झुग्गीयुक्त भोपाल …?
38 साल में तीन बार कोशिश, 1450 करोड़ खर्च किए” फिर भी बस्तियों की संख्या 3 से बढ़कर 72 हो गई…?
38 साल में तीन बार राजधानी को झुग्गी मुक्त बनाने का अभियान चला। इस दौरान 1450 करोड़ रुपए खर्च भी किए गए। फिर भी शहर में झुग्गी बस्तियों के इलाकाें की संख्या 3 से बढ़कर 72 तक पहुंच गई। सबसे ज्यादा झुग्गी वाले देश के टॉप-10 शहरों में मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद, लखनऊ, कोलकाता, नागपुर, अहमदाबाद, बेंगलुरू के साथ भोपाल भी शामिल है।
शहर को सबसे पहले झुग्गी मुक्त बनाने का अभियान 1984 में तत्कालीन अर्जुन सिंह सरकार ने चलाया था। इसके बाद भी कई झुग्गियां तन गईं। साल 2008 में जेएनएनयूआर प्रोजेक्ट के तहत सबसे ज्यादा 11,500 आवास बनाए गए। इनमें अर्जुन नगर, मैनिट के पास बस्ती, कोटरा सुल्तानाबाद नेहरू नगर, 1100 क्वाटर्स के प्रोजेक्ट शामिल हैं। इन पर करीब 448 करोड़ खर्च हुए, पर अब कलियासोत कैचमेंट के भीतर झुग्गियां बन गईं। जिन्हें मकान मिले, उन्होंने भेल क्षेत्र में भी झुग्गी बना लीं। अब फिर शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 14 हजार फ्लैट बनाने का अभियान चल रहा है। इस पर 546 करोड़ खर्च हाेंगे।
झुग्गियों का जाल
- 650 एकड़ जमीन घेर रखी है 72 बस्तियों ने
- 3500 रु. प्रति स्क्वायर फीट औसतन कीमत
- 15.40 करोड़ हुई एक एकड़ की कीमत
- 10000 करोड़ होगी 650 एकड़ की कीमत
री-डेंसीफिकेशन पर अमल नहीं
- शहर को झुग्गीमुक्त करने का अभियान शुरू होने के समय तय हुआ था कि री-डेंसीफिकेशन यानी जहां झुग्गी बस्ती है, वहीं पक्के मकान बनाएंगे, पर चुनिंदा अपवाद छोड़कर शेष पर अमल नहीं हुआ। अभी 8268 आवास बनाए जा रहे हैं। इसमें से 4500 ही स्लम वालों के लिए हैं।
कब-कब चला शहर में अभियान
- 1984 में अर्जुन सिंह सरकार ने पहली बार अभियान चलाया।
- 2004 में बाबूलाल गौर ने झुग्गियों के री-डेंसीफिकेशन की योजना बनाई।
- 2015 में सीएम शिवराज सिंह चौहान सरकार में पीएम आवास योजना की शुरुआत हुई और शहर में पक्के मकान व पट्टे देने का अभियान शुरू हुआ।
निगम बॉर्डर पर सबसे ज्यादा झुग्गी, कैचमेंट एरिया में 4 हजार झुग्गियां
नगर निगम सीमा यानी बंगरसिया, अमरावद खुर्द, रायसेन रोड, चांदपुर, नई जेल, कान्हासैया, गांधी नगर, बैरागढ़ व भौंरी के बीच, भदभदा डैम के पास तालाब के कैचमेंट एरिया में करीब 4 हजार झुग्गियां बस गई हैं। अभी बाणगंगा नगर, पंचशील, राहुल नगर, ईश्वर नगर, वल्लभ नगर, रोशनपुरा झुग्गी बस्ती क्षेत्र में पक्के मकान बन गए हैं। भेल की जमीन पर पिपलानी, हबीबगंज, गोविंदपुरा व बरखेड़ा सेक्टर के पिपलिया पेंदे खां, बरखेड़ा पठानी व पद्मनाभ नगर की खाली जमीन पर करीब 6 हजार झुग्गियां तन गईं। मिसरोद से बाग मुगालिया, अयोध्या से भानपुर तक सरकारी भूमि पर तेजी से कब्जे हो रहे हैं। ईदगाह हिल्स में भी झुग्गी बस्तियां हैं।
इनकी नीयत ही नहीं कि शहर झुग्गी मुक्त बने
38 साल पहले झुग्गी वालों को प्लॉट देने की घोषणा हुई थी। इसके बाद भी शहर में अवैध झुग्गियां बन गईं। ये सिलसिला जारी है। असल खेल नीयत का है। जिम्मेदार लोग शहर को झुग्गी मुक्त बनाना ही नहीं चाहते, वरना क्या मजाल की एक भी दीवार बिना निगम के मर्जी के खड़ी हो जाए।
-प्रशांत खिड़वड़कर, पूर्व आर्किटेक्ट, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग
जमीनें कम, जितनी हैं उन पर पीएम आवास बन रहे
शहर में हमारे पास जमीनें कम हैं। जितनी हैं, उन पर पीएम आवास बनाए जा रहे हैं। इसमें से 50% स्लम वालों के लिए हैं। हम इस बात का भी ध्यान रख रहे हैं कि एक बार जिन्हें स्कीम में आवास मिल गया, वे झुग्गी में न रहें। नई झुग्गियों की बसाहट रोकने नियमित कार्रवाई की जाती है।
-वीएस चौधरी कोलसानी, आयुक्त, नगर निगम भोपाल