भोपाल : एनएमसी…19 राज्यों के 213 कॉलेजों में किया गया सर्वे !
एनएमसी…19 राज्यों के 213 कॉलेजों में किया गया सर्वे..
निजी कॉलेजों के 27% पीजी मेडिकल छात्रों को स्टाइपेंड नहीं, 54% को सरकारी से कम
प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले 27% मेडिकल पीजी छात्रों को स्टाइपेंड नहीं मिल रहा है। वहीं 54% पीजी छात्रों को सरकारी से भी कम स्टाइपेंड मिल रहा है। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की ओर से देश के 19 राज्यों व दो केंद्रशासित प्रदेशों के 213 कॉलेजों में हुए सर्वे में यह तथ्य सामने आया है।
10781 छात्रों ने इस सर्वे में भाग लिया। फीडबैक देने वालों में 7901 प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों केे छात्र थे। स्टाइपेंड देने में सामने आने वाली अनियमितताओं व शिकायतों के बाद एनएमसी ने गूगल फॉर्म से यह सर्वे करवाया। 7901 मेडिकल पीजी छात्रों में से 1228 छात्र ऐसे थे, जिन्हें स्टाइपेंड देने के बाद मैनेजमेंट उनसे यह राशि वापस ले रहा था।
अब एनएमसी ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर मेडिकल कॉलेजों ने पोस्ट ग्रेजुएशन मेडिकल एजुकेशन रेग्युलेशंस (पीजीएमईआर) का उल्लघंन किया तो संबंधित प्राइवेट कॉलेज पर सख्त कार्रवाई होगी।
सरकारी व निजी कॉलेजों के लिए समान राशि निर्धारित
सेल्फ फाइनेंस संस्थानों पर भी पीजीएमईआर-2000 लागू होता है। इसके रेग्युलेशन-13 में यह स्पष्ट किया गया है। इसमें कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से संचालित किए जाने वाले सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए तय किए गए स्टाइपेंड जितनी ही राशि निजी अस्पतालों में काम करने वाले पीजी छात्रों को मिलनी चाहिए।
मध्यप्रदेश में 69 से 71 हजार के बीच स्टाइपेंड…
हर राज्य में स्टाइपेंड की राशि अलग-अलग है। पहले, दूसरे और तीसरे साल की स्टाइपेंड की राशि अलग हाेती है। राजस्थान में छात्रों को 69 हजार से 71 हजार रुपए तक का स्टाइपेंड दिया जाता है। स्टाइपेंड की राशि को समय समय पर रिवाइज भी किया जाता है।
सर्वे के बाद एनएमसी को उन प्राइवेट कॉलेजों पर एक्शन लेना चाहिए, जो छात्रों को तय स्टाइपेंड नहीं दे रहे हैं। कुछ राज्यों में सरकारी जितनी राशि निजी अस्पताल दे रहे हैं, लेकिन यह पूरे देश में लागू नहीं किया जा रहा है। प्रत्येक राज्य में यूनिफॉर्म राशि निजी कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों को मिलनी चाहिए।
– डाॅ. शंकुल द्विवेदी, मेंबर, आईएमए, स्टैंडिंग कमेटी ऑन जूनियर डाॅक्टर्स