वो 7 बिल जो BJP के लिए बने हुए हैं सिर दर्द, जानें- मोदी सरकार क्यों कमजोर पड़ रही है
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी दूसरी बार सत्ता में आने के बाद कई महत्वपूर्ण बिल को कानून का रूप देना चाहती है, लेकिन कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों का विरोध उसके लिए सिर दर्द साबित हो रहा है. तीन तलाक समेत सात ऐसे बिल हैं जिनका कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं. बीजेपी के पास लोकसभा में तो बहुमत है और वह इन बिलों को वहां आसानी से पास करा सकती है, लेकिन राज्यसभा में कांग्रेस का विरोध उसके लिए सिर दर्द बन गया है. सबसे पहले आइए जानते हैं वो सात बिल कौन से हैं जिनका विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं.
ये सात बिल हैं
1- मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019
2-अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट (UAPA)
3-सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक
4-अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक
5-कोड मजदूरी विधेयक
6-व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य की शर्तें कोड बिल
7-डीएनए टेक्नोलोजी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक
क्यों है BJP के लिए इन बिलों को राज्यसभा में पास कराना मुश्किल
लोकसभा में सरकार के पास प्रचंड बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में नंबर गेम सरकार के पक्ष में नहीं है. मौजूदा समय में राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 240 है. इस नंबर के हिसाब से बहुमत के लिए 121 सांसद चाहिए, लेकिन सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के पास कुल 114 सांसद ही है. वहीं विपक्षी गठबंधन यूपीए की संख्या यहां पर 64 है. अब सारा खेल अन्य पार्टियों के सांसदों पर निर्भर है, जो ना एनडीए के साथ हैं और ना ही यूपीए के साथ. राज्यसभा में अन्य अलग-अलग पार्टियों के कुल 62 सांसद हैं. इसके अलावा पांच पद खाली हैं.
एनडीए, यूपीए और अन्य की बड़ी पार्टियों में कितने सांसद?
एनडीए की बड़ी पार्टियों की बात करें तो बीजेपी के 78, एआईएडीएमके के 13, जेडीयू के 6 और शिवसेना के 3 सांसद राज्यसभा में हैं. वहीं यूपीए में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस है, जिसके 48 सदस्य राज्यसभा में मौजूद हैं. आरजेडी के पांच और फिर डीएमके है जिसके पास 3 सांसद मौजूद हैं. अन्य दलों की बात करें तो सबसे बड़ी पार्टी टीएमसी है जिसके 13 सांसद हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी है जिसके 12 सदस्य राज्यसभा में मौजूद हैं.