देश की सबसे बड़ी एजेंसी का काम अटका … गैर भाजपा शासित राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब में CBI को 21 मामलों की जांच की अनुमति नहीं
देश में 9 राज्य ऐसे हैं जो सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन (CBI) को दिया गया जनरल कंसेंट (आम सहमति) वापस ले चुके हैं। ये वो राज्य हैं जहां BJP अथवा उसके गठबंधन वाली सरकारें नहीं है। केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के अनुसार 2019 जनवरी से 2022 फरवरी तक इन 9 राज्यों में से पांच राज्यों में 128 विभिन्न मामलों में 21,074.43 करोड़ के बैंक फ्रॉड की जांचें अटकी हुई हैं।
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सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 101 मामले में 20,312.53 करोड़ के बैंक फ्रॉड की जांच पेंडिंग है। महाराष्ट्र के बाद पंजाब में 298.94 करोड़ के 12 मामले, बंगाल में 293 करोड़ के 6 मामले, छत्तीसगढ़ में 157.26 करोड़ के 08 मामले और राजस्थान में 12.06 करोड़ के एक मामले अटका है।
CBI निदेशक सुबोध जायसवाल ने पिछले साल अक्टूबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में बताया था कि पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मिजोरम ने सामान्य सहमति वापस ले ली है। एजेंसी केस-टु-केस आधार पर उनसे संपर्क करेगी। ऐसी प्रक्रिया समय लेने वाली है और कभी-कभी समय पर और त्वरित जांच के लिए हानिकारक हो सकती है।
आम सहमति क्या?
CBI का संचालन दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिसमेंट एक्ट के तहत होता है। धारा-6 के अंतर्गत CBI को राज्य से दो तरह की अनुमति मिलती है। एक खास मामले की जांच और दूसरा सामान्य सहमति। सामान्य सहमति में राज्य CBI को बिना रोक टोक जांच की अनुमति देते हैं। CBI का संचालन अपने राज्य के कानून से नहीं होता है।