यूपी बजट की पूरी कहानी ? ….. 70 साल में 149 करोड़ से 6 लाख करोड़ हो गया, पढ़िए…बजट की 5 खास बातें
यूपी के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना आज यूपी का बजट पेश करेंगे। प्रदेश में यह पहला मौका है जब पेपरलेस बजट पेश किया जाएगा। मतलब बजट भाषण के वक्त सुरेश खन्ना के हाथ में कोई कागज नहीं होगा। टैबलेट होगा। चमड़े के बैग से टैबलेट तक की इस यात्रा में पूरे 72 साल लगे हैं। साल दर साल बजट की राशि बढ़ी है। किसी ने एक बार तो किसी ने 11 बार बजट पेश किया। आइए आज बजट से जुड़ी 5 मजेदार बातें जानते हैं।
सबसे पहले बात योगी 2.0 कार्यकाल के पहले बजट की करते हैं
यूपी का 72वां बजट अब तक का सबसे बड़ा बजट होगा
योगी सरकार के पहले कार्यकाल का आखिरी यानी वित्त वर्ष 2021-22 का बजट 5.50 लाख करोड़ रुपए का था। उसके पहले यानी 2020-21 का बजट 5.13 लाख करोड़ रुपए का था। ऐसे में इस बार बजट के 6.10 लाख करोड़ के होने की संभावना है। चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों के लिए फंड जारी किए जा सकते हैं। यह यूपी का 72वां बजट है। पहला बजट 1952 में तब के सीएम गोविंद वल्लभ पंत ने पेश किया था।

अब तक के बजट से जुड़ी 5 खास बातें
1: पहले बजट से 4000 गुणा बड़ा होगा
1951 में यूपी में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए। कांग्रेस जीती और गोविंद बल्लभ पंत सीएम बने। 14 मार्च 1952 को यूपी का पहला बजट पेश किया गया। यह बजट 149 करोड़ रुपए का था। इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने पर जोर दिया गया था। चीनी मिलों के निर्माण के लिए फंड जारी किए गए थे। 1952 के बजट और 2022 के बजट की तुलना करें तो पता चलता है कि यह बजट करीब 4000 गुना बड़ा हो गया है।
2: चमड़े वाले बैग से टैबलेट तक का सफर
गोविंद बल्लभ पंत ने जब पहला बजट पेश किया था, उस वक्त वह चमड़े का बैग लेकर सदन पहुंचे थे। उनके बाद सीएम चंद्रभानु गुप्ता, सम्पूर्णानंद, सुचेता कृपलानी भी चमड़े का बैग लेकर सदन पहुंचे और बजट पेश किया। 1970 में चरण सिंह सीएम बने तो थोड़ा सा बदलाव हुआ और सूटकेस लेकर सदन पहुंचे। उसके बाद वीपी सिंह, मुलायम सिंह, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, मायावती, अखिलेश यादव और अब सुरेश खन्ना, ये सभी लोग सूटकेस लेकर बजट पेश करने सदन पहुंचे।

अंग्रेजो की परंपरा थी सूटकेस
1860 में भारत पर ब्रिटिश का राज था। ब्रिटेन के चांसलर ऑफ दी एक्सचेकर चीफ विलियम एवर्ट ग्लैडस्टन ने पहली बार बजट पेश किया। बजट से जुड़े कागजात को सदन तक ले जाने के लिए ब्रिटेन की क्वीन ने ग्लैडस्टन को एक चमड़े का बैग दिया था। यह इतना प्रसिद्ध हुआ कि बजट से जुड़े कागज इसी में रखकर ले जाए गए। ब्रिटेन में 2010 तक यह चला। सूटकेस जर्जर हो गया तो इसे म्यूजियम में रखवा दिया गया और एक नए लेदर बैग का इस्तेमाल किया जाने लगा।
3: एनडी तिवारी ने सबसे ज्यादा बार बजट जारी किया
पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी ने सबसे अधिक 11 बार बजट पेश किया। वह पहली 21 जनवरी 1976 को सीएम बने। मार्च 1976 में पहली बार बजट पेश किया। तीन बार वह सीएम रहे। इस दौरान 4 बार बजट पेश किया। 7 बार वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने यूपी का बजट पेश किया। 2017 में एनडी तिवारी ने बेटे के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली।

दूसरे नंबर पर मुलायम सिंह यादव हैं। उन्होंने 9 बार बजट पेश किया। उनके बेटे अखिलेश यादव 2012 ने 2017 तक लगातार 5 बार बजट पेश करके इस कड़ी में तीसरे नंबर पर हैं। चौथे नंबर पर मायावती हैं। उन्होंने 4 बार बजट पेश किया। सीएम योगी के कार्यकाल में सुरेश खन्ना बजट पेश करते आ रहे हैं।

4: बजट बुक छापना बंद
वित्त वर्ष 2021-22 के बजट से बजट बुक छपनी बंद हो गई। किताब छपवाने का नियम 1952 के पहले बजट से ही चला आ रहा है। किताब बंद करवाने के पीछे की वजह यूपी बजट ऐप है। यह प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। इस ऐप के जरिए बजट संबंधी सभी जानकारी मिल जाती है। 2020-21 के बजट के आंकड़े भी इस ऐप पर उपलब्ध हैं।
5: बजट बनाने में कितना वक्त लगता है
यूपी के बजट को तैयार करने में 4 महीने का वक्त लगता है। चनाव होने के चलते वित्त वर्ष 2022-23 का बजट मार्च में पेश नहीं हो सका। अगर यह मार्च में जारी होता तो नवंबर में तैयारी शुरू हो जाती है। बजट बनाने वाली टीम पूरी प्रकिया के वक्त मुख्यमंत्री, वित्तमंत्री से इनपुट लेती रहती है। बजट बनाने और इसे पेश करने से पहले इंडस्ट्री ऑर्गनाइजेशन और इंडस्ट्री के जानकारों से भी वित्त मंत्री चर्चा करते हैं।