भ्रष्टाचार के मामले में नौकरशाहों को सुरक्षाकवच
भ्रष्टाचार (corruption) के मामले में नौकरशाहों (bureaucrats) को सुरक्षाकवच अब सुरक्षा कवच मिल गया है। इसके तहत आईएएएस, आईपीएस, आईएफएस खिलाफ जांच के पहले सीएम की मंजूरी अनिवार्य होगी। यानी जांच एजेंसियां सीधे जांच नहीं कर पाएंगीं।
भोपाल। भ्रष्टाचार (corruption) की जांच में मामले में सरकार ने जांच एजेंसियों के हाथ बांध दिए गए हैं। नई व्यवस्था के तहत आईएएस (IAS), आईपीएस (IPS) और आईएफएस (IFS) तथा वर्ग एक में शामिल अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच अब सीधे नहीं हो सकेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री की अनुमति लेना अनिवार्य होगी। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं।
भ्रष्टाचार के मामले में नौकरशाहों को सुरक्षाकवच
इन अफसरों के खिलाफ जांच के लिए अभी तक जांच एजेंसियां स्वतंत्र थीं। शिकायत मिलने के साथ एजेंसी जांच करने के लिए आजाद थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियन 1988 में धारा 17 ए जोड़ दिए जाने का कारण इन अफसरों को एक सुरक्षा कवच मिल गया है। इसी के तहत जांच शुरू करने के लिए जांच एजेंसियों को संबंधित विभाग से अनुमति लेने को कहा गया है। अभी तक यह व्यवस्था राज्य कर्मचारियों के लिए आगू थी, अब नौकरशाहों के मामले में भी यह निर्देश लागू हो गए हैं।
यह कहा गया है आदेश में
– सामान्य प्रशासन द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि धारा 17-ए के अंतर्गत निर्णय लेने संबंधी सक्षम प्राधिकारी अखिल भारतीय सेव एवं वर्ग-एक के अधिकारियों के मामले में समन्वय में मुख्यमंत्री होंगे। वर्ग-दो, वर्ग-तीन एवं वर्ग-चार के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मामले में संबंधित प्रशासकीय विभाग होगा।
– धारा 17-ए के अंगर्तत अनुमति हेतु प्राप्त प्रस्ताव का सर्वप्रथम संबंधित प्रशासकीय विभाग के नामांकित अधिकारी द्वारा चेकलिस्ट अनुसार प्रस्ताव की जांच की जाएगी। प्रस्ताव के परीक्षण के बाद संबंधित विभाग प्रशासकीय अनुमोदन प्राप्त कर अखिल भारतीय सेवा एवं वर्ग-एक के अधिकारियों के मामलों में समन्वय में आदेश प्राप्त करेगा एवं अन्य मामलों में प्रशासकीय अनुमोदन के आधार पर निर्णय अनुसार जांच एजेंसी को बताया जाएगा।
– सामान्य प्रशासन द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि धारा 17-ए के अंतर्गत निर्णय लेने संबंधी सक्षम प्राधिकारी अखिल भारतीय सेव एवं वर्ग-एक के अधिकारियों के मामले में समन्वय में मुख्यमंत्री होंगे। वर्ग-दो, वर्ग-तीन एवं वर्ग-चार के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मामले में संबंधित प्रशासकीय विभाग होगा।
– धारा 17-ए के अंगर्तत अनुमति हेतु प्राप्त प्रस्ताव का सर्वप्रथम संबंधित प्रशासकीय विभाग के नामांकित अधिकारी द्वारा चेकलिस्ट अनुसार प्रस्ताव की जांच की जाएगी। प्रस्ताव के परीक्षण के बाद संबंधित विभाग प्रशासकीय अनुमोदन प्राप्त कर अखिल भारतीय सेवा एवं वर्ग-एक के अधिकारियों के मामलों में समन्वय में आदेश प्राप्त करेगा एवं अन्य मामलों में प्रशासकीय अनुमोदन के आधार पर निर्णय अनुसार जांच एजेंसी को बताया जाएगा।