ISRO वैज्ञानिकों की चिट्ठीः हम हैरत में हैं और बेहद दुखी भी…

भारत सरकार ने Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग से ठीक पहले ISRO वैज्ञानिकों की तनख्वाह में कटौती कर दी थी. केंद्र सरकार ने 12 जून 2019 को जारी एक आदेश में कहा है कि इसरो वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को साल 1996 से दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि के रूप में मिल रही, प्रोत्साहन अनुदान राशि को बंद किया जा रहा है. ये हाल तब है जब इसरो के वैज्ञानिकों की उपलब्धि पर पूरे देश को गर्व है.

अब इसरो के वैज्ञानिकों के संगठन स्पेस इंजीनियर्स एसोसिएशन (SEA) ने इसरो के चेयरमैन डॉ. के. सिवन को पत्र लिखकर मांग की है कि वे इसरो वैज्ञानिकों की तनख्वाह में कटौती करने वाले केंद्र सरकार के आदेश को रद्द करने में मदद करें. क्योंकि वैज्ञानिकों के पास तनख्वाह के अलावा कमाई का कोई अन्य जरिया नहीं है. SEA के अध्यक्ष ए. मणिरमन ने इसरो चीफ को लिखे पत्र में कहा है कि सरकारी कर्मचारी की तनख्वाह में किसी भी तरह की कटौती तब तक नहीं की जा सकती, जब तक बेहद गंभीर स्थिति न खड़ी हो जाए. तनख्वाह में कटौती होने से वैज्ञानिकों के उत्साह में कमी आएगी. हम वैज्ञानिक केंद्र सरकार के फैसले से बेहद हैरत में हैं और दुखी हैं.

SEA ने इसरो चीफ को लिखे पत्र में बिंदुवार ये मांगे रखी हैं…

  1. इसरो वैज्ञानिकों के लिए दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि की अनुमति राष्ट्रपति ने दी थी. ताकि देश में मौजूद बेहतरीन टैलेंट्स को इसरो वैज्ञानिक बनने का प्रोत्साहन मिले. साथ ही इसरो वैज्ञानिक भी प्रेरित हो सके. ये अतिरिक्त वेतन वृद्धि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 1996 में अंतरिक्ष विभाग ने लागू किया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा था कि इस वेतन वृद्धि को स्पष्ट तौर पर ‘तनख्वाह’ माना जाए.
  2. छठे वेतन आयोग में भी इस वेतन वृद्धि को जारी रखने की सिफारिश की गई थी. साथ ही कहा गया था कि इसका लाभ इसरो वैज्ञानिकों को मिलते रहना चाहिए.
  3. दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि इसलिए लागू किया गया था कि इसरो में आने वाले युवा वैज्ञानिकों को नियुक्ति के समय ही प्रेरणा मिल सके और वे इसरो में लंबे समय तक काम कर सकें.
  4. केंद्र सरकार के आदेश में परफॉर्मेंस रिलेटेड इंसेंटिव स्कीम (PRIS) का जिक्र है. हम यह बताना चाहते हैं कि अतिरिक्त वेतन वृद्धि और PRIS दोनों ही पूरी तरह से अलग-अलग हैं. एक इंसेंटिव है, जबकि दूसरा तनख्वाह है. दोनों एकदूसरे की पूर्ति किसी भी तरह से नहीं करते.
  5. सरकारी कर्मचारी की तनख्वाह में किसी भी तरह की कटौती तब तक नहीं की जा सकती, जब तक बेहद गंभीर स्थिति न खड़ी हो जाए.letter_072519012453.jpg
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  7. इसरो वैज्ञानिकों के संगठन द्वारा इसरो चीफ को लिखी गई चिट्ठी.

    ये था केंद्र सरकार का तनख्वाह काटने वाला आदेश

    इस आदेश में कहा गया है कि 1 जुलाई 2019 से यह प्रोत्साहन राशि बंद हो जाएगी. इस आदेश के बाद D, E, F और G श्रेणी के वैज्ञानिकों को यह प्रोत्साहन राशि अब नहीं मिलेगी. इसरो में करीब 16 हजार वैज्ञानिक और इंजीनियर हैं. लेकिन इस सरकारी आदेश से इसरो के करीब 85 से 90 फीसदी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की तनख्वाह में 8 से 10 हजार रुपए का नुकसान होगा. क्योंकि ज्यादातर वैज्ञानिक इन्हीं श्रेणियों में आते हैं. इसे लेकर इसरो वैज्ञानिक नाराज हैं.

    बता दें कि वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने, इसरो की ओर उनका झुकाव बढ़ाने और संस्थान छोड़कर नहीं जाने के लिए वर्ष 1996 में यह प्रोत्साहन राशि शुरू की गई थी. केंद्र सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर वित्त मंत्रालय और व्यय विभाग ने अंतरिक्ष विभाग को सलाह दी है कि वह इस प्रोत्साहन राशि को बंद करे. इसकी जगह अब सिर्फ परफॉर्मेंस रिलेटेड इंसेंटिव स्कीम (PRIS) लागू की गई है.

    अब तक इसरो अपने वैज्ञानिकों को प्रोत्साहन राशि और PRIS स्कीम दोनों सुविधाएं दे रहा था. लेकिन अब केंद्र सरकार ने निर्णय किया है कि अतिरिक्त वेतन के तौर पर दी जाने वाली यह प्रोत्साहन राशि 1 जुलाई से मिलनी बंद हो जाएगी.

    C श्रेणी में होती है इसरो वैज्ञानिकों की भर्ती, प्रमोशन पर मिलती थी प्रोत्साहन राशि

    इसरो में किसी वैज्ञानिक की भर्ती C श्रेणी से शुरू होती है. इसके बाद उनका प्रमोशन D, E, F, G और आगे की श्रेणियों में होता है. हर श्रेणी में प्रमोशन से पहले एक टेस्ट होता है, उसे पास करने वाले को यह प्रोत्साहन अनुदान राशि मिलती है. लेकिन अब जब जुलाई की तनख्वाह अगस्त में आएगी, तब वैज्ञानिकों को उसमें कटौती दिखेगी.

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