पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को अपने ही स्वास्थ्य मंत्री डॉ. विजय सिंगला और उनके ओएसडी प्रदीप कुमार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। स्वास्थ्य मंत्री को कैबिनेट से बर्खास्त करने के बाद उन्हें ओएसडी समेत गिरफ्तार भी करवाया।
यह कार्रवाई किस अधिकारी की शिकायत पर हुई और पूरा मामला कैसे प्रकाश में आया…इसकी पूरा कहानी आइए जानते हैं विस्तार से…
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. विजय सिंगला और उनके ओएसडी प्रदीप कुमार के खिलाफ पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन के निगरान इंजीनियर (एसई) राजिंदर सिंह की शिकायत पर कार्रवाई हुई। शिकायतकर्ता ने इस संबंध में रिकॉर्डिंग और पुख्ता सबूत मुख्यमंत्री को सौंपे थे। राजिंदर सिंह ने बताया कि वह मोहाली के फेज-आठ स्थित पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन में डेपुटेशन पर बतौर निगरान इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं।
करीब एक महीना पहले जब वह दफ्तर में काम कर रहे थे तो उस दौरान स्वास्थ्य मंत्री डॉ. विजय सिंगला के ओएसडी प्रदीप कुमार का फोन आया। फोन पर प्रदीप कुमार ने कहा कि पंजाब भवन आ जाओ। मंत्री जी ने बुलाया है। पंजाब भवन के कमरा नंबर 203 में जब वह पहुंचे थे तो वहां स्वास्थ्य मंत्री और उनके ओएसडी मौजूद थे। उस दौरान मंत्री ने कहा कि वह जल्दी में हैं। प्रदीप कुमार आपसे बात करेंगे। वह जो कहेंगे समझ लेना कि मैं ही कह रहा हूं। प्रदीप कुमार ने कहा कि करीब 41 करोड़ रुपये का निर्माण कार्य अलॉट किया गया है। करीब 17 करोड़ रुपये की अदायगी मार्च महीने में ठेकेदारों को कर दी गई है।
कुल 58 करोड़ रुपये की रकम का दो फीसदी एक करोड़ 16 लाख रुपये बनता है। यह रकम उन्हें दी जाए। यह सुनते ही वे चौंक गए। इस पर राजिंदर कुमार ने कहा कि वह यह काम नहीं कर सकते। चाहे तो उन्हें वापस पुराने विभाग हाउसफेड में भेज दें। 20 मई को जब आरोपियों को लगा कि यह सौदा सिरे नहीं चढ़ रहा है तो ओएसडी ने कहा कि आप 10 लाख रुपये दे देना। वहीं आगे से जो भी ठेकेदारों को अदायगी की जाएगी, उसमें एक फीसदी उन्हें देते रहना। लगातार दबाव बनने से राजिंदर कुमार परेशानी में आ चुके थे। उन्होंने कहा कि वह सिर्फ पांच लाख रुपये दे पाएंगे।
23 मई को फिर प्रदीप कुमार का फोन आया और उन्हें मिलने सचिवालय बुलाया। यहां पर मंत्री ने राजिंदर को अपने ओएसडी को पांच लाख रुपये देने को कहा। पांच लाख रिश्वत मांगने की रिकॉर्डिंग राजिंदर के पास थी। इसे उन्होंने पुलिस और मुख्यमंत्री को सौंप दी थी। शिकायतकर्ता ने एक फोन नंबर का जिक्र अपनी शिकायत में किया है। इस पर 8, 10, 12, 13 और 23 मई को व्हाट्सएप कॉल आई और उन्हें बार-बार बुलाकर रिश्वत मांगी गई। आखिर में जब आरोपियों को लगा कि बात नहीं बनेगी तो उन्होंने धमकी दी कि यदि कमीशन नहीं दिया तो उनका करियर खराब कर देंगे।