विधान परिषद चुनाव : दाम लगे या दंड, जीत चाहिए प्रचंड, भाजपा ने मतदाताओं का मन जाना, अब मतदान लेने की तैयारी, 36 में से 35 सीटों पर जीत का लक्ष्य

विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र सदस्य के  चुनाव में ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर निकाय संस्थाओं के पार्षद, नगर पंचायत और  नगर पालिका परिषद चेयरमैन, महापौर, विधायक और सांसद मतदान करते हैं।

विधान परिषद की स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र की 36 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में भाजपा संगठन और सरकार ने एक-एक सीट पर जीत के लिए पूरी ताकत लगा दी है। पार्टी ने जिस भी स्थिति में मतदाता मानें, उन्हें उन्हें मनाकर पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में मतदान कराना है। पार्टी ने कम से कम 35 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है।

विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र सदस्य के  चुनाव में ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर निकाय संस्थाओं के पार्षद, नगर पंचायत और  नगर पालिका परिषद चेयरमैन, महापौर, विधायक और सांसद मतदान करते हैं। 36 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में 9 सीटों पर भाजपा उम्मीदवार पहले ही निर्विरोध निर्वाचित हो चुके है। 27 सीटों के लिए मतदान 9 अप्रैल को होगा। विधान परिषद में बहुमत हासिल करने की दृष्टि से भाजपा के यह चुनाव सबसे महत्वपूर्ण है।

विधान परिषद चुनाव के लिए भाजपा ने प्रदेश कार्यालय स्थित कंट्रोल रूम से एक-एक मतदाता से फोन पर संपर्क का कार्यक्रम शुरू किया है। पार्टी के कंट्रोल रूम में तैनात कार्यकर्ता मतदाताओं को फोन परिषद चुनाव को लेकर उनका मन जान रहे है। कुछ मतदाता स्पष्ट तौर पर भाजपा उम्मीदवार को वोट देने की बात कहते हैं उन्हें ए श्रेणी में रखा जाता है। कुछ मतदाता चुनाव नजदीक आने पर इसका निर्णय करने की बात कहते हैं उन्हें बी श्रेणी में रखा जाता है और कुछ मतदाता किसी भी कीमत पर भाजपा उम्मीदवार को वोट नहीं देने की बात कहते हैं उन्हें सी श्रेणी में रखा जाता है।

फीडबैक के आधार पर तैयार कर रहे रणनीति
कंट्रोल रूम में मतदाताओं के श्रेणीवार फीडबैक के आधार पर पार्टी चुनावी रणनीति तैयार कर रही है। जिलों में चुनाव के लिए प्रभारी के रूप में तैनात पार्टी पदाधिकारी, सरकार के मंत्री और जिले की टीम को  ए श्रेणी वाले मतदाताओं से लगातार संपर्क बनाए रखने को कहा जा रहा है। वहीं बी श्रेणी वाले मतदाताओं से संपर्क कर उनकी समस्या का वाजिब समाधान करने को कहा गया है।

सी श्रेणी वाले मतदाताओं को लेकर सरकार और संगठन के स्तर से रणनीति तय हो रही है। 9 अप्रैल को होने वाले मतदान से दो से तीन दिन पहले सी श्रेणी वाले मतदाताओं से संपर्क का अभियान शुरू होगा। पार्टी का प्रयास है कि सी श्रेणी वाले मतदाताओं को भी हर हाल में समर्थन में लाना है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने साम, दाम, दंड, भेद और भाव की रणनीति अपनाते हुए कम से कम 35 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है।

प्रत्याशी भी पूरी ताकत से जुटे
भाजपा के प्रत्याशी भी चुनाव में पूरी ताकत से जुट गए है। पार्टी के उम्मीदवारों ने साफ संदेश दिया है कि किसी भी कीमत पर उन्हें चुनाव जीतना है। जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव की तर्ज पर परिषद चुनाव में भी मतदाताओं को अपने खेमे में शामिल करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।

सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है रूख
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पहले ही साफ कर दिया है कि  प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद परिषद चुनाव सरकार व संगठन की पहली परीक्षा है। चुनाव के मतदाता ग्राम प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों, ब्लॉक प्रमुखों और जिला पंचायत सदस्यों से मुखातिब होते हुए साफ कर दिया था कि जब सरकार बिना किसी भेदभाव के सहयोग कर रही है तो उनका भी दायित्व हैं कि वह परिषद चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों को मतदान कर सरकार को मजबूत बनाएं।

वाराणसी में भाजपा को मिल रही टक्कर
वाराणसी में भाजपा ने डॉ. सुदामा सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया है। वाराणसी से बाहुबली ब्रजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह ने निर्दलीय चुनाव  लड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पार्टी उम्मीदवार को निर्दलीय अन्नपूर्णा से टक्कर मिल रही है। सुदामा ने पार्टी के नेताओं के समक्ष शिकायत भी दर्ज कराई है कि ब्रजेश सिंह के भय से वाराणसी में पार्टी कार्यकर्ता उनके लिए चुनाव प्रचार नहीं कर रहे है।

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