पॉलिश्ड दाल-चावल खाया तो पैरों पर नहीं हो पाएंगे खड़े …?
मां का दूध पीने वाले बच्चों को हो सकती है दिल की बीमारी, याददाश्त गायब….
अनाज को पॉलिश करने से इसमें मौजूद माइक्रो न्यूट्रिएंट्स और मैक्रो न्यूट्रिएंट्स हट जाते हैं। मैक्रो और माइक्रो न्यूट्रिएंट्स के तहत जिंक, थायमाइन, फाइबर, पोटेशियम और एंटीऑक्सीडेंट आते हैं। ये पोषक तत्व मानव शरीर के उचित विकास के लिए जरूरी हैं। इनकी कमी से कई मेटाबॉलिक डिजीज हो सकते हैं। एकार्ड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की सीनियर डायटीशियन बरखा बता रही हैं अनपॉलिश्ड अनाज किस तरह से सेहत को नुकसान पहुंचता है, इसकी पहचान का तरीका और खाने के पोषक तत्व बरकरार कैसे रखें।
मैक्रो न्यूट्रिएंट्स और माइक्रो न्यूट्रिएंट्स क्या हैं?
शरीर को ज्यादा मात्रा में मैक्रो न्यूट्रिएंट्स की जरूरत होती है। इसमें फैट, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन शामिल हैं। ये शरीर को ऊर्जा देते हैं। इन्हें मैक्रो भी कहते हैं। माइक्रो न्यूट्रिएंट्स के तहत विटामिन और मिनरल आते हैं। इनकी कमी से शरीर में कई विकार हो सकते हैं।
पॉलिश्ड अनाज से हो सकती हैं ये बीमारियां
पॉलिश्ड अनाज न्यूरॉन पर असर डालता है जिससे नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियां होती हैं। इसमें डिमेंशिया, एंग्जायटी, अल्जाइमर, पार्किन्सन जैसे रोग शामिल हैं। डिमेंशिया और अल्जाइमर में मरीज की याददाशत चली जाती है। पार्किन्सन से पीड़ित व्यक्ति की कार्य क्षमता कम होती है।
पॉलिश्ड चावल से दिल की बीमारी
चावल को पॉलिश करने से इसकी भूसी, चोकर और कुछ पोषक तत्व निकल जाते हैं। श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च में बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी विभाग की रिसर्च के अनुसार, चावल में विटामिन बी1 होता है जो मां के दूध को शिशु के लिए पौष्टिक बनाता है। पॉलिश्ड चावल खाने वाली महिलाएं जब शिशु को स्तन पान कराती हैं तो उसे पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इससे नवजात को दिल की बीमारी का खतरा रहता है।
दाल भी है हानिकारक
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के मुताबिक, मूंग और मसूर की पॉलिश्ड दाल सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है। इन दालों को कीट से बचाने के लिए ग्लाइफोसेट कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है। ग्लाइफोसेट मानव शरीर के संपर्क में आने से आंखों, गले और त्वचा पर खुजली होती है। इसे देखकर पहचाना नहीं जा सकता, लैब टेस्टिंग से ही पता लगाया जा सकता है। नेशनल पेस्टीसाइड इंफॉर्मेशन सेंटर के अनुसार, ग्लाइफोसेट की मात्रा ज्यादा है तो कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है। यूरोपीय फूड सेफ्टी अथॉरिटी के मुताबिक, फार्मिंग में सावधानी से इस कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाए तो कैंसर नहीं होगा।
खेसारी दाल से बच्चों में अपंगता
इसे लतरी और लाकाहोली भी कहते हैं। यह दाल दिखने में अरहर की तरह और सस्ती होती है। मुनाफाखोर इसे अरहर की दाल में मिलाकर बेचते हैं। इसमें मौजूद डी अमीनो प्रोपियोनिक एसिड न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का कारण बनता है जिससे लैथरिज्म बीमारी होती है। इसमें शरीर का निचला हिस्सा सुन्न हो जाता है और पैर बेकार हो जाते हैं। इस दाल पर बैन लग चुका था। लेकिन बाद में इस दावे का खंडन कर बैन हटा दिया गया था।
पॉलिश्ड अनाज की पहचान का तरीका
- बाजार से ऑर्गेनिक अनाज ही खरीदें। छिलका लगी हुई दाल पॉलिश नहीं होती है। पॉलिश्ड अनाज साफ-सुथरा, चमकदार और सस्ता होता है।
- दाल या चावल के पोषक तत्व बरकरार रखने के लिए इसे दो बार से ज्यादा न धोएं। खाने के न्यूट्रिएंट्स बरकरार रखने के लिए कुकिंग मेथड सही होना चाहिए। प्रेशर कुकर में बना खाना पोषक तत्वों से भरपूर होता है।
- गर्भवती महिलाओं को अनाज अंकुरित करके खाना चाहिए। इससे उन्हें फोलिक एसिड मिलता है जो गर्भ में पल रहे शिशु के लिए फायदेमंद है।
दाल और चावल है सम्पूर्ण आहार
रोज के खाने में दाल-चावल और खिचड़ी काफी फायदेमंद है। इसमें अधिक मात्रा में पोषक तत्व होते हैं। बच्चों और बड़ों के लिए यह हेल्दी डाइट है। खिचड़ी को ज्यादा पौष्टिक बनाना है तो इसमें हरी सब्जियां डालें।
पॉलिश्ड अनाज और अनपॉलिश्ड अनाज में फर्क
अनपॉलिश्ड दाल 5 से 6 महीने तक इस्तेमाल लायक रहती है। पॉलिश्ड दाल की शेल्फ लाइफ 9 से 10 महीने तक ही रहती है।