ग्वालियर.  रोटी,कपड़ा और मकान यह व्यक्ति की अति आवश्यक चीजें हैं। लेकिन कपड़ा और मकान के अभाव में तो व्यक्ति रह सकता है पर रोटी के बिना नहीं रह सकता। इसलिए शुद्ध भोजन व जल मिलना जरुरी है। आज के समय में मिलावटी भोजन लोगों की परेशानी का कारण बन गया है। लोगों में बाहर के खाने का प्रचलन बढ़ा है।

होटल, रेस्टोरेंट या फिर पैक्ड फूड का का सेवन बीमारियों का कारण भी बन रहा है। क्योंकि ताजा भोजन न मिलना व ऐसी सामग्री का प्रयोग करना जो स्वादिष्ट तो लगे पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो। उसका सेवन मानव शरीर पर बुरा प्रभाव डाल रही है। जिसको लेकर अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढती जा रही है। पैक्ड फूड/डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ/ का सेवन शरीर के लिए कितना फायदेमंद या नुकसान दायक है। इसकी जानकारी इन पदार्थो के सेवन करने वाले को होना चाहिए। जिससे उसे पता चले कि जिस पदार्थ खून पसीने की कमाई खर्च कर सेवन करने जा रहा है। वह पदार्थ उसे कितना स्वस्थ्य रखने में सहायक सिद्द होगा। इसी बात को लेकर देश भर से मांग उठ रही है कि पैक्ड फूड में शामिल होने वाली सामग्री(इंग्रीडेंट) का उसकी पैकिंग के सामने वाले हिस्से पर बड़े अक्षर में प्रकाशित किया जाना चाहिए। पोषण संबंधी यह जानकारी उम्र और वजन के हिसाब से हो ताकि उपयोगकर्ता जान सके कि शीतयपेय, चिप्स और नमकीन उनके शरीर को कितना फायदा या नुकसान पहुंचा रहे हैं। अभी जो जानकारी प्रकाशित की जाती है उसमें स्पष्ट नहीं होता कि एक विशेष वजन और उम्र वाले व्यक्ति को यह सामग्री कितना लाभ या नुकसान पहुंचा रही है। जीआर मेडिकल कालेज के शिशुरोग विशेषज्ञ प्रो डा अजय गोर का कहना है कि पर्यावरण थिंक टैंक सेंटर पुोर साइंस एंड एनवायरमेंट के फूड लेबलिंग पर नवीनत विश्लेषण ने फ्रंट आफ पैक लेबलिंग पर एक काननू का आह्वान किया है जो उपभोक्ता को अस्वास्थ्यकर पैक्ड जंक फूड के बारे में सरल व प्रभावी तारीक से सूचित कर सके। जिसको लेकर देश भर के शिशुरोग विशेषज्ञ व अहार विशेषज्ञों से राय मांगी गई है। जो शासन के समक्ष कैबिनेट कमेटी की बैठक में रखी जाएगी।