लोकसभा में 1 दिन में 80 प्राइवेट मेंबर बिल पेश … इनमें यूनीफॉर्म सिविल कोड, स्कूलों में संस्कृत की पढ़ाई, बेरोजगारी भत्ता देना शामिल

शुक्रवार को लोकसभा में 80 सांसदों ने प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए। इन बिलों में सांसदों ने यूनीफॉर्म सिविल कोड, स्कूलों में अनिवार्य रूप से संस्कृत पढ़ाने, वोटिंग को अनिवार्य करने, बेरोजगारी भत्ता दिलाने, जनसंख्या नियंत्रण, फर्स्ट एड की ट्रेनिंग, आयुर्वेदिक उपचार को इंश्योरेंस कवर में शामिल करने से लेकर हिंदू मैरिज एक्ट, मनरेगा, UGC एक्ट, सेंट्रल यूनिवर्सिटी एक्ट, CrPC और IPC सहित विभिन्न कानूनों व संविधान संशोधनों की मांग की।

उन्मेश भैया साहब पाटिल ने महाराष्ट्र में नेशनल वाटर यूनिवर्सिटी बनाने की मांग की है। वहीं, राजस्थान के सांसद सीपी जोशी और मध्य प्रदेश से सुधीर गुप्ता ने अपने राज्य में जलाशयों को बचाने और उनकी मरम्मत कराने के लिए बिल पेश किया। राइट टु ऐडिक्वेट हाउसिंग की बात गोपाल चिन्मय शेट्टी ने रखी। इसके जरिए वे हर घर में एक टॉयलेट बनवाना चाहते हैं।

25 सालों में सिर्फ 2-3% मेंबर बिलों पर चर्चा हुई
अशोक महादेव राव ने विदर्भ को अलग राज्य का दर्जा दिलाने और बेरोजगारी भत्ते की मांग रखी। 2021 के शीतकालीन सत्र में 3 दिसंबर को एक दिन में सर्वाधिक 145 बिल पेश किए गए थे। पिछले साल मानसून सत्र के बाद लोकसभा में 134 बिल विचाराधीन थे। 25 सालों में केवल 2% से 3% प्राइवेट मेंबर बिलों को ही चर्चा के लिए समय मिल सका है। ये बिल अगर पारित न हों तो लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने पर अपने आप खत्म हो जाते हैं। वहीं, राज्यसभा में सांसद का कार्यकाल पूरा होने पर बिल खत्म होता है।

संसदीय इतिहास में अब तक ऐसे 14 बिल कानून बन पाए
संसदीय इतिहास में पेश हुए कई हजार बिलों में केवल 14 बिल ही कानून बन पाए हैं। 1970 के बाद से अब तक लगभग ढाई हजार से ज्यादा प्राइवेट मेंबर बिल संसद में पेश किए जा चुके हैं। इन प्राइवेट मेंबर बिलों में से एक भी बिल पारित नहीं हो सका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *