आइए आज चलते हैं एसिड अटैक फाइटर्स के कैफे…..

ऑर्डर लेती हैं, कॉफी सर्व करती हैं; खाना नहीं बनातीं, क्योंकि चूल्हें की आंच बर्दाश्त नहीं होती….

‘इंसान के चेहरे पर एक पिंपल होता है तो वो परेशान हो जाते हैं। यहां एक 20 रुपए की बोतल से हम लोगों की जिंदगी बर्बाद कर दी जाती हैं, लेकिन फिर भी आज हम खुश हैं। अपने पैरों पर खड़े हैं।’ ये बात लखनऊ की शीरोज कैफे की एक एसिड अटैक फाइटर ने कही।।

आज इंटरनेशनल विमेंस डे के खास मौके पर हम आपको लखनऊ के शीरोज कैफे की एक सैर कराते हैं। कैफे की खासियत है कि इसे एसिड अटैक फाइटर्स चलाती हैं। रेस्टोरेंट में नेशनल से लेकर इंटरनेशनल लोग आते हैं। अलग-अलग तरह के इवेंट्स ऑर्गनाइज होते हैं। यहां की महिला फाइटर्स से हमने बात की। उनकी कुछ बातें हम नीचे लिख रहें हैं। पूरी बात को जानने के लिए ऊपर लगे वीडियो को देखिए…

हमारा मकसद समाज को एक मैसेज देना है

फोटो ,,,,
शीरोज कैफे में लगे एसिड अटैक महिलओं के पोस्टर।

हमने महिलाओं से कैफे के बारे में पूछा तो रेशमा ने कहा, ‘जैसे लड़कों को हीरोज कहते हैं, वैसे ही हम लड़कियां है तो इसका नाम है शीरोज।’

उन्होंने कहा, जब हम घर में रहते है तो लगता है सिर्फ हमारे साथ एसिड अटैक हुआ है। जिसकी वजह से हमें अकेलापन और डिप्रेशन महसूस होता है। लेकिन, यहां सबको देखकर और मिलकर काम करने से साहस मिलता है। कैफे के बाहर एसिड अटैक महिलाओं की फोटोज लगी है, जिससे कभी-कभी लोगों को लगता है ये कोई हॉस्पिटल है। इस पर एक महिला कहती है, ‘हम ऐसे लोगों से बात करते हैं, उन्हें अपने रेस्टोरेंट के बारे में बताते हैं। अंदर बुलाते हैं। उन्हें यहां आकर हमारी स्टोरी सुनकर बहुत अच्छा लगता है। वो अपने दूसरे दोस्तों को भी यहां आने के लिए कहते हैं।

यहां काम कर रही महिलाओं का कहना है कि वो सिर्फ पैसों के लिए काम नहीं करती हैं। उनका मकसद समाज में एक मैसेज देना है। लोग यहां आएंगे, हमारा दर्द देखेंगे तो उनको भी एसिड अटैक के बारे में मालूम चलेगा। अगर कभी कोई ऐसा हादसा उनके सामने होगा तो वो उसकी मदद करेंगे।

सूरत नहीं सीरत हैं असल खूबसूरती

शीरोज कैफे में आए गेस्ट से बात करती एसिड अटैक सर्वाइवर।
शीरोज कैफे में आए गेस्ट से बात करती एसिड अटैक सर्वाइवर।

यहां की महिलाओं की डिक्शनरी में खूबसूरती के अलग मायने है। उनका मानना है, ‘सिर्फ चेहरे से इंसान खूबसूरत नहीं होता है। मन साफ होना चाहिए। जो लोगों के दुख में सपोर्ट करें, वो इंसान खूबसूरत होता है। सबसे बड़ी खूबसूरती इंसानियत होती है। इंसान का दिल अच्छा होना चाहिए।’
‘हम यूनीक हैं इसलिए लोग हमें ऐसे देखते हैं’

एसिड अटैक फाइटर्स ने कहा, "हम अलग हैं इसलिए खास हैं"
एसिड अटैक फाइटर्स ने कहा, “हम अलग हैं इसलिए खास हैं”

कैफे में काम कर रही कविता ने कहा, ‘अगर हम मजबूत है तो हौसला भी अपने आप आ जाता है। बहुत से कस्टमर हमें देखकर नर्वस हो जाते हैं। ये स्वाभाविक भी है। अगर हम खुद से अलग लोगों को देखते हैं तो हमारी निगाह वहीं रहती है। इसलिए हम खुद को यूनीक मानते हैं। तभी लोग हमें ऐसे देखते हैं।’

छोटी बच्ची ने दिया गुलाब का फूल

कैफे में कस्टमर को खाना सर्व करते हुए महिलाएं।
कैफे में कस्टमर को खाना सर्व करते हुए महिलाएं।

शीरोज कैफे के साथ रेशमा 2013 से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा, कैफे में एक बार छोटी बच्ची हम लड़कियों का चेहरा देखकर डर गई थी। उसकी मम्मी को ये बात खराब लगी। अगले दिन मां-बेटी वापस से कैफे में आए। बच्ची के हाथ में गुलाब का फूल था। जिस लड़की को देखकर वो डर गई थी, उसने वो गुलाब का फूल उसे दिया। लोगों का ये प्यार और सपोर्ट देखकर हमें बहुत खुशी मिलती है।

कस्टमर के साथ फैमिली जैसा रिश्ता है

कैफे में विदेश से आए लोगों के साथ एसिड अटैक महिलाएं फोटो क्लिक करवाती हुई।
कैफे में विदेश से आए लोगों के साथ एसिड अटैक महिलाएं फोटो क्लिक करवाती हुई।

हमने महिलाओं से पूछा कि वो कैफे में कस्टमर से कैसे इंटरेक्ट करती है तो रूपाली ने कहा, जब नए गेस्ट आते हैं तो कभी-कभी उन्हें हमारे बारे में नहीं मालूम होता है। लेकिन जब वो हमारी स्टोरी सुनते हैं, हमसे बात करते हैं तो एक फैमिली जैसा माहौल बन जाता है। उनकी झिझक खत्म हो जाती है। इसके साथ वो कहती है कि काम के दौरान उन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सबसे बड़ी चुनौती हमारे चेहरे को लेकर होती है। क्योंकि मौसम के हिसाब से हमे अपने चेहरे को एडजस्ट करना पड़ता हैं। धूप में निकलने से दिक्कत होती है।

इस दौरान हमने देखा कि विदेश से आए लोग भी कैफे में मौजूद है। उन्हें कैफे का माहौल और खाना बहुत पसंद आया। उन्होंने एसिड अटैक पीड़ित महिलाओं से बात की। उनके साथ फोटो क्लिक करवाई और उनकी स्टोरी सुनी।

विमेंस डे पर महिलाओं ने दिया ये मैसेज

विमेंस डे के मौके पर एसिड अटैक फाइटर्स का खास मैसेज
विमेंस डे के मौके पर एसिड अटैक फाइटर्स का खास मैसेज

वहां काम कर रहीं रूपाली और फराह खान ने कहा, ‘जो रिस्पेक्ट लोग महिलाओं को 8 मार्च को देते हैं वो ही रिस्पेक्ट हर दिन देनी चाहिए। एक दिन आजादी देने से कुछ नहीं होता है। हर दिन महिलाओं की रिस्पेक्ट करनी चाहिए।

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