भारत में किस जाति और धर्म के लोग करते हैं सबसे ज्यादा आत्महत्या !
किस जाति और धर्म के लोग करते हैं ज्यादा सुसाइड, ये आंकड़े देखकर चौंक जाएंगे आप
भारत में विभिन्न जातियां और धर्म के लोग रहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में सबसे ज्यादा किस जाति और धर्म के लोग सुसाइड करते हैं?
Malaika Arora Father Death: हाल ही में मलाइका अरोड़ा के पिता अनिल अरोड़ा की आत्महत्या की खबर ने सभी को चौंका कर रख दिया है. अनिल अरोड़ा ने बांद्रा में अपने घर की छठी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली. उनकी आत्महत्या की वजह का अबतक खुलासा नहीं हो सका है. इस बीच चलिए जानते हैं कि भारत में किस धर्म और जाति के लोग सबसे ज्यादा सुसाइड करते हैं.
भारत में किस जाति और धर्म के लोग करते हैं सबसे ज्यादा आत्महत्या?
गृह मंत्रालय के आंकड़ो की मानें तो एक हिन्दू के मुकाबले किसी ईसाई के आत्महत्या करने की संभावना डेढ़ गुना ज्यादा है. जबकि देश की विभिन्न जातियों में से आदिवासी और दलित सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं.
एक आरटीआई के जवाब में इस बात का खुलासा हुआ है कि गृह मंत्रालय ने आत्महत्याओं की जाति और धर्म के आधार पर अलग से गणना करवाई थी. साल 2014 में नेशनल क्राइम ब्यूरो (NCRB) ने पहली बार आत्महत्याओं का डाटा धर्म और जाति के आधार पर तैयार किया था. इसे 2015 में सार्वजनिक किया जाना था. इसे 2015 में सार्वजनिक किया जाना था लेकिन गृह मंत्रालय ने कभी डाटा रिलीज ही नहीं किया.
ईसाइयों में सबसे ज्यादा है आत्महत्या की दर
द इंडियन एक्सप्रेस की आरटीआई पर सामने आए डाटा के मुताबिक, ईसाइयों में आत्महत्या की दर 17.4 फीसदी है. जबकि हिन्दुओं में यही दर 11.3 फीसदी, मुस्लिमों में आत्महत्या की दर 7 फीसदी और सिख में ये 4.1 फीसदी है. आत्महत्या की राष्ट्रीय दर 10.6 फीसदी है. आत्महत्या की दर प्रति एक लाख की जनसंख्या पर किए गए सुसाइड पर आधारित है.
किस आधार पर दी गई आत्महत्या की दर?
ईसाइयों में आत्महत्या की दर उनकी जनसंख्या के अनुपात में नहीं है. 2011 की जनसंख्या के मुताबिक देश की जनसंख्या में 2.3 प्रतिशत लोग ईसाई धर्म मानने वाले हैं, लेकिन आत्महत्याओं में उनका प्रतिशत 3.7 है.
क्या हो सकते हैं आत्महत्या के कारण?
कोई व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली परेशानियों का सामना न कर पाने पर आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाता है. ये समस्या आर्थिक कठिनाइयां, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, सामाजिक और पारिवारिक दबाव, शिक्षा और करियर के मुद्दे या फिर स्वास्थ्या समस्याएं हो सकती हैं.