Delhi Municipal Corporation … 10 साल बाद नया सवेरा, एकीकृत निगम में विशेष अधिकारी और आयुक्त ने संभाला कार्यभार

पहले दिन वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अश्विनी कुमार ने इसके विशेष अधिकारी और ज्ञानेश भारती ने आयुक्त के रूप में अपना कार्यभार संभाला। इसके बाद ज्ञानेश भारती ने विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार का स्वागत किया और उनका निगम के अधिकारियों से परिचय कराया।
अश्विनी कुमार और ज्ञानेश भारती
अश्विनी कुमार और ज्ञानेश भारती –

दस साल बाद दिल्ली में तीन की जगह फिर से एक नगर निगम ने रविवार से कामकाज शुरू कर दिया है। पहले दिन वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अश्विनी कुमार ने इसके विशेष अधिकारी और ज्ञानेश भारती ने आयुक्त के रूप में अपना कार्यभार संभाला। इसके बाद ज्ञानेश भारती ने विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार का स्वागत किया और उनका निगम के अधिकारियों से परिचय कराया। उन्होंने विशेष अधिकारी को नगर निगम की कार्य प्रणाली का संक्षिप्त विवरण भी दिया। इसके अतिरिक्त उन्हें नगर निगमों की विभिन्न योजनाओं के साथ-साथ चुनौतियों से अवगत कराया। इस अवसर पर निगम के विभिन्न विभागों के उच्च अधिकारी उपस्थित थे। निगम के सभी अधिकारियों ने विशेष अधिकारी व आयुक्त को शुभकामनाएं दीं।

ज्ञानेश भारती दिल्ली नगर निगम से पहले से परिचित हैं। तीन निगम होने पर वह दक्षिणी और पूर्वी निगम के आयुक्त थे। उन्होंने अश्विनी कुमार को निगम की कार्य योजनाओं और चुनौतियों के विषय में संक्षिप्त परिचय दिया। दिल्ली नगर निगम के दोनों अधिकारियों के बीच पहले दिन क्या बातचीत हुई, इसकी आधिकारिक जानकारी निगम की तरफ से साझा नहीं की गई, लेकिन मौके पर मौजूद निगम अधिकारियों के मुताबिक निगम की मौजूदा कार्य प्रणाली दोनों की आपस में बातचीत हुई। निगम की आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने के मुद्दे पर भी इनके बीच बातचीत हुई।

आर्थिक स्थिति को सुधारना पहली प्राथमिकता
अधिकारियों के मुताबिक आयुक्त ज्ञानेश भारती का सबसे ज्यादा फोकस दिल्ली नगर निगम की आर्थिक स्थिति को सुधारने पर होगा। इसे इनकी प्रमुख चुनौती के तौर पर देखा जासकता है। दक्षिणी निगम का आयुक्त रहते ज्ञानेश भारती ने कई प्रोजेक्ट किए, जो निगम के लिए कमाई का जरिया बने हैं। करोल बाग जोन और शहादरा जोन में वेस्ट टू वेल्थ सोच के तहत पहले से तय ऐसे प्रोजेक्ट वह जल्द शुरू कर सकते हैं।

दिल्ली सरकार से अपना पैसा लेना होगी चुनौती
निगम अधिकारियों के मुताबिक अश्विनी कुमार और ज्ञानेश भारती के बीच दिल्ली सरकार से निगम को मिलने वाले फंड पर भी बातचीत हुई। असल में एकीकरण के बाद भी दिल्ली नगर निगम की दिल्ली सरकार पर आर्थिक निर्भरता बनी रहेगी। ऐसे में निगम प्रशासन की कोशिश रहेगी कि वह हर हाल में दिल्ली सरकार से अपना पैसा निकलवाए। इसके लिए निगम अधिकारी कानूनी प्रक्रिया का उपयोग कर सकते हैं। पैसे के लेनदेन से संबंधित दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार के बीच मामला पहले से कोर्ट में चल रहा है।

निगम के काम जारी रखना पहली कोशिश
राजधानी में दिल्ली नगर निगम के 12 जोन हैं। निगम के अधिकारियों के मुताबिक सभी जोनल कार्यालयों के माध्यम से पहले की तरह निगम से संबंधित जनता के सारे काम होंगे। ऑनलाइन सेवाएं भी जारी रहेंगी। साफ सफाई की व्यवस्था बरकरार रहे, इसको लेकर दिल्ली नगर निगम सतर्क रहेगी।

नागरिकों को नहीं होगी समस्या
निगम के अधिकारियों के मुताबिक नागरिकों को निगम के कामों से किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने पाएगी। क्योंकि निगम के पास पर्याप्त संख्या में कर्मचारी काम करने के लिए उपलब्ध हैं।

दिल्ली नगर निगम की नई वेबसाइट अपडेट
दिल्ली नगर निगम की नई वेबसाइट भी रविवार को ही अपडेट हो गई है। दिल्ली के लोगों को निगम से जुड़े काम के लिए द्वष्स्रशठ्ठद्यद्बठ्ठद्ग.ठ्ठद्बष्.द्बठ्ठ पर जाने की आवश्यकता है। इस वेबसाइट को खेलने पर %सेलेक्ट योर सर्विस एरिया% की बटन बीच में खुलती है। इसपर क्लिक करते ही कॉलोनी, वार्ड और जोन का कॉलम खुलता है। यहां जाकर नागरिक अपनी सेवाओं का लाभ ले सकते हैं।

परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद तय होगी चुनाव की तारीख

दिल्ली नगर निगम के चुनाव के विषय में बात करना अभी जल्दबाजी होगी। क्योंकि दिल्ली नगर निगम के वार्ड़ों के परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही चुनाव की तारीख तय हो पाएगी। राजधानी दिल्ली की आखिरी बार हुई जनगणना के आधार पर निगम के वार्डों का परिसीमन होगा और महिलाओं और अनुसूचित जाति के लिए सीटें तय की जाएंगी।

दिल्ली चुनाव आयुक्त की अध्यक्षता में दिल्ली नगर निगम के वार्डों का परिसीमन होगा। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण होगा कि दिल्ली में 7 संसदीय क्षेत्र और 70 विधानसभा क्षेत्र हैं। एक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 10 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। दो विधानसभा क्षेत्र, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद और दिल्ली कैंट क्षेत्र में आते हैं। इसके अलावा दिल्ली की शेष सभी 68 विधानसभा क्षेत्र दिल्ली नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। 2007 में दिल्ली नगर निगम के वार्डों का परिसीमन किया गया। तब दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 के तहत संशोधन कर निगम में अधिकतम 300 वार्ड तय करने का प्रस्ताव रखा गया। बाद में दिल्ली में निगम में कुल 272 वार्ड बनाने पर सहमति बनी। सभी 68 विधानसभा के मुताबिक प्रत्येक विधानसभा में चार वार्ड बनाए गए।

परिसीमन के बाद तय होगी वार्डों की संख्या
दिल्ली नगर निगम संशोधित अधिनियम 2022 में अधिकतम 250 वार्ड होने का प्रस्ताव रखा गया है। परिसीमन के बाद तय हो पाएगा कि दिल्ली में कुल कितने वार्ड होंगे। दिल्ली की 68 विधानसभा के आधार पर तय होगा कि एक विधानसभा में कितने वार्ड बनाए जाएंगे। यदि एक विधानसभा में तीन वार्ड का आंकड़ा रखें तो हो सकता है कि दिल्ली में 200 के आस पास निगम वार्ड बनाए जाएं।

पहला परिसीमन 1993 में किया गया
दिल्ली राज्य चुनाव आयोग के गठन के बाद निगम वार्डों का पहला परिसीमन 1993 में 1991 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर किया गया। तब दिल्ली नगर निगम की 134 सीटों में से 25 सीटें महिलाओं और अनुसूचित जातियों के लिए तय की गई थीं।

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