पेटीएम पर हाथ कैसे डालेगी ईडी बेचारी ?
पेटीएम पर हाथ कैसे डालेगी ईडी बेचारी ?
भारत में 14 साल पहले दबे पांव आयी ई-कामर्स कम्पनी पेटीएम के पांव जमाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को ही अपना ब्रांड एम्बेस्डर बना लिया था।,आज यही कम्पनी अरबों रूपये के सन्दिग्ध लेनदेन के आरोपों से घिरी है और भारतीय रिजर्ब बैंक ने इस पेटीएम पेमेंट बैंक के ऊपर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए है। 29 फरवरी के बाद इस कमपनी की अनेक सेवाएं बंद कार दी जाएँगी। मनी लांड्रिंग कि आरोपों से घिरे पेटीएम पर ईडी हाथ डालने को राजी नहीं है।
पेटीएम भारत में आ तो गयी थी कांग्रेस के जमाने में ही लेकिन उसके ब्रांड एम्ब्सडर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने 2016 मे। मोदी जी की तस्वीरों के साथ जब इस कम्पनी के एक-एक पृष्ठ के विज्ञापन देश के हर बड़े अख़बार और टीवी चैनलों पर दिखाए गए तो देश की जनता ने इस कम्पनी पर भरोसा कर इसे हाथों-हाथ लिया। लेकिन अंततोगत्वा भारतीय रिजर्ब बैंक ने इस कमपनी द्वारा किये जा रहे अरबों-खरबों रूपये के संदिग्ध लेनदेन को पकड़ा तो इस कम्पनी पर प्रतिबंध लगा दिया गया । कमपनी के अघोषित संरक्षक या ब्रांड एम्बेस्डर मोदी जी भी इस कार्रवाई को रोक नहीं सके। हालाँकि बाद में सरकार ने साफ़ किया की प्रधानमंत्री के फोटो का पेटीएम ने गलत इस्तेमाल किया और इसके लिए उसने बाद में माफी भी मांग ली थी ,क्योंकि सरकार ने उसके ऊपर जुर्माना लगा दिया था। मोदी जी के साथ पेटीएम के सीईओ विजय शर्मा की नजदीकियां जगजाहिर हैं।
भारतीय रिजर्ब बैंक ने कहा है कि पेटीएम ने नियमों का उल्लंघन किया है, इसलिए ये फ़ैसला लिया गया है। बैंक के इस एलान के बाद से पेटीएम के शेयरों में भारी गिरावट आई। पेटीएम के शेयर 20 फ़ीसदी तक गिर गए। पेटीएम के शेयर का दाम 609 रुपये तक पहुंच गया है, जो बीते छह सप्ताह में सबसे कम कीमत है। आपको बता दें कि पेटीएम के पास डिजिटल पेमेंट बाज़ार का 16-17 फ़ीसदी हिस्सा है और जानकारों के मुताबिक करोड़ों लोग इससे प्रभावित होने जा रहे हैं।
देश में भाजपा की सरकार बनते ही पेटीएम की किस्मत अचानक जागी क्योंकि कंपनी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसका ब्रांड एम्बेस्डर बना लिया था।। उनकी तस्वीरों वाले विज्ञापन जब अख़बारों और दुसरे माध्यमों में आये तो देश की जनता ने इस कम्पनी को हाथोंहाथ लेना शुरू किय। 2014 में, कंपनी ने 40 लाख से अधिक भारत की सबसे बड़ी मोबाइल भुगतान सेवा मंच ‘पेटीऍम वॉलेट’ का शुभारंभ किया। यह सेवा उबेर , बुक माय शो और मेक माय ट्रिप जैसे इन्टरनेट कंपनियों के पार भुगतान का पसंदीदा तरीका बन गया। तीन साल बाद ही 2017 में पेटीएम ने पेटीएम पेमेंट बैंक लिमिटेड (PPBL) नाम का नया बैंक शुरू किया । इसके अतर्गत अब सभी पेटीएम वॉलेट को पेटीएम बैंक में तब्दील कर दिया गया लेकिन इस शर्त कि साथ की सभी खता धारकों का केवायसी द्वारा सत्यापन कराया जाएगा।
आज की तारीख में भारत में पेटीऍम प्रीपेड मोबाइल, डीटीएच, डाटाकार्ड रिचार्ज, पोस्टपेड मोबाइल, लैंडलाइन, और डाटाकार्ड बिल भुगतान के लिए सभी राज्यों में सभी मोबाइल ऑपरेटरों के साथ काम करता है। इसने कई राष्ट्रीय बैंक के क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, और नेटबैंकिंग भुगतान के साथ भागीदारी की है। पेटीऍम उपयोगिता बिल भुगतान के लिए विभिन्न कंपनियों के साथ काम करता है।
यदि आपकी याददास्त दुरुस्त हो तो आपको याद होगा कि भारत में नोटबंदी के बाद ‘पेटीएम करो’ एक बेहद आकर्षक मुहावरा बन गया था और इसका श्रेय पेटीएम कंपनी के संस्थापक विजय शेखर शर्मा को जाता ह। एक सुरीली आवाज में ये स्लोगन जब बजता था उसके फौरन बाद प्रधानमंत्री की तस्वीर भी स्क्रीन पर उभरती थी। कहते हैं कि विजय ऐसा नारा देना चाहते थे जो उनकी कंपनी को गूगल और ज़ेरोक्स की तरह ब्रैंड बना सके क्योंकि सर्च इंजन या फ़ोटोकॉपी के लिए इन कंपनियों के नाम इस्तेमाल होते हैं।
विजय शर्मा पेटीएम को ई-वॉलेट लेन-देन का पर्याय बनाना चाहते थे. लेकिन हाल में डाटा असुरक्षित होने के आरोपों के बाद कंपनी पर कई सवाल खड़े हुए हैं.हाल ई में एक मीडिया कंपनी ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया है जिसमें पेटीएम के उपाध्यक्ष और विजय शेखर शर्मा के भाई अजय शेखर शर्मा कथित तौर पर आरएसएस से नजदीकी की बात कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा देश में प्लास्टिक करेंसी को प्रोत्साहित करने कि लिए शुरू किये गए अभियान का पूरा लाभ पेटीएम को मिला । पेटीएम एप्प भी बनाया गया है जो आज के सभी स्मार्टफ़ोन ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्राइड, एप्पल, और विंडोज पर काम करता है । इसमें हम बहुत सारे कैशलेस लेनदेन कर सकते हैं। इस एप्प के माध्यम से शौपिंग, ट्रेन और हवाई जहाज के टिकट बुकिंग, मोबाइल और डिश रिचार्ज, फिल्मो का टिकट भी खरीदने की आदत लोगों को पड़ गयी है ,लेकिन अब सब गफलत में पड़ता दिखाई दे रहा है।
पिछले छह सालों में पेटीएम के 12.5 करोड़ उपयोगकर्ता थे। हालांकि, इसको छोटी दुकानों और व्यापारियों के साथ जोड़ भी दिया गया लेकिन फिर भी लेनदेन की संख्या काफ़ी कम रही। रिजर्ब बैंक ने अपने बयान कहा कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ कार्रवाई बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35A के तहत की है रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने मार्च 2022 में पेटीएम पेमेंट्स बैंक से नए कस्टमर्स जोड़ना बंद करने को कहा था।
संतोष की बात ये है कि फिलहाल, आपके पेटीएम वॉलेट और पेटीएम पेमेंट्स बैंक खाते में मौजूद पैसा सुरक्षित है. आप 29 फरवरी, 2024 तक इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। 29 फरवरी के बाद आप अपना पैसा बिना किसी शुल्क के अपने बैंक खाते में ट्रांसफर कर सकते है।
आप अपना पैसा पेटीएम मर्चेंट स्टोर्स पर खर्च कर सकते हैं जो पेटीएम क्यूआर कोड स्वीकार करते हैं। बतया गया है कि पेटीएम पूरी तरह बंद नहीं हो रहा है। यह भुगतान गेटवे के रूप में काम करना जारी रखेगा, अर्थात आप क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और नेट बैंकिंग का उपयोग करके भुगतान कर सकते है। तथापि , आप पेटीएम वॉलेट में नया पैसा नहीं जोड़ पाएंगे और फंड ट्रांसफर जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होंगी । सूत्रों के अनुसार पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (पीपीबीएल) के पास लाखों गैर-केवाईसी अनुपालन वाले खाते थे और हजारों मामलों में कई खाते खोलने के लिए एक ही पैन का उपयोग किया गया था. सूत्रों ने कहा कि ऐसे उदाहरण हैं, जहां लेनदेन का कुल मूल्य करोड़ों रुपये में है, जिससे धन शोधन की चिंताएं बढ़ रही हैं।
आरबीआई और लेखा परीक्षकों दोनों द्वारा आयोजित सत्यापन प्रक्रियाओं के दौरान ये बात सामने आई है। सूत्रों ने कहा कि आरबीआई को चिंता है कि कुछ खातों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा सकता है। प्रवर्तन निदेशालय को सूचित करने के साथ-साथ, आरबीआई ने अपने निष्कर्ष गृह मंत्रालय और प्रधान मंत्री कार्यालय को भी भेजा है । लेकिन अभी तक ईडी का इस्तेमाल इस मामले में नहीं किया गया है क्योंकि पेटीएम कि भारतीय स्वामी विजय शर्मा आरएएस कि भरोसेमंद आदमी माने जाते है। वे न लालू प्रसाद हैं ,न हेमंत सोरेन और न अरविंद केजरीवाल। चुनावी साल में विपक्ष भी पेटीएम कि इस मामले को मुद्दा नहीं बना पाया है।
पेटीएम का शेयर टाइटैनिक जैसा बन गया है और इसमें सवार मध्यप्रदेश के निवेशकों के अब तक 34 करोड़ 68 लाख रुपए डूब चुके हैं। पेटीएम के शेयरों में ये गिरावट कब थमेगी, ये दूर दूर तक नजर नहीं आ रहा है। पेटीएम का क्या होगा, ये तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन इसने एमपी के निवेशकों की खून-पसीने की गाढ़ी कमाई के नुकसान के साथ उनके विश्वास को हिलाकर रख दिया है।
सूत्रों के मुताबिक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में होने वाले कुल रिटेल कारोबार का 5 फीसदी मध्यप्रदेश से होता है। इस हिसाब से माना जाए तो पेटीएम की ट्रेडिंग में गुरुवार और शुक्रवार के वॉल्यूम में करीब 5 फीसदी एमपी से हुआ होगा। गुरुवार और शुक्रवार को पेटीएम में करीब 1 करोड़ शेयर्स का कारोबार हुआ। इस हिसाब से करीब 5 लाख शेयर्स मध्यप्रदेश से बेचे गए।