भोपाल : कैबिनेट की मंजूरी:इंडस्ट्री का ‘एग्जिट’ प्लान; मध्यप्रदेश में 90% तक पैसा लेकर प्लॉट सरेंडर कर सकेंगे निवेशक
सरकारी जमीन लेकर इंडस्ट्री नहीं लगाने वालों को मिलेगा मौका….
इंडस्ट्री लगाने के लिए प्लॉट ले चुके निवेशकों को उद्योग विभाग ‘एग्जिट’ का मौका देने जा रहा है। इस एग्जिट प्लान के मुताबिक ऐसे निवेशक जो मप्र में जमीन लेने के बावजूद इंडस्ट्री नहीं लगा पाए हों और प्लॉट सरेंडर करना चाहते हैं, वे 90% तक पैसा वापस लेकर लौट सकते हैं।
विभाग ने एक स्लैब भी बनाया है जो 3 से लेकर 9 साल तक है। मसलन यदि जमीन 3 साल में सरेंडर की तो 90%, 5 साल में की तो 70%, 7 साल में की तो 50% और 7 से 9 साल में सरेंडर की तो 40% पैसा मिलेगा। इसके बाद हर साल 2% पैसा कम होता जाएगा।
कैबिनेट ने शुक्रवार को इस एग्जिट प्लान को मंजूरी दे दी। साथ ही निवेशकों को सहुलियत देने के लिए भी कुछ बड़े प्रावधान भी किए हैं। सरकार का मानना है कि इससे 10 से 20 हजार करोड़ के नए निवेश की राह आसान होगी।
दरअसल, तीन-चार साल तक कोशिश करने के बाद भी कई निवेशक इंडस्ट्री शुरू नहीं कर पाते हैं। ऐसे ही लोगों के लिए ‘एग्जिट’ प्लान लाया गया है। मक्सी-मालनपुर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में इस तरह के कई मामले हैं।
प्रदेश में 83 औद्योगिक क्षेत्र, 100 से ज्यादा प्लॉट एग्जिट प्लान से जुड़े
कैबिनेट ने निवेश से जुड़ी सेवाओं को भी लोकसेवा गारंटी के दायरे ला दिया है। उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला लंबे समय से इस प्रयास में थे। लोकसेवा गारंटी में आशय-पत्र, जमीन आवंटन, रजिस्ट्री और कब्जा समेत कई काम शामिल किए गए हैं।
इस समय 83 औद्योगिक क्षेत्र हैं। इसमें 31 हजार 402 एकड़ जमीन विकसित है। आवंटन के लिए 20 हजार 536 एकड़ में से 14 हजार 887 एकड़ आवंटित की जा चुकी है। करीब 5 हजार 649 एकड़ रिक्त पड़ी है। एग्जिट प्लान से जुड़े प्लॉटों की संख्या भी 100 से अधिक है।
निवेशकों की मदद के लिए ये 3 बड़े बदलाव
1. मंडीदीप, पीथमपुर और बगरोदा जैसे हाई डिमांड वाले औद्योगिक क्षेत्रों में इंडस्ट्रियल प्लॉट अब ई-नीलामी में मिलेंगे। यदि किसी प्लॉट के लिए एक ही निवेशक है तो उसे भी जमीन मिलेगी। यदि कोई निवेशक नहीं है तो जो पहले आएगा, प्लॉट उसे दे दिया जाएगा।
2. जिन इंडस्ट्रियल पार्कों में डिमांड नहीं है, वहां 2015 के पहले के प्लॉट छूट के साथ मिलेंगे। वर्ष 2015 के बाद के प्लॉट किश्तों में मिलेंगे।
3. बंद फैक्ट्री का कब्जा लेने या उसे दूसरे निवेशक को ट्रांसफर करने की बजाए वह जमीन अब दूसरे निवेशकों को नया लीजधारी बनाकर दे दी जाएगी। एक एकड़ से अधिक जमीन है तो एमपीआईडीसी और दस एकड़ से अधिक है तो राज्य सरकार फैसला करेगी। 99 साल के लिए मिली जमीन शेष वर्ष की लीज पर दूसरे या छोटे निवेशकों को मिल जाएगी। नए लीजधारी से जो पैसा आएगा, उसका 40% पुराने लीजधारी दिया जाएगा।
अन्य फैसले : भोपाल में बनेगा एक और सेंटर
- राज्य हिमोग्लोबिनोपैथी मिशन योजना जारी रहेगी। इसमें जेनेटिक कॉउंसलिंग, सिकल सेल एनीमिया, थैलीसिमिया और अन्य हिमोग्लोबिनोपैथी विकास के लिये समुदाय स्तर पर स्क्रीनिंग कर बीमारी की पहचान कर होती है।
- अजा, अजजा और ओबीसी के साथ नि:शक्तजन के बैकलॉग की विशेष भर्ती 30 जून 2023 तक जारी रहेगी।
- भोपाल के स्टेट डाटा सेंटर में सिक्यूरिटी ऑपरेशन सेंटर बनेगा। इससे डाटा और एप्लीकेशन सुरक्षित रहेंगे।
- पीएम स्ट्रीट वेंडर्स के हितग्राहियों को दस्तावेजों पर स्टांप शुल्क दस रुपए लगेगा।
- जिला खनिज बोर्ड और समिति में कलेक्टर अध्यक्ष होगा। सांसद, विधायक सदस्य रहेंगे।
- सरकारी तालाब एवं अन्य वॉटर बॉडीज से निकलने वाली कीचड़, गाद पर स्वयं के कार्यों के उपयोग के लिए रॉयल्टी एवं ट्रांसपोर्टेशन की जरूरत नहीं थी। अब इसमें मिट्टी भी शामिल कर दी गई है।
ग्वालियर में 1000 बिस्तर अस्पताल के लिए अब 397 करोड़ मिलेंगे
कैबिनेट ने ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में बन रहे 1000 बेड के अस्पताल के लिए मंजूर 338 करोड़ 46 लाख रुपए की राशि को बढ़ाकर 397 करोड़ 5 लाख रुपए कर दिया गया है। इसी तरह भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में पीजी की सीट बढ़ाने और उसके हिसाब से सुविधाओं में वृद्धि के लिए 116 करोड़ 90 लाख रुपए की मंजूरी दी है। अब स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिए कुल 134 पीजी सीट बढ़ जाएंगी।