भारत में पेपर लीक कितनी गंभीर समस्या?

भारत में पेपर लीक कितनी गंभीर समस्या? जानिए कहां कितने एग्जाम हुए रद्द, अब कैसे नकेल कसने की तैयारी में सरकार
क्या आप जानते हैं भारत में पेपर लीक की समस्या कितनी गंभीर है? ये केवल परीक्षा व्यवस्था में खामी नहीं है, बल्कि लाखों युवाओं के सपनों को चकनाचूर करने वाला एक बड़ा मुद्दा है.

भविष्य की राह देख रहे लाखों युवाओं के लिए सरकारी नौकरियां किसी सपने से कम नहीं होती. महीनों की मेहनत के बाद मिलने वाला एक अवसर उनकी जिंदगी बदल सकता है. लेकिन क्या हो जब उनकी मेहनत पर पेपर लीक का दाग लग जाए? 

हाल ही में 28 जनवरी को झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की ओर से आयोजित कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल एग्जाम का थर्ड पेपर लीक हो गया. इसके बाद कमीशन ने जनरल नॉलेज का एग्जाम रद्द कर दिया था. 

हालांकि झारखंड में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. झारखंड में पिछले साल भी आयोग के डिप्लोमा कंपटीशन एग्जाम के पेपर लीक हो गए थे. जांच की तो एग्जाम लेने वाली एजेंसी के लोग ही शामिल पाए गए.

राज्य में सख्त कानून के बावजूद आरोपी बेखोफ
झारखंड में पेपर लीक और नकल रोकने के लिए सख्त कानून होने के बावजूद ऐसे मामले सामने आते रहते हैं. पेपर लीक रोकने के लिए झारखंड में नया कानून बना, इसका नाम है ‘झारखंड प्रतियोगी परीक्षा अधिनियम 2023’. इस कानून के तहत अगर कोई भी प्रतियोगी पेपर लीक करते पाया जाता है तो उसे कम से कम 10 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा से लेकर 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है. 

पेपर लीक और किसी कंपीटेटिव एग्जाम के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाने वाले भी इस कानून के दायरे में आते हैं. इसमें एग्जाम कराने वाले व्यक्ति, एजेंसियां, प्रिंटिंग प्रेस और साजिश में शामिल लोग भी दायरे में आते हैं. 

कितने लोगों का भविष्य भंवर में फंसा?
हाल के सालों में भारत में पेपर लीक की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं, जिससे एग्जाम को रद्द करना पड़ता है और छात्रों के भविष्य पर गहरा असर पड़ रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2017-2023 तक सात सालों में अलग-अलग राज्यों में पेपर लीक के 70 से ज्यादा मामले सामने आए और 1.5 करोड़ से ज्यादा छात्र प्रभावित हुए हैं.

  • बिहार बोर्ड की दसवीं की परीक्षा का पेपर 6 बार लीक हो चुका है.
  • पश्चिम बंगाल में राज्य बोर्ड परीक्षा के पेपर कम से कम 10 बार लीक हुए.
  • तमिलनाडु में 2022 में दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा के पेपर लीक हुए.
  • राजस्थान में 2018 से 2022 तक सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली 12 परीक्षाएं रद्द हुईं.

पेपर लीक के कारण कितने राज्य प्रभावित?

पेपर का लीक होना केवल स्कूल बोर्ड के एग्जाम तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कई राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में भी बड़े पैमाने पर होता है. राजस्थान पिछले कुछ सालों में पेपर लीक के लिए सुर्खियों में रहा है. यहां 2015 से 2023 के बीच कई कंपटीशन एग्जाम के पेपर लीक के 14 से ज्यादा मामले देखे गए, जिसके बाद एग्जााम रद्द करने पड़ गए.

पेपर लीक की इस गाथा में गुजरात भी पीछे नहीं है. यहां सात सालों में पेपर लीक की 14 घटनाएं देखी गई हैं. गुजरात से पेपर लीक की कुछ घटनाओं में..

  • जीपीएससी चीफ ऑफिसर (2014)
  • तलाटी एग्जाम (2015)
  • टीचर्स एप्टीट्यूड टेस्ट (2018)
  • मुख्य सेविका (2018)
  • नायब चिटनिस (2018)
  • लोक रक्षक दल (2018)
  • नॉन सचिवालय क्लर्क (2019)
  • हेड क्लर्क (2021)
  • जूनियर क्लर्क एग्जाम (2023)
  • फॉरेस्ट गार्ड एग्जाम (2022)
  • और सब -ऑडिटर पेपर (2021) शामिल हैं.

उत्तर प्रदेश में 2017 से 2022 के बीच पेपर लीक की कम से कम आठ घटनाएं देखी गईं, इनमें…

  • इंस्पेक्टर्स ऑनलाइन रिक्रूटमेंट टेस्ट (2017)
  • टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (2021)
  • प्रीलिमिनरी एलिजिबिलिटी टेस्ट (2021)
  • बीएड ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (2021)
  • एनईईटी-यूजी एग्जाम (2021)
  • और क्लास 12th बोर्ड एग्जाम (2022) शामिल हैं.

इसके अलावा पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार और हरियाणा में भी ऐसे ही पेपर लीक के मामले सामने आए हैं. इन राज्यों में लगातार हो रही पेपर लीक की घटनाएं न केवल भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती हैं, बल्कि एजुकेशन सिस्टम की खामियों को भी उजागर करती हैं.

पेपर लीक के दोषियों के खिलाफ कहां क्या कानून?
पेपर लीक और नकल का दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ राज्य सरकारों ने सख्त कानून बनाए हैं. राजस्थान में कम से कम 10 साल और अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है. साथ ही कम से कम 10 लाख से 10 करोड़ रुपये तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है. अगर दोषी जुर्माना नहीं देता है तो दो साल ज्यादा जेल की सजा काटनी पड़ती है.

उत्तराखंड में भी पेपर लीक और नकल के खिलाफ उम्रकैद का प्रावधान है. कम से कम 10 साल जेल और 10 लाख से 10 करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. साथ ही ये कानून गैर जमानती है. 

गुजरात में पेपर लीक के दोषियों के खिलाफ 3 से 10 साल की सजा का प्रावधान है. 1 लाख से 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माने का लगाया जाता है. वहीं पेपर खरीदने वाले छात्रों को भी 2 से 10 साल की सजा हो सकती है. पेपर लीक के आरोपियों को जमानत नहीं मिलती है.

हरियाणा में दोषियों को सात से दस साल जेल और 10 लाख रुपये तक जुर्माना लग सकता है. इतना ही नहीं उनकी प्रॉपर्टी नीलाम कर नुकसान की भरपाई भी करने का प्रावधान है. नकल करते पकड़े जाने वाले छात्रों पर भी पांच हजार का जुर्माना और 2 साल की सजा हो सकती है.

पेपर लीक से निपटने के लिए केंद्र सरकार सख्त
केंद्र सरकार भी पेपर लीक से निपटने के लिए अब एक कानून लाने की तैयारी में है. पेपर लीक पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार इसी 5 फरवरी को लोकसभा में एक नया विधेयक पेश कर सकती है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल में इस विधेयक को मंजूरी दी थी. 

भारत में पेपर लीक कितनी गंभीर समस्या? जानिए कहां कितने एग्जाम हुए रद्द, अब कैसे नकेल कसने की तैयारी में सरकार

नए विधेयक में पेपर लीक के दोषियों को अधिकतम 10 साल तक की जेल और कम से कम 1 करोड़ रुपये जुर्माने का प्रावधान हो सकता है. इस बिल का नाम सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक 2024 है. 

खास बात ये है कि प्रस्तावित विधेयक में किसी भी तरह से छात्रों को निशाना नहीं बनाया गया है. छात्रों के लिए किसी सजा या जुर्माने का प्रावधान नहीं है. बल्कि छात्रों को अनुचित तरीके से पेपर बेचने वाले सिंडिकेट पर शिकंजा कसा जाएगा. माफिया और साजिश में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. इस तरह लाखों योग्य सरकारी नौकरी के इच्छुक छात्रों की कई सालों की मेहनत बर्बाद नहीं होगी और उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा.

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