नाइट क्लब की कहानियां, महिला स्टाफ की जुबानी:मिसबिहैव हमारे काम का हिस्सा है, क्योंकि हमें बपौती समझा जाता है

नाइट क्लब कोई भी हो, लेकिन स्टाफ की कहानियां हमें लगभग एक जैसी ही मिलीं। क्लब के स्टाफ ने दैनिक भास्कर को बताया कि वो किन हालात में काम करते हैं। आइए आपको बताते हैं क्लब की ऐसी ही 5 कहानियां…लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि गोमती नगर विभूतिखंड की समिट बिल्डिंग में 12 नाइट क्लब हैं। हर एक क्लब में औसतन 8 गार्ड तो रहते ही हैं। इनमें भी 2 महिलाएं होती है। फिर, मैनेजर और असिस्टेंट मैनेजर जैसी पोस्ट के लोग काम करते हैं। जो खुद भी यहां होने वाले हंगामों से बच नहीं पाते हैं।

इस तस्वीर में ब्लैक ड्रेस में महिला गार्ड है, जो लिफ्ट में एक लड़की से छेड़खानी होने के बाद पहुंची थीं। लेकिन, उनके साथ भी लड़कों ने मिसबिहेव किया।
इस तस्वीर में ब्लैक ड्रेस में महिला गार्ड है, जो लिफ्ट में एक लड़की से छेड़खानी होने के बाद पहुंची थीं। लेकिन, उनके साथ भी लड़कों ने मिसबिहेव किया।

कहानी 1 : 3 साल पहले तक फैमिली आती थीं, अब तो सिर्फ झगड़े होते हैं यहां
काजल कहती हैं कि मैंने ढाई साल पहले नाइट क्लब में जॉब शुरू की थी। आपको जानकर हैरानी होगी। लोग फैमिली के साथ भी आते थे। हमसे डिस्टेंस से ही बात की जाती थी। फिर, बैचलर लड़कों की पार्टियों में गाली-गलौज और मारपीट बढ़ गई। बातचीत का स्तर भी काफी गिर गया। अब यहां फैमिली नहीं आती हैं। एंट्री के लिए ही लोग रौब दिखाते हैं। गंदे-गंदे शब्द कहते हैं। कई बार मैनेजर या बाउंसर ही हमें बचाते हैं। वरना हमारे साथ भी मारपीट हो सकती है। लेकिन, नौकरी है.. घर तो चलाना ही है।

कहानी 2 : हमें क्लब में कब-कौन गलत तरीके से छू ले, कह नहीं सकते
पल्लवी ढाई साल में यहां अलग-अलग क्लब में नौकरी कर चुकी हैं। वो कहती हैं, मेरी मजबूरी है। परिवार गरीब है, मेरी कमाई उनकी मदद देती है। अब क्लब के माहौल की बात करें तो हमें कब गलत तरीके से कोई छू ले। ये कहा नहीं जा सकता। पहले ये सब गलत लगता था। लेकिन, अब आदत पड़ चुकी है। वैसे रात 12 बजे के बाद क्लब से हमें गाड़ी दी जाती है। ताकि कम से कम घर तो हम सुरक्षित पहुंच जाएं। ऐसा नहीं है कि क्लब वालों को हमारी चिंता है। ये सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हें कल भी हमसे काम लेना है।

कहानी 3 : क्लब में आने वाला हर शख्स अच्छा नहीं होता
एंट्री के नियम हैं कि ज्यादा ड्रिंक किए हुए शख्स को क्लब में नहीं आने दिया जाए। लेकिन, क्लब ऐसे लड़कों को भी आने देते हैं। यहां एक क्लब में काम करने वाली राशि बताती हैं कि हंगामे होते ही इसलिए हैं। लड़कियों से छेड़खानी होती हैं। जो लड़कियां ज्यादा पी लेती हैं, वो भी हमें गालियां देती हैं। बॉस को बता दें तो हमें ही कहा जाता है कि ये तो हमारे काम का ही हिस्सा है। ऐसा भी कह सकते हैं कि हमारे साथ होने वाले गलत व्यवहार के लिए कोई नियम ही नहीं है। क्योंकि हमें बपौती समझा जाता है।

कहानी 4 : 10 घंटे की ड्यूटी में बेइज्जती भी झेलते हैं
यहां एक क्लब में काम करने वाले मैनेजर कहते हैं कि काम करने वाले 80% स्टाफ की सैलरी 15 हजार से कम है। जबकि ड्यूटी 10 घंटे की होती है। यहां आने वाले लड़के-लड़कियां आमतौर पर बड़े घर से ताल्लुक रखते हैं। सिर्फ एंट्री के लिए IAS से लेकर जज तक का परिचय देते हैं। कई बार तो एंट्री नहीं देने पर मारपीट कर लेते हैं। ऐसे हालात से रोज ही जूझना पड़ता है।

कहानी 5 : लड़कियां इतना नशा कर लेती हैं, हमें घर भी छोड़ना पड़ता है
क्लब में काम करने वाली महिला बाउंसर श्वेता बताती हैं कि कई बार लड़कियों को घर तक छोड़ना पड़ता है। उनके आईडी कार्ड या मोबाइल की मदद से एड्रेस ढूंढते हैं। तब वो सिक्योर घर तक पहुंच पाती हैं। बहुत दुख होता है, अच्छे घर की लड़कियों को नशे में देखकर। लेकिन, हम कर भी क्या सकते हैं। यहां क्लब में भी कौन सा वर्क कल्चर है। जॉब सिक्योरिटी भी नहीं है।

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