MP में नौकरी का दर्द…:चयनित शिक्षक बोले-उम्र बची न हिम्मत, घर जाकर क्या जवाब देंगे; नौकरी दें या ईच्छामृत्यु

मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरियों की तस्वीर समझनी हो तो चेतक ब्रिज के पास लोक शिक्षण संचालनालय दफ्तर के बाहर जुटे इन बेरोजगारों का दर्द जरूर सुनिए। यहां चीख पुकार मची है। किसी की मौत का मातम नहीं सरकारी सिस्टम का दर्द है ये। रो-रोकर महिलाएं बेहोश हो रही हैं। कहती हैं कि मर जाएंगी लेकिन घर नहीं जाएंगी। एक टाइम खाना खाकर जी रहे हैं। अब न उम्र बची है न दूसरी परीक्षा देने की हिम्मत।

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उम्र 50 की होने को है। यहां जॉइनिंग के लिए नारेबाजी कर रही है। घर में बच्चों को छोड़कर आई हैं। कहकर आई हैं कि अबकी बार नौकरी लेकर ही आएंगी। लेकिन यहां इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। अफसर जब यहां से गुजरते हैं तो सिक्योरिटी का घेरा बन जाता है। 70 दिन से ये बारी-बारी से धरने पर बैठ रहे थे। आज पूरे प्रदेश के वो ओबीसी चयनित शिक्षक जुटे हैं, जिन्हें जॉइनिंग नहीं मिल रही है।

लोक शिक्षण संचालनालय के बाहर धरने पर बैठे चयनित शिक्षक।
लोक शिक्षण संचालनालय के बाहर धरने पर बैठे चयनित शिक्षक।

ये कहते हैं कि हमें ऐसे ट्रीट किया जाता है जैसे हम अछूत हैं, आतंकवादी हैं। कोई हमारी बात सुनने तैयार नहीं है। न हमको ये बता रहे हैं कि नौकरी देंगे न ये बता रहे हैं कि नौकरी नहीं मिलेगी।

बच्चों को क्या जवाब देंगे

श्वेता सोनी कहती हैं कि इस भर्ती ने हमारा जीवन बर्बाद कर दिया। सभी प्रदेशों में भर्तियां हो गई। हम तो कहेंगे कि बच्चों को पढ़ना ही नहीं चाहिए। पढ़ लिखकर आपको यहां भीख मांगनी पड़ेगी। हमने परीक्षा देकर ही गलती कर दी। हम अपने बच्चों को घर में छोड़कर आते हैं। लेकिन यहां हमको जवाब देने वाला नहीं है।

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