आम्रपाली ने फ्लैट खरीदारों का पैसा इस कंपनी में कर दिया ट्रांसफर, रिपोर्ट में खुलासा
नई दिल्ली : आम्रपाली मामले में फॉरेंसिक ऑडिटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आम्रपाली ग्रुप ने रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को 6 करोड़ 52 लाख रुपये दिए. ये डायवर्सन अवैध था. ये पैसा बॉयर्स का था जिसे रिकवर किया जाना चाहिए. इसके लिए आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी ने बिना किसी आधिकारिक प्रस्ताव के रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड से एग्रीमेंट किए. एग्रीमेंट के तहत आम्रपाली के सीएमडी के लिए महेंद्र सिंह धोनी की उपलब्धता सुनिश्चित करने की बात कही गई थी. गौरतलब है कि धोनी आम्रपाली ग्रुप के ब्रांड एंबेस्डर थे.
एग्रीमेंट के लिए दोनों के बीच कोई प्रस्ताव पारित नहीं था
सुप्रीम कोर्ट में ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया कि साल 2009 से लेकर 2015 के बीच 6.52 करोड़ रुपये रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को आम्रपाली ग्रुप के आम्रपाली सफायर डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड ने दिया था. यह रकम एक एग्रीमेंट के तहत दी गई. इसके लिए एग्रीमेंट आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी अनिल शर्मा और रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने किया था. हालांकि इसके लिए कोई प्रस्ताव पारित नहीं था लेकिन आम्रपाली ग्रुप की ओर से सीएमडी ने एग्रीमेंट किए. 24 नवंबर 2009 को हुए एग्रीमेंट में लिखा था महेंद्र सिंह धोनी रिति स्पोर्ट्स के रिप्रजेंटेटिव के साथ आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी के लिए उपलब्ध होंगे.
वहीं 20 मार्च 2015 को स्पांसरशिप एग्रीमेंट के तहत आम्रपाली ग्रुप को आईपीएल 2015 के लिए चेन्नई सुपर किंग्स के लोगो स्पेस के विज्ञापन का अधिकार मिला. इसके लिए एग्रीमेंट सादे कागज पर था और ये एग्रीमेंट सिर्फ आम्रपाली ग्रुप और रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के बीच था. इस एग्रीमेंट में चेन्नई सुपर किंग्स की तरफ से किसी भी रिप्रजेंटेटिव का साइन नहीं था. रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के फेवर में कोई प्रस्ताव नहीं था कि वह एग्रीमेंट करेंगे.रिपोर्ट में कहा गया दिखता है कि ये तमाम एग्रीमेंट रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को पेमेंट करने के इरादे से किए गए और ये एग्रीमेंट दिखावटी था. फॉरेंसिक ऑडिटर्स का कहना था कि उनके समझ से ये पैसा होम बॉयर्स का था, जिसे गलत तरीके से डायवर्ट किया गया और उसे रिकवर किया जाना चाहिए क्योंकि एग्रीमेंट कानून संगत नहीं था. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिए फैसले में कहा था कि तमाम कंपनियों के डायरेक्टर्स जिनके पास भी फॉरेंसिक ऑडिटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक होम बॉयर्स के पैसे हैं वह एक महीने में पैसे वापस करें अन्यथा कार्रवाई की जाएगी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने फेमा के उल्लंघन के मामले में ईडी को जांच के आदेश दिए हैं.