आप कितनी भाषाओं के जानकार हैं ?

शोध: आप कितनी भाषाओं के जानकार हैं, इसमें छिपा है सेहत का पैमाना

मेरे पिता जी जब 57 साल के थे, तब उन्होंने फ्रेंच भाषा सीखने का फैसला किया। उन्होंने  एक ट्यूटर तलाशा और पूरी लगन से पढ़ाई की। दरअसल, मेरे पिता की मां यानी मेरी दादी अपनी वृद्धावस्था में अल्जाइमर्स रोग की शिकार हुई थीं। मेरे पिता ने कहीं एक हालिया शोध के बारे में पढ़ा कि द्विभाषी लोगों में अल्जाइमर्स रोग से ग्रसित होने की आशंका कम होती है। यही वजह है कि मेरे पिता ने फ्रेंच भाषा सीखने का फैसला किया।

भाषा सिखाने वाले एक अग्रणी ऐप द्वारा कराए गए सर्वे के अनुसार, 57 फीसदी लोग मानसिक तौर पर ज्यादा स्वस्थ होने की चाह के चलते दूसरी भाषा सीखना चाहते थे। लेकिन क्या इस तरह आकस्मिक ढंग से दूसरी भाषा सीखने के वही लाभ मिलते हैं, जो कम आयु से ही कई भाषाओं का ज्ञान रखने से होते हैं ? सिडनी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मार्क एंटोनियो के अनुसार, ‘दैनिक जीवन में हम भाषा का उपयोग कई तरह से करते हैं। ऐसे में, एक द्विभाषी मस्तिष्क लगातार काम करता रहता है।

यह उसके लिए कसरत की तरह होता है।’ जाहिर है कि जो लोग युवावस्था से ही एक से ज्यादा भाषाएं बोलते हैं, वे वृद्धावस्था में भी मानसिक तौर पर ज्यादा स्वस्थ होते हैं। पेरिस के ब्रोका अस्पताल में मानसिक स्वास्थ्य के एक शोधार्थी कैटलिन वेयर के अनुसार, ‘आप किस उम्र में दूसरी भाषा सीखते हैं, उससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि आप उसका अभ्यास कितना कर रहे हैं।’ 2007 में इस विषय पर एक ऐतिहासिक शोध पत्र प्रकाशित हुआ था, जिसके अनुसार डाइमेंशिया से पीड़ित लोगों में, जो दो भाषाओं को बोलने वाले थे, उनमें रोग के लक्षण दूसरे मरीजों की तुलना में चार साल बाद विकसित हुए।

डॉ. एंटोनियो के शोध में यह भी पाया गया कि 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के चीनी वयस्कों द्वारा छह महीने तक दूसरी भाषा सीखने के बाद उनकी हालत में सुधार देखा गया। एक अन्य प्रयोग में इटली में वृद्ध लोगों के एक समूह ने चार महीने तक अंग्रेजी भाषा सीखी, लेकिन उनमें कोई सुधार तो नहीं आया, अलबत्ता उसी समूह के कुछ दूसरे वृद्धों, जिन्होंने कोई भाषा नहीं सीखी, उनकी स्थिति में गिरावट जरूर दिखी।

जर्मनी की हीडलबर्ग यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर जूडिथ ग्रॉसमैन कहती हैं, ‘यह कोई नहीं कहता कि वृद्धावस्था में छह महीने तक दूसरी भाषा सीखने का वही प्रभाव होगा, जो जीवन भर दो भाषाएं बोलने का होता है। लेकिन देर से सही, दो भाषाएं सीखने का कुछ प्रभाव तो हर स्थिति में होता है।’ दूसरी भाषा सीखने से आपको लगातार दूसरे समुदायों से जुड़ने का मौका मिलता है और आप मानसिक तौर पर भी सतर्क बने रहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *