भोपाल : क्योंकि ब्लॉक कम ज्यादा करने के लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी …

धुरी ब्लाॅक’… 9 जिले में बंटवारे की तैयारी:जिले 45 से 53 हुए, ब्लॉक नहीं बढ़े…जो विकास की धुरी

क्योंकि ब्लॉक कम ज्यादा करने के लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी …

करीब 23 साल से प्रदेश में किसी भी ब्लॉक का गठन नहीं हुआ। यूं कहें तो प्रशासनिक कसावट और राजनीतिक दृष्टि से जिला और तहसीलों के गठन में तो राज्य सरकारों का रुचि रही, लेकिन ब्लॉक के गठन पर नहीं। इसका सीधा असर विकास पर पड़ रहा है। राज्य को विकासखंड की योजना के अनुसार ही केंद्र से आधारभूत ढांचे को विकसित करने के लिए राशि मिलती है। शेष | पेज 11 पर

अधिकांश राज्यों में ब्लॉक का गठन बलवंत राय मेहता कमेटी की सिफारिशों के अनुसार केंद्र की इजाजत से हुआ है। एक विकासखंड में दो विधानसभा सीट बन गई है। सागर जिले में रहली विकासखंड है और उसमें गढ़ा कोटा और रहली दो तहसीलें हैं। एक जिले में 3 तहसील का फार्मूला : मप्र में छोटे जिलों के बनाने की शुरुआत 1995-96 में हुई। तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने के कार्यकाल में 16 जिले बने। सरकार की मंशा थी-एक जिले के अंतर्गत तीन तहसीलें आएं।

यहां नए जिला बनाने की मांग
छिंदवाड़ा में पांढुर्ना को नया जिला बनाए जाने, मंदसौर में गरौठ, सागर जिले में बीना, विदिशा में सिरोंज और रायसेन जिले में बरेली, गुना में चांचौड़ा, राजगढ़ में नरसिंहगढ़ और सतना में मैहर को जिला बनाने की मांग उठती रही है। देवास जिले से अलग बागली को जिला बनाए जाने की तो प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस बारे में जिले से प्रतिवेदन भी बुलाया जा चुका है।

16 जिलों का गठन 90 के दशक में
मप्र मे सबसे ज्यादा 16 जिलों का गठन 1995-96 में हुआ, उस दौरान जिलों की संख्या 45 से बढ़कर 61 हो गई है। 2000 में मप्र से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बन गया और बड़े हुए अधिकांश जिले छत्तीसगढ़ में चले गए। मप्र में मौजूदा जिलों में जबलपुर से अलग होकर कटनी जिला बना। मंडला से डिंडोरी, खंडवा से बुरहानपुर, खरगौन से बड़वानी और होशंगाबाद से हरदा, गुना से अशोकनगर और और झाबुआ से अलग होकर अलीराजपुर जिला बना।

ब्लाक के गठन पर बोले अफसर
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मलय श्रीवास्तव का कहना है कि ब्लॉक के गठन की प्रक्रिया में केंद्र से अनुमति लेना होता है। इस प्रक्रिया का परीक्षण करवाया जाएगा।

20 जिलों में 89 ब्लाॅक आदिवासी बाहुल्य
प्रदेश में सात संभागों के 20 जिलों में 89 आदिवासी ब्लाक हैं। इंदौर संभाग के 9 जिलों में 40 विकास खंड हैं। जबलपुर संभाग में 27, नर्मदापुरम में 9 और उज्जैन संभाग में 2, शहडोल संभाग में 9, रीवा में 1 और चंबल संभाग में 1 विकासखंड है। 20 साल पहले बने इन ब्लॉक की योजना के अनुसार ही राज्य को केंद्र से विकास खंडों को राशि मिलती है। इस ओर अब तक 2000 के बाद कोई नया विकास खंड नहीं बना है।

विकास के मापदंड ही बदल गए
ब्लॉक के गठन की अवधारणा के पीछे उद्देश्य तो प्रदेश में विकासखंडों को योजना बनाकर विकास करना था। विकासखंड का गठन केंद्र सरकार की अनुमति से हुआ, लेकिन फिलहाल जो योजनाएं बन रही हैं उनके स्पेशिफिकेशन अलग हैं। ऐसे में विकास के मापदंड अलग हो गए हैं। पूर्व मुख्य सचिव, मप्र

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