भोपाल. : गड़बड़ियों का आयुष्मान …? निजी अस्पतालों का 800 करोड़ का भुगतान रोका

गड़बड़ियों का आयुष्मान : निजी अस्पतालों का 800 करोड़ का भुगतान रोका….
छोटी बीमारियों के नाम पर करोड़ों का घोटालाफर्जीवाड़े का गढ़ भोपाल…

भोपाल. आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा सामने आने पर सरकार ने निजी अस्पतालों का करीब 800 करोड़ का भुगतान रोक दिया है। हर मरीज के इलाज के पर्चों की पड़ताल के बाद ही भुगतान होगा। योजना से संबद्ध करीब 550 में से 300 निजी अस्पतालों की जांच हुई है। पाया गया कि इनमें 28 ऐसे हैं, जहां करोड़ों का घोटाला हुआ। अब वसूली के लिए प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग ने शासन के पास भेजे हैं।

खास ये कि छोटी बीमारियों के इलाज के नाम पर करोड़ों रुपए का क्लेम किया गया। भले ही कार्डधारकों की किसी भी बीमारी का इलाज किया गया हो, लेकिन रिकॉर्ड में सिर्फ चार बीमारियां दर्ज होती थीं। इनमें उल्टी-दस्त-निर्जलीकरण, मवाद के कारण ऑपरेशन, अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ना और लिवर में संक्रमण-पीलिया शामिल हैं।

छोटी बीमारियों…

उल्टी-दस्त के मरीजों के भर्ती होने पर सीएमएचओ कार्यालय को तुरंत सूचना देना अनिवार्य है, ताकि मरीज के घरों के आसपास डीडीटी का छिड़काव कर क्षेत्र को संक्रमण मुक्त किया जा सके। बावजूद इसके किसी भी निजी अस्पतालों ने सूचना नहीं दी। दूसरे नंबर पर आइसीयू ऑक्सीजन वार्ड में अनियमितताएं सामने आई

उल्टी-दस्त के मरीजों के भर्ती होने पर सीएमएचओ कार्यालय को तुरंत सूचना देना अनिवार्य है, ताकि मरीज के घरों के आसपास डीडीटी का छिड़काव कर क्षेत्र को संक्रमण मुक्त किया जा सके। बावजूद इसके किसी भी निजी अस्पतालों ने सूचना नहीं दी। दूसरे नंबर पर आइसीयू ऑक्सीजन वार्ड में अनियमितताएं सामने आई।

जिम्मेदार कंपनी ही लगाती रही चूना

आयुष्मान के तहत निजी अस्पतालों की पड़ताल करने के लिए सरकार ने विड़ाल कंपनी को नियुक्त किया था। उसे मरीजों को भर्ती कराने, क्लेम पास कराने और इलाज के लिए अस्पताल अधिकृत है या नहीं इसकी जांच करनी थी। कंपनी के पास थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर का भी काम था। प्रति माह करोड़ों का भुगतान किया जाता है। इसके बाद भी कंपनी मरीजों और निजी अस्पतालों के साथ मिलकर सरकार को चूना लगाती रही। अब संभव है कि कंपनी कोयोजना से बाहर कर दिया जाए।

घट गए मरीज

छापामार कार्रवाई के बाद अस्पतालों में मरीजा कम हो गए हैं। जिस अस्पताल में 33-50 मरीज भर्ती रहते थे। अब तीन-चार मरीज मिल रहे हैं। क्लेम राशि जहां पहले हर दिन 50-80 लाख तक बनती थे, वह अब पांच लाख के नीचे आ गई है।

गड़बड़ी करने वाले अस्पतालों से वसूली होगी। संबद्धता से बाहर किया जाएगा। घोटाले को रोकने डॉक्टरों की टीम निगरानी करेगी। कॉल सेंटर्स से भी भर्ती मरीजों का सत्यापन किया जाएगा।

प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री

अब प्रत्येक मरीज के पर्चों की पड़ताल के बाद होगा भुगतान
फर्जीवाड़े का गढ़ राजधानी भोपाल हैछापे में जिन 28 अस्पतालों में गंभीर अनियमितताएं मिलीं, उनमें 19 भोपाल के हैं। रीवा में रीवा हॉस्पिटल, ग्वालियर में दो और अन्य जिलों के अस्पताल हैं। राजधानी के ये अस्पताल निशाने पर….

लोटस हॉस्पिटल

● माउंट हॉस्पिटल

● नवजीवन हॉस्पिटल

● अनंतश्री हॉस्पिटल

● आराधना हॉस्पिटल

● मोना हॉस्पिटल

● आयुष हॉस्पिटल भोपाल

● नागपुर हॉस्पिटल भोपाल

● न्यूरान ट्रामा सेंटर मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल

● एलेक्सिस हॉस्पिटल

● होप एसएम हॉस्पिटल

● लक्ष्मी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल

● न्यू एरा सुपर मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल

● ट्रिनिटी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल

● एलबीएस हॉस्पिटल

● मल्टी केयर हॉस्पिटल

● भोपाल केयर हॉस्पिटल

● गुडविल हॉस्पिटल

● सिल्वर लाइन हॉस्पिटल

● रीवा हॉस्पिटल, रीवा

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