Gwalior …खर्च पर सवाल …? एक महापौर प्रत्याशी के लिए 35 लाख लिमिट पर सभी सात का कुल खर्च 31.70 लाख रुपए
महापौर पद के किस प्रत्याशी ने कितना खर्च बताया
- नगर निगम चुनाव में खर्च को लेकर सामने आई चौकाने वाली रिपोर्ट
व्यय लेखा टीम ने 7 जुलाई तक के खर्च की, जो रिपोर्ट तैयार की है उसमें पार्षद पद के 25 उम्मीदवारों ने हिसाब ही नहीं दिया है, जबकि इनको नोटिस जारी हो चुके हैं। इनमें 8 प्रत्याशी कांग्रेस, भाजपा, आप और बसपा के हैं, बाकी निर्दलीय।
व्यय लेखा टीम के नोडल अधिकारी योगेंद्र कुमार सक्सेना ने कहा कि नगर निगम के सभी 365 प्रत्याशियों को परिणाम की घोषणा के 30 दिन बाद तक हिसाब प्रस्तुत करना है। प्रचार के दौरान महापौर-पार्षद पद के प्रत्याशियों के लिए भाजपा-कांग्रेस के नेताओं ने सभा व रोड-शो किए थे। टीम के मुताबिक इस तरह के आयोजन पर, जो खर्च हुआ है वह प्रत्याशियों के बीच बराबर-बराबर जुड़ेगा। अभी तक अधिकतर प्रत्याशियों के खाते में सभा व रोड-शो का खर्च नहीं जुड़ा है।
ग्रामीण क्षेत्र में सबसे कम खर्च… वार्ड-56 से 66 तक के 11 वार्ड में 6 ग्रामीण माने जाते हैं। इन 11 वार्ड में 57 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। यहां मतदान अन्य वार्डों की तुलना में काफी हुआ पर खर्च कम। उक्त वार्ड क्षेत्र के 44 प्रत्याशी ऐसे हैं, जिन्होंने चुनावी खर्च सिर्फ 2500-2500 रुपए ही बताया है। व्यय लेखा टीम के सदस्यों को इस पर यकीन नहीं हो रहा है। चार निर्दलीय प्रत्याशियों ने खर्च ही नहीं बताया।
एक्सपर्ट… लोकल इलेक्शन में खर्च का ऑडिट करना मुश्किल
चुनाव प्रचार का खर्च लोकसभा, विधानसभा में छुपाना मुश्किल है,क्योंकि तीन बार ऑडिट होती है। एक-एक विधानसभा में दो-तीन प्रेक्षक, 20-20 वीडियो टीम होती हैं, लोकल इलेक्शन में इतना संभव नहीं है। जहां तक वोटर लिस्ट में नाम न होने का सवाल है, तो लोकसभा, विधानसभा चुनाव की लिस्ट में सुधार के लिए बड़े-बड़े विज्ञापन देकर लोगों को सूचना दी जाती है। इस चुनाव में ऐसा कम होता है। इसका फायदा राजनीतिक दल उठाते हैं, वे ऐसे लोगों के नाम हटवा देते हैं, जो उनके विरोधी होते हैं।
-ओपी रावत, देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त