 10 अप्रैल को मिशन अस्पताल की कैथ लैब को सील किया था। 5 सदस्यीय टीम ने अस्पताल पहुंचकर कैथ लैब को डॉक्टर विक्रांत चौहान, डॉ राजेश नामदेव और नायब तहसीलदार रघुनंदन चतुर्वेदी के हस्ताक्षर से सील किया था।
जानिए कैसे हुआ मिशन अस्पताल के डॉक्टर का पर्दाफाश?
मानवाधिकार आयोग में हुई थी शिकायत दरअसल, दमोह के रहने वाले कृष्णा पटेल ने मिशन हॉस्पिटल में हार्ट सर्जरी के नाम पर फर्जीवाड़े के आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत मानव अधिकार आयोग से की थी।
उन्होंने ऑपरेशन करने वाले डॉ. नरेंद्र यादव उर्फ एन जॉन केम की शिकायत में ये भी कहा है कि उनकी पहचान भी फर्जी है। उसके आधार कार्ड पर भी जर्मनी के डॉक्टर के पिता का नाम और पता लिखा है। इसी के बाद एक्शन शुरू हुआ और एन जॉन केम को प्रयागराज से गिरफ्तार किया गया।