38 देशों के ऊपर से अब नहीं उड़ सकते रूसी विमान, SWIFT से भी बाहर; पुतिन को हमले की कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी?

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 2 मार्च को अमेरिकी संसद में ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ स्पीच दी। अपनी स्पीच में बाइडेन ने कहा- ‘पुतिन को अंदाजा भी नहीं है कि इन प्रतिबंधों से रूस को कितना नुकसान होगा। पुतिन को युद्ध के मैदान में बढ़त मिल रही है, लेकिन उन्हें लंबे समय तक इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।’

इस वक्त जिस अनुपात में रूस की सेना यूक्रेन पर हावी होती जा रही है, उसी हिसाब से रूस पर प्रतिबंध भी बढ़ते जा रहे हैं। खेल के मैदान से लेकर एयरस्पेस तक, SWIFT से बाहर करने से लेकर अरबपतियों की संपत्ति जब्त करने तक; रूस पर प्रतिबंधों के जरिए दबाव बनाने की कोशिशें जारी हैं।

भास्कर इंडेप्थ में आज रूस पर लगे प्रतिबंधों और उनके असर की कहानी। आपकी आसानी के लिए हमने इसे चार पार्ट में बांटा है- आर्थिक, व्यक्तिगत, खेलों से जुड़े और एयरस्पेस से जुड़े प्रतिबंध। तो चलिए, शुरुआत आर्थिक प्रतिबंधों से करते हैं…

रूस पर तीन तरह के आर्थिक प्रतिबंध, तीनों असरदार….
1.सरकारी बैंकों के वित्तीय लेन-देन पर रोक
सरकारी और प्राइवेट बैंकों पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध से रूस को कितना नुकसान हुआ है, इसे इस बात से समझ सकते हैं कि यूनाइटेड किंगडम में रूस के VTB बैंक के करीब 10.97 लाख करोड़ रुपए सरकार ने जब्त कर लिए हैं।

UK की तरह ही अमेरिकी ने भी रूस की टॉप फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट नोवीकॉम, सोवोकॉम, ओटीक्रिटी के 6.05 लाख करोड़ रुपए जब्त कर लिए हैं। कुल 11 देशों में बड़े पैमाने पर रूसी बैंकों के वित्तीय लेनदेन पर रोक लगाई गई है। वहीं, यूरोपीय देशों में रूस के आधे दर्जन से ज्यादा बैंकों और दूसरी संस्थाओं की संपत्ति जब्त की गई हैं।

अब तक बैंकों और बिजनेस पर लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से रूसी रूबल 30% तक टूट चुका है। सिर्फ शॉर्ट टर्म में ही नहीं बल्कि लॉन्ग टर्म में भी इससे रूस की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ने वाला है।

2. इंपोर्ट-एक्सपोर्ट और प्राइवेट कंपनियों के बिजनेस पर रोक
रूस ओर यूरोपीय देशों के बीच 2021 वित्त वर्ष में 21.40 लाख करोड़ रुपए का कुल ट्रेड या व्यापार था। यह रूस के कुल ट्रेड का 35.7% है। अमेरिका से रूस का साल 2021 में 2.61 लाख करोड़ रुपए ट्रेड रहा है। अमेरिका और यूरोपीय देशों के ट्रेड को मिला दें तो रूस से कुल 24 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का सलाना ट्रेड होता है।

वहीं, यूक्रेन की GDP 11.77 लाख करोड़ रुपए का है। मतलब इस जंग से रूस को जितना ट्रेड घाटा होने वाला है वह यूक्रेन की कुल GDP से ज्यादा है। हालांकि, इसका असर यूरोपीय देशों पर भी पड़ना तय है।

ऐसे में साफ है कि यूरोपीय देशों और अमेरिका के लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से रूस का करीब 40% वैश्विक व्यापार प्रभावित होगा।

3. रूस को SWIFT से बाहर करना
SWIFT यानी सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन। यह दुनिया के 200 देशों का एक ऐसा नेटवर्क है, जो करीब 198 से ज्यादा बैंकों के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को ऑपरेट करता है।

SWIFT से अलग किए जाने के बाद अब रूसी सेंट्रल बैंक और अन्य प्रतिबंधित बैंक किसी तरह से वित्तीय लेनदेन दूसरे देश के बैंकों से नहीं कर पाएंगे। ऐसे में अब रूस के बिजनेसमैन, सरकारी या प्राइवेट कंपनी या फिर रूसी लोगों को दूसरे देश में सामान खरीदने के बाद बिल पे करने में दिक्कत आएगी। इसका सीधा असर रूस के एक्सपोर्ट-इंपोर्ट पर पड़ेगा।

पर्सनल पाबंदी
​​​​​पुतिन समेत रूस के 195 लोगों पर लगा कड़ा प्रतिबंध

रूस के रहने वाले 195 लोगों के खिलाफ यूके ने प्रतिबंध लगाए हैं। इनमें से 9 लोगों की संपत्ति को भी जब्त कर लिया है। वहीं, अमेरिका ने भी पुतिन और उसके परिवार के 6 लोगों को प्रतिबंधित किया है। यूरोपियन यूनियन के देशों ने भी रूस के 26 लोगों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। अमेरिका ने पुतिन की संपत्ति जब्त करने की बात कही है।

ऐसे में मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि पुतिन के नाम पर विदेश में कम संपत्ति है। ज्यादातर संपत्ति उनके संबंधियों या उनसे जुड़े लोगों के नाम पर है। ऐसे में सवाल उठता है कि अमेरिका और यूरोपीय देश पुतिन की संपत्ति कैसे जब्त करेंगे?

इस सवाल का जवाब ‘द ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म’ की रिपोर्ट में मिलता है, जिसमें दावा किया गया है कि रूस की बड़ी तेल और गैस कंपनी गाजप्रोम और सर्गुटनेफ्ट गैस में पुतिन का शेयर है।

ऐसे में अमेरिका और यूरोपीय देश इन कंपनियों से जुड़ी संपत्ति जब्त कर सकती है। इसी तरह रूस के दूसरे बिजनेसमैन या फिर सरकारी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। रूस के ज्यादातर बिजनेसमैन का व्यापार यूरोप में है। वहां उन पर पाबंदियां लगने की वजह से उन्हें और उनके देश को काफी नुकसान उठाना होगा।

खेल, मनोरंजन और टेक्नोलॉजी पर प्रतिबंध
जंग के बाद सिर्फ आर्थिक और व्यक्तिगत स्तर पर ही रूस पर प्रतिबंध नहीं लगा है बल्कि कला और खेल के क्षेत्र में भी रूस दुनिया से बड़े हिस्से से अलग हो गया है। रूस पर कुछ इस तरह से असर पड़ने वाला है…

  • फुटबॉल खेल में रूस दुनिया भर में 35वीं रैंक पर है। 24 फरवरी के बाद इंटरनेशनल फुटबॉल संस्था FIFA और यूरोपियन फुटबॉल एसोसिएशन (UEFA) ने रूस को बैन कर दिया है।
  • रूस को फॉर्मूला वन रेस के आयोजकों ने करारा झटका दिया है। यूक्रेन पर हमला करने की वजह से रूस में अब इस कार्यक्रम का आयोजन नहीं होगा।
  • UK मोटर स्पोर्ट इवेंट में हिस्सा लेने से रूसी टीम को रोक दिया गया है।

38 देशों से रूस ने हवाई संपर्क तोड़ा
जंग शुरू होने के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन समेत दुनिया के 38 देशों ने अपने एयरस्पेस में रूस की फ्लाइट पर बैन लगा दिया। इसके जवाब में रूस ने 36 देशों से हवाई संपर्क तोड़ने का ऐलान किया। 2021 में दुनिया की कुल एयरलाइन में रूस का हिस्सा 6% है।

ऐसे में रूसी फ्लाइट पर रोक का सीधा असर रूस के उड्डयन विभाग और वहां की विमानन कंपनियों पर पड़ना तय है। इसके साथ ही रूस एयरलाइन के बेड़े में सबसे ज्यादा बोइंग के 332 और एयरबस के 304 विमान हैं। इन दोनों कंपनियों ने रूस को विमानों के पार्ट्स भेजना बंद कर दिया है। इससे रूस के लिए एयरलाइन ऑपरेट करना मुश्किल होगा। हालांकि, जंग समाप्त होने के कुछ समय बाद ये पाबंदी कुछ देशों से हट सकती है, लेकिन तब तक रूस को लाखों करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका होगा।

2014 में प्रतिबंधों से रूस की इकोनॉमी पर पड़ा था सीधा असर
रूस ने जब 2014 में क्रीमिया पर कब्जा किया था, तब भी यूरोपीय देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए थे। इसकी वजह से रूस की अर्थव्यवस्था पर काफी ज्यादा असर पड़ा था। 2014 के प्रतिबंधों से पहले, रूस और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार या ट्रेड रूस की GDP का 22% और यूरोपीय संघ के GDP का 3% था।

प्रतिबंध का असर यूरोपीय यूनियन से ज्यादा रूस की इकोनॉमी पर पड़ा था। दोनों ओर से होने वाला ट्रेड घटकर रूस की GDP का महज 14% रह गया था। हालांकि, 2014 में यूरोपीय संघ ने समझदारी के साथ इस तरह से प्रतिबंध लगाए थे कि इससे उनके देशों के निर्यात यानी एक्सपोर्ट पर ज्यादा असर न पड़े।

इस बार स्थिति बिल्कुल अलग है। पूरी तरह से प्रतिबंध लगाए जाने पर यूरोपीय यूनियन की अर्थव्यवस्था पर असर तो पड़ेगा ही, लेकिन रूस की इकोनॉमी पर 2014 से ज्यादा असर पड़ना तय है।

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