फॉर्म फिलिंग फीस में फिर बढ़ोतरी …? मेडिकल परीक्षाओं में सबसे महंगा एग्जाम, FMGE CUET से डीयू का आवेदन शुल्क भी हुआ तिगुना

  • 7080 रुपए तक पहुंची एफएमजीई की एंट्रेंस फीस, फॉर्म फिलिंग लगातार हो रही महंगी
  • मेडिकल परीक्षाओं में सबसे अधिक बढ़ा शुल्क

उदाहरण के तौर पर आईआईएम में प्रवेश के लिए होने वाले कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) में 2019 से 2021 के बीच 300 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। 2019 में इसकी फीस 1900 थी, जो 2021 में बढ़कर 2200 रुपए हो गई। इसी तरह इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई एडवांस्ड व मेडिकल एंट्रेंस नीट यूजी में मात्र 200 रुपए बढ़े हैं। 2019 तक एडवांस्ड की फॉर्म फीस 2600 रुपए थी जो अब 2800 रुपए है। इसी तरह 2019 में नीट यूजी की फीस 1400 थी जो 2022 में 1600 रुपए है।

लगभग 500 रुपए तक बढ़ी डीयू के फॉर्म की फीस

इस साल से लागू हुए सेंट्रल यूनिवर्सिटीज एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) यूजी में जनरल कैटेगिरी के लिए फीस 650 रुपए है। इसके अलावा जीएसटी शुल्क भी लगा है। दिल्ली यूनिवर्सिटी जैसे केंद्रीय विश्वविद्यालयों में इससे पहले लगने वाले शुल्क से यह संख्या लगभग तिगुनी हो रही है। डीयू में सामान्य वर्ग के लिए फीस अब तक 250 रुपए थी। इसके अलावा बीएचयू, एएमयू आदि में भी फीस कम थी। जोकि सीयूईटी के चलते बढ़ गई है।

हिसाब ही नहीं देती परीक्षा करवाने वाली एजेंसियां

एनबीई से जब एग्जाम में होने वाले खर्च का ब्यौरा पूछा गया तो अधिकारियों का कहना था कि वे खर्च का ब्यौरा नहीं रखते। वहीं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी भी अब ऑडिट करवाने वाली है, जबकि एनटीए के गठन को लंबा समय हो गया है। मेडिकल की मुख्य परीक्षाएं करवाने की जिम्मेदारी एनटीए और एनबीई की होती है। वहीं काउंसलिंग मेडिकल काउंसलिंग कमेटी की ओर से आयोजित की जाती है।

एजेंसीस को हर साल ऑडिट को सार्वजनिक करना चाहिए

पिछले सालों में लगातार फॉर्म की फीस बढ़ाई जा रही है। जितनी संख्या में फाॅर्म फीस बढ़ी है उतनी आवेदकों की संख्या नहीं बढ़ी है। परीक्षा एजेंसियां नहीं बताती कि फॉर्म से हुई आय का पूरा पैसा कहां खर्च किया जाता है। एजेंसीज को हर साल अपने ऑडिट को सार्वजनिक करना चाहिए।
-विवेक पांडे, मेडिकल एजुकेशन एक्टिविस्ट

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