भारत और पाकिस्तान के उदाहरण से समझिए क्या है रूसी न्यूक्लियर ट्रायड ; क्या वाकई पुतिन परमाणु बम दागेंगे?

एक तरफ रूसी सेना ने यूक्रेन की राजधानी कीव को घेर लिया है तो दूसरी ओर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने न्यूक्लियर ट्रायड को अलर्ट कर दिया है। पुतिन ने परमाणु हमले की भी धमकी दी है। ऐसे में दो बड़े सवाल सबके सामने हैं। पहला- न्यूक्लियर बम तो सुना है यह न्यूक्लियर ट्रायड क्या है? और दूसरा-परमाणु हमले की पुतिन की धमकी में कितना दम है?

तो आइए भारत-पाकिस्तान के उदाहरण से समझते हैं कि न्यूक्लियर ट्रायड क्या होता है? कितने देश न्यूक्लियर वेपन से लैस हैं? जानेंगे कि पुतिन की धमकी अब तक कितनी बार सच में बदल चुकी है?

इन सभी बातों को समझने के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि परमाणु हथियारों और बाकी हथियारों में अंतर क्या है? तो परमाणु हथियार बाकी परंपरागत हथियारों के मुकाबले इतने ज्यादा ताकतवर होते हैं कि जिस भी इलाके में इनका इस्तेमाल होगा वह पूरी तरह तबाह हो जाएगा। जापान के हिरोशिमा और नागासाकी की तबाही इसके उदाहरण हैं। 1945 में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जब इन दो शहरों पर एक-एक परमाणु बम गिराए गए थे, तब सिर्फ अमेरिका के पास इसकी क्षमता थी, लेकिन आज दुनिया के 7 देशों के पास घोषित रूप से और 9 देशों के पास अघोषित रूप से परमाणु हथियार हैं।

सवाल: न्यूक्लियर ट्रायड क्या होता है, जिसे पुतिन ने अलर्ट पर रहने को कहा है?

  • इसे हम भारत और पाकिस्तान के उदाहरण से समझते हैं। माना भारत और पाकिस्तान कश्मीर में आतंक के मुद्दे पर युद्ध की तैयारी करने लगते हैं। परमाणु हथियारों को छोड़ दें तो सैनिक शक्ति के मामले में भारत पाकिस्तान पर काफी भारी है। यानी युद्ध हुआ तो भारत की जीत तकरीबन तय है। ऐसे हालात में पाकिस्तान भारत पर परमाणु हमला करने का प्लान बनाने में जुट जाता है। अब सवाल ये है कि पाकिस्तान सबसे पहले क्या सोचेगा? इसका जवाब है कि ऐसे में पाकिस्तान की सबसे बड़ी चिंता होगी कि अगर वह परमाणु हमला करता है तो भारत भी जवाब में उस पर परमाणु हथियार इस्तेमाल करेगा। इस तरह पाकिस्तान खुद भी तबाह हो जाएगा। ऐसे में पाकिस्तान भारत पर इतने ज्यादा परमाणु बम गिराने का प्लान बनाएगा कि भारत की जमीन पूरी तरह तबाह हो जाए और वह पाकिस्तान पर जवाबी हमला करने की स्थिति में न रहे। इधर, भारत पहले से ऐसे किसी परमाणु हमले के जवाब में दुश्मन पर परमाणु हमला करने की क्षमता को बचाए रखने की तैयारी किए बैठा होगा। इसके दो तरीके हैं। पहला- परमाणु बमों से लैस मिसाइल और लड़ाकू विमानों को ऐसी जगहों पर तैनात रखना जो परमाणु हमले के बावजूद पाकिस्तान को जवाब दे सकें। ऐसी जगहों में ऊंचे पर्वतीय इलाके, दूर अंडमान निकोबार जैसे द्वीप और मिसाइल छुपाकर दागने के लिए अंडरग्राउंड साइलोस यानी भूमिगत ठिकाने शामिल हैं। दूसरा तरीका है- जमीन से दागी जाने वाली मिसाइलों और विमानों से परमाणु बम गिराने की क्षमता के साथ समुद्र में युद्धपोत और पनडुब्बियों से परमाणु मिसाइल दागने की ताकत डेवलप करना है। इनमें खास ध्यान परमाणु ईंधन से चलने वाली पनडुब्बियों पर दिया जाता है, क्योंकि युद्धपोतों को तलाश कर डुबोया जा सकता है लेकिन गहरे समुद्र में गोता लगा रही पनडुब्बी को तलाशना आसान नहीं।
  • इस तरह साफ है कि परमाणु हथियारों को जमीन से मिसाइलों के जरिए, हवा से लड़ाकू विमानों के जरिए और समुद्र से पनडुब्बियों के जरिए दागने की क्षमता को ही न्यूक्लियर ट्रायड कहते हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसी ट्रायड या ताकत को तैयार रखने का आदेश दिया है।
  • न्यूक्लियर ट्रायड से तैयार होता न्यूक्लियर डेटरेंट यानी बचाव भारत यह क्षमता विकसित कर चुका है। ऐसे में पाकिस्तान के सामने हमेशा यह चिंता रहेगी कि वह भारत पर चाहे कितना बड़ा परमाणु हमला कर ले, लेकिन भारत गुपचुप तरीके से विशाल समुद्र में घूम रही अपनी पनडुब्बियों के जरिए हमेशा जवाबी परमाणु हमला करके उसे तबाह करने की स्थिति में बना रहेगा।
  • इस खौफ से वह कभी भारत पर परमाणु हमला नहीं करेगा। न्यूक्लियर ट्रायड के जरिए परमाणु हथियारों के इस संतुलन को ही न्यूक्लियर डेटरेंट यानी न्यूक्लियर बचाव डेवलप करना कहते हैं। यही डेटरेंट है जिसकी वजह से अक्सर कहा जाता है कि परमाणु हथियार इस्तेमाल करने के लिए नहीं होते हैं। या परमाणु हथियार शांति बनाए रखने के लिए जरूरी हैं।

अब जानते हैं कि पुतिन की न्यूक्लियर धमकी में कितना दम है?
यहां पहला सवाल यह है कि यूक्रेन के पास परमाणु हथियार नहीं है तो भी पुतिन ने धमकी क्यों दी। दरअसल, पुतिन यूक्रेन को नहीं बल्कि अमेरिका की अगुआई वाले नाटो को यह धमकी दे रहे हैं।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि उनका मकसद अपनी परमाणु ताकत दिखाकर अमेरिका या नाटो को यूक्रेन के युद्ध से दूर रखना है। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर रूस अपनी परंपरागत सैन्य ताकत के बूते यूक्रेन को काबू नहीं कर सका तो भी वह परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है।

पुतिन ने अब तक जो कहा है वो करके दिखाया है

  • एक्सपर्ट्स कहना है कि पुतिन ने अब तक जो कहा है वो कर दिया है। 2014 में जब दुनियाभर के देशों को लग रहा था कि पुतिन क्रीमिया पर कब्जा नहीं करेंगे, लेकिन उन्होंने किया।
  • इसके बाद भी दुनिया को लगा कि पुतिन अब डोनबास में युद्ध नहीं छेड़ेंगे। इस बार फिर से पुतिन ने चौंकाया और डोनबास में जंग छेड़ दी।
  • 2021 में पुतिन यूक्रेन को नाटो में नहीं शामिल होने को लेकर चेताते रहे। तकरीबन सभी बड़े देश इसे हल्की धमकी मानते रहे, लेकिन पुतिन ने फिर चौंकाया और 21 फरवरी को यूक्रेन के दो प्रांतों, लुहांस्क और डोनेट्स्क को अलग देश के रूप में मान्यता दे दी।
  • इसके बाद भी यूरोप के ज्यादातर देश मान रहे थे कि रूस यूक्रेन पर हमला नहीं करेगा। पुतिन ने 24 फरवरी UN सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान ही यूक्रेन पर हमले का आदेश दे दिया।

पुतिन की धमकी पर एक्सपर्ट क्या कहते हैं?

  • “पुतिन पश्चिम को डराकर कुछ रियायत हासिल करना चाहते हैं। यह उनकी टिपिकल ब्रिंकमैनशिप है। राजनीति की भाषा में ब्रिंकमैनशिप का अर्थ ऐसी रणनीति से है, जिसमें टकराव को इतना बढ़ा दिया जाए कि दोनों पक्ष समाधान खोजने पर मजबूर हो जाएं या फिर एक पक्ष बिल्कुल समर्पण कर दे।” – हैंस क्रिस्टनसन, फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स में न्यूक्लियर इंफॉर्मेशन प्रोजेक्ट के डायरेक्टर
  • “पुतिन ने यूक्रेन में जिस तरह के सैन्य हालात की कल्पना की थी, हकीकत वैसी नहीं है। शायद यही वजह है कि रूसी राष्ट्रपति को अपने देश की परमाणु ताकत प्रदर्शित करने की जरूरत पड़ी। हालांकि, हमने देखा है कि कुछ ही दिनों के भीतर पुतिन ने कैसे एक के बाद एक कई लाल लकीरें पार की हैं। हर बार हम सोचते रहे कि वे इसके आगे नहीं जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसीलिए अभी यह कल्पना करना बहुत मुश्किल है कि वह कहां रुकेंगे।” – मार्क फिनौड, स्विट्जरलैंड में जेनेवा सेंटर फॉर सिक्योरिटी पॉलिसी के प्रमुख

2020 में पुतिन ने 4 हालात में परमाणु हमले की बात कही थी…
न्यूक्लियर कमांड को कॉम्बैट सर्विस के स्पेशल मोड पर रखने का अर्थ यह है कि रूस परमाणु हमला करने से सिर्फ एक कदम दूर है। हालांकि, 2020 में पुतिन ने ये चार सिचुएशन होने पर न्यूक्लियर हमला करने की बात कही थी। ये 4 सिचुएशन हैं…

1. रूस या उसके सहयोगी के इलाके में मिसाइल से हमला।

2. दुश्मन परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर दे।

3. रूस के परमाणु हथियार ठिकानों पर हमला।

4. ऐसा हमला जो रूस के अस्तित्व को खतरे में डाल दे।

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