राज्यसभा: गृहमंत्री ने पेश किया जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने वाला बिल, एसपी ने किया समर्थन
नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज जम्मू कश्मीर में छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के लिए जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन संशोधन बिल 2019 राज्यसभा में पेश किया. गृहमंत्री की ओर से पेश इस प्रस्ताव पर राज्यसभा में चर्चा हो रही है. राज्यसभा में इसको लेकर चर्चा शुरू हुई. 5 घंटे का वक्त तय किया गया. इन 5 घंटों के दौरान सभी दल अपना-अपना मत सदन के सामने रखेंगे.कांग्रेस की तरफ से बोलते हुए विप्लव ठाकुर ने कहा कि यह प्रदेश की जनता के साथ अन्याय हो रहा है प्रदेश की जनता को अपनी नई सरकार चुनने का अधिकार है. अगर लोकसभा चुनाव हो सकते हैं तो फिर विधानसभा चुनाव में क्या दिक्कत है? बीजेपी की तरफ से बोलते हुए राकेश सिन्हा ने कहा कि जम्मू कश्मीर में अभी तक वहां के लोगों को ही हक नहीं मिल पा रहा. जम्मू का क्षेत्रफल कश्मीर से कहीं ज्यादा है लेकिन फिर भी प्रतिनिधित्व कम है. बता दें कि समाजवादी पार्टी ने सरकर के इस बिल का राज्यसभा में समर्थन किया है.
आपो बता दें कि पिछले शुक्रवार को लोकसभा में यह बिल पहले ही पास हो चुका है. लोकसभा में इस बिल पर जोरदार चर्चा हुई थी. कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण बिल का समर्थन किया तो वहीं राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने वाले बिल का विरोध किया था. वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर की समस्या को लेकर पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया था.
लोकसभा में अमित शाह ने कहा था, ‘अमित शाह ने आगे कहा, ‘’जम्मू कश्मीर में अभी विधानसभा अस्तित्व में नहीं है इसलिए मैं बिल लेकर आया हूं कि 6 माह के लिए राष्ट्रपति शासन को बढ़ाया जाए. चुनाव आयोग ने भी केंद्र सरकार और सभी राजनीतिक दलों से बात करके निर्णय लिया है कि इस साल के अंत में ही वहां चुनाव कराना संभव हो सकेगा.’’
शाह ने कहा, ‘’पहले कई बार जम्मू कश्मीर में हमने रक्त रंजित चुनाव देखे हैं. सबको इस पर मलाल होता था. इस बार 40 हजार पदों के लिए चुनाव हुआ पर एक भी व्यक्ति की जान नहीं गई. संसद के चुनाव में भी हिंसा नहीं हुई है. ये दर्शाता है कि जम्मू कश्मीर में लॉ एंड ऑर्डर बेहतर है.’’
जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल प्रस्ताव के तहत अब अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर से सटे गांव के लोगों को भी आरक्षण का फायदा मिलेगा. इसका सीधा फायदा जम्मू, सांबा और कठुआ के साढ़े 3 लाख लोगों को होगा. दरअसल अब तक जम्मू कश्मीर सरकार की नौकरियों में आरक्षण का फायदा सिर्फ एलओसी से सटे गांव के लोगों को ही मिलता था, लेकिन अब अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर से सटे गांव के लोगों को भी इसका फायदा मिल सकेगा.