अधूरी नींद सेहत की दुश्मन:कैंसर, कमजोर हडि्डयां और दिल की बीमारी का बना रहता है खतरा

सेहतमंद रहने के लिए वर्कआउट करना जरूरी है। फिट इंडिया मूवमेंट के बाद से लोगों में अपने शरीर पर ध्यान देना शुरू किया है। जिसे जब समय मिले, वो तब समय निकालकर एक्सरसाइज कर लेता है। जैसे सोने-जागने का एक तय समय होता है, वैसे ही एक्सरसाइज करने के लिए भी एक समय होता है। इस दौरान वर्कआउट करने से न सिर्फ फिट रहा जा सकता है, बल्कि कई बीमारियों से भी बचने में मदद मिलती है। एक्सरसाइज का सही टाइम क्या है, इस मुद्दे पर बात कर रही हैं फिजीशियन और कैंसर सर्वाइवर डॉ. रोहिणी पाटिल।

आप कब करते हैं एक्सरसाइज?

अपनी बिजी लाइफ में यूं तो जिसे जैसे वक्त मिले, उस हिसाब से वर्कआउट करना चाहिए। लेकिन फिर भी बेस्ट टाइम के बारे में जानना चाहते हैं, तो सुबह का समय एक्सरसाइज के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। हालांकि, इसके लिए अपनी नींद में खलल डालने की जरूरत नहीं है। नींद पूरी करने के बाद सुबह 8 से 10 बजे के बीच में समय निकालकर एक्सरसाइज करना ठीक रहता है।

 
फिटनेस के प्रति जागरूक होना अच्छा है, लेकिन आपका रूटीन ऐसा हो कि नींद में कोई खलल न पड़े।

बिना नींद पूरी किए एक्सरसाइज करना कितना सही?

डॉ. रोहिणी के मुताबिक हमारी नींद का सीधा जुड़ाव सेहत से है। हमारे दिमाग में पीनियल ग्लैंड होती है, जो अंधेरे में मेलाटोनिन हॉर्मोन रिलीज करती है। बायोलॉजिकल क्लॉक दिन में एक्टिव होता है, जबकि रात के समय हमें नींद आती है। इससे अलग जब हम रात के अंधेरे में लाइट जलाकर (मोबाइल,लैपटॉप या फिर कमरे की) जबरदस्ती जागते हैं, तो उसका असर हमारी सेहत पर पड़ता है। सुबह 8 बजे से 10 बजे के बीच वही लोग एक्सरसाइज कर सकते हैं, जिन्होंने रात की नींद पूरी की हो। जिन्हें देर रात तक या रात भर जागने की आदत हो, वे सुबह के समय एक्सरसाइज नहीं कर सकते हैं। आधी-अधूरी नींद भी सेहत के लिए बुरी साबित होती है।

सुबह के वक्त किया गया वर्कआउट सबसे बेहतर माना जाता है, स्वस्थ रहने के लिए बायोलॉजिकल क्लॉक के हिसाब से सोने-जगने का रूटीन होना चाहिए।
सुबह के वक्त किया गया वर्कआउट सबसे बेहतर माना जाता है, स्वस्थ रहने के लिए बायोलॉजिकल क्लॉक के हिसाब से सोने-जगने का रूटीन होना चाहिए।

नींद पूरी नहीं हुई, तो किन बीमारियों का खतरा बना रहता है?

ब्रेस्ट कैंसर – जो महिलाएं पूरी नींद नहीं लेती हैं उनमें मेलाटोनिन लेवल कम होने लगता है। मेलाटोनिन घटने का असर शरीर पर पड़ता है और कैंसर होने वाले सेल्स विकसित होने शुरू हो जाते हैं।

बढ़ सकता है तनाव – नींद पूरी न होने की वजह से दिमाग को पूरी तरह आराम नहीं मिल पाता है। जिसकी वजह से हमेशा चिड़चिड़ापन और स्ट्रेस महसूस होता है।

कमजोर होती हैं हड्डियां – अधूरी नींद हड्डियों पर भी असर डालती है। नींद पूरी न होने की वजह से हड्डियों में मौजूद मिनरल्स कम होने लगते हैं। जिसकी वजह से जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है।

बीमार पड़ सकता है दिल – कम सोने की वजह से मेटाबॉलिज्म कमजोर होता है। इसकी वजह से शरीर में फैट बढ़ता है। यह दिल की बीमारी, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की वजह बनता है।

इम्युनिटी पर भी पड़ता है असर – हेल्दी डाइट और अच्छी नींद बेहतर इम्युनिटी के लिए जरूरी है। इन दोनों का बैलेंस बिगड़ने से शरीर की इम्युनिटी लगातार कमजोर होती जाती है। जिसकी वजह से बॉडी हमेशा किसी न किसी बीमारी से जूझ रहा होता है।

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