कॉलेज में एक साथ पढ़ाई करती हैं मां और बेटी, 25 साल के बाद मां ने किया ‘कमबैक’

पटना: आपने कॉलेज में अक्सर छात्र और छात्राओं को पढ़ते देखा होगा लेकिन अगर एक ही कॉलेज में मां और बेटी दोनों साथ-साथ पढ़ाई करें तो आपको कैसा लगेगा. सुनने में थोड़ा अजीब लगता है लेकिन ये सच्चाई है. पटना की मगध महिला कॉलेज में इस साल 41 साल की सुलेखा नाम की महिला या यूं कहें मां ने भी दाखिला लिया है. इसी कॉलेज में उनकी बेटी श्रेया भी पढ़ती है. 25 साल तक पढ़ाई से रिश्ते खत्म करने के बाद दोबारा पढ़ाई शुरू करना सुलेखा के लिए आसान नहीं था लेकिन बेटी श्रेया ने सुलेखा को इसके लिए तैयार किया. सुलेखा हिन्दी ऑनर्स की पढ़ाई कर रही हैं. 41 साल की उम्र में पढ़ाई दोबारा शुरू करना किसी चुनौती से कम नहीं था क्योंकि सुबह-सुबह ऑफिस जाने वाले पति के लिए टिफिन तैयार करना और फिर बेटी के साथ खुद के लिए अपने आप को तैयार करना. तैयार होन के बाद पटना जैसे भीड़भाड़ वाले शहर में 20 किलोमीटर की दूरी तय कर समय से पहले कॉलेज पहुंचना, खासकर महिलाओं के लिए आसान नहीं है लेकिन सुलेखा ऐसा रोजाना करती हैं.

पति सुभाष कुमार सुमन आर्मी से रिटायर करने के बाद पटना में ही एक निजी कंपनी में काम करते हैं. ताज्जुब की बात ये है कि इसी मगध महिला कॉलेज में उनकी 20 साल की बेटी श्रेया भी पढ़ती हैं. सुलेखा हिन्दी ऑनर्स के पहले साल की जबकि श्रेया जूलॉजी ऑनर्स में दूसरे साल की छात्रा हैं. 1994 में सुलेखा ने इंटर की परीक्षा पास कर शादी कर ली फिर इसी के साथ उनका किताबों से रिश्ता टूट गया. जगह-जगह पति का ट्रांसफर होता रहा है और सुलेखा भी पति के साथ साथ एक से दूसरे जगह जाती रहीं. इसी बीच सुलेखा को एक बेटा और बेटी हुई .परिवार की जिम्मेदारी सर पर थी लेकिन सुलेखा ने स्नातक पास करने का सपना छोड़ा नहीं था और इसी का परिणाम था कि जैसे ही सुलेखा को समय मिला ठीक 25 साल यानि 2019 में उन्होंने फिर पढ़ाई शुरू की. पटना यूनिवर्सिटी में स्नातक के दाखिले के लिए एंट्रेस टेस्ट निकाला और आज वो मगध महिला कॉलेज की हजारों छात्राओं के लिए मिसाल बन गई हैं. उनके साथ पढ़ने वाली छात्राओं के साथ-साथ कई महिला प्रोफेसर की उम्र भी उनसे काफी कम है लेकिन उन्हें इस बात की फिक्र नहीं.

सुलेखा को पढ़ाई के लिए उनकी बेटी श्रेया ने तैयार किया, क्योंकि पटना यूनिवर्सिटी में 75 फीसदी उपस्थिति जरूरी है. जाहिर है 20 किलोमीटर की दूरी रोजाना तय करना आसान नहीं लेकिन मन में ठान लिया तो ठान लिया. सुलेखा के साथ पढ़ने वाली छात्राएं भी उनसे प्रेरणा ले रहीं हैं और उनके मुताबिक सुलेखा ने ये साबित किया है कि पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती है. सुलेखा शुरू से ही होनहार छात्रा रही हैं. उन्हें पढ़ाई के साथ एंकरिंग का भी शौक है. वो अच्छा भाषण भी देती हैं और कविताएं भी लिखती हैं.

सुलेखा की बेटी श्रेया के कंप्यूटर में उनकी बेहतरीन यादें हैं. सुलेखा के पति सुभाष कुमार के मुताबिक, सुलेखा शुरू से ही हर काम में आगे रही हैं लेकिन उनके पास समय नहीं था पढ़ाई के लिए. सुभाष कुमार के मुताबिक, उन्होंने शादी से पहले सुलेखा को स्नातक कराने का वादा किया था और ये वादा पूरा किया. मगध महिला कॉलेज की प्रिंसिपल डॉक्टर शशि शर्मा के मुताबिक, उनके करियर में एक भी ऐसा उदाहरण नहीं है कि एक साथ बेटी और मां साथ-साथ पढ़ाई करती मिली हों. पटना यूनिवर्सिटी का एग्जाम निकालकर यहां तक पहुंचना आसान नहीं है. सुलेखा की उपलब्धि पूरे कॉलेज के लिए मिसाल है.

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