बच्चों की नींदचर्या से बड़ों को प्रेरणा लेनी चाहिए, ताकि गहरी नींद आए और अगला दिन ताज़गी भरा बीते
- रात में यदि गहरी नींद आ जाए तो अगला पूरा दिन ताज़गी भरा बीतता है। लेकिन सोने से पहले ऐसा क्या करना चाहिए जिससे पक्की नींद सुनिश्चित हो जाए। जानते हैं, छोटे बच्चों के सोने से पूर्व की जाने वाली त्रय चरण प्रक्रिया से….
दिनभर काम करने, शारीरिक व मानसिक रूप से थक जाने के बाद भी कई बार अच्छी नींद नहीं आती है। सुबह जागने पर चिड़चिड़ापन बना रहता है, क्योंकि पूरे आठ घंटे सो लेने के बाद भी ताज़गी महसूस नहीं होती है। नींद को लेकर ये शिक़ायतें आम हो चुकी हैं। इसलिए ज़रूरी है कि अब सोने के लिए हम छोटे बच्चों के लिए की जाने वाली तीन चरणों की छोटी-सी प्रक्रिया को अपना लें।
समय निर्धारित करें
हम देखते हैं कि छोटे बच्चे उनका समय होते ही सो जाते हैं, फिर वे कहीं पर भी हों। अच्छी नींद के लिए एक तय समय होना बहुत ज़रूरी है। जब आप दस दिन रात 9:30 बजे सोने का प्रयास करेंगे, तो ग्यारहवें दिन ख़ुद-ब-ख़ुद इस समय पर नींद आने लगेगी। तय समय पर सोने से नींद पूरी होगी और छोटे बच्चों की ही तरह सुबह भी निर्धारित समय पर नींद खुलने लगेगी।
स्नान करें
बच्चों को गुनगुने पानी से नहलाते ही फ़टाफ़ट नींद आ जाती है। उन्हीं की तरह आप भी रात में सोने से एक घंटा पूर्व हल्के गुनगुने पानी से स्नान करें। ऐसा करने से सोते वक़्त आपके शरीर का तापमान सामान्य की तुलना में कम हो जाएगा, रक्त वाहिकाएं फैल जाएंगी व रक्त प्रवाह बढ़ेगा जिससे कि आप गहरी और मीठी नींद ले सकेंगे।
लोशन से मसाज करें
छोटे बच्चों को नहलाने के बाद जब उनकी मालिश की जाती है, तो वे झट से सो जाते हैं। बच्चों की ही तरह आप भी स्नान करने के बाद और सोने से पहले शरीर पर बॉडी लोशन लगाएं और हल्के हाथों से सामान्य मसाज करें। ऐसा करने से शरीर आराम की अवस्था में पूरी तरह से आ जाएगा और जल्दी ही आपको नींद आ जाएगी।
ये भी आज़माएं
इन तीन चरणों से गुज़रने के बाद आराम से पलंग पर लेट जाएं और कोई अच्छी कहानी पढ़ें या शांतिदायक संगीत सुनें। मोबाइल को इस पूरी प्रक्रिया को करने से पहले ही किसी कोने में रख दें। आपने देखा होगा कि छोटे बच्चों को जब दादी-नानी कहानियां या लोरी सुनाती हैं तो उन्हें मीठी नींद आती है, इसलिए कहानी व संगीत की ये तरक़ीब ख़ुद पर आज़माएं।
बेडशीट की सफ़ाई को न करें नज़रअंदाज
नींद की गुणवत्ता बिस्तर की स्वच्छता पर भी निर्भर करती है। शोध के मुताबिक़, प्रतिदिन हमारे द्वारा बिस्तर पर बिताए समय की गणना करें तो जीवन के लगभग 25 साल हम बिस्तर पर ही व्यतीत करते हैं। सोचिए जब इतना समय हम बिस्तर पर ही रहते हैं तो धूल-मिट्टी, हमारे शरीर से निकलने वाला पसीना, मृत त्वचा आदि से बेडशीट कितनी गंदी होती होगी। छोटे बच्चों की बेडशीट को प्रतिदिन बदला जाता है, धोया जाता है। साफ़ बेडशीट पर सोने से उन्हें गहरी नींद आती है।
इसलिए बेडशीट की सफ़ाई से जुड़ी इन बातों का ध्यान अवश्य रखें।
}बेडशीट व तकियों के कवर को सप्ताह में एक या दो बार ज़रूर धोएं।
}बेडशीट को धोने के बाद धूप में थोड़ी देर सुखाएं, इससे सारे कीटाणु ख़त्म हो जाएंगे।
}बिस्तर पर बैठकर नाश्ता न करें, ऐसा करने से बेडशीट जल्दी और ज़्यादा गंदी होती है।
}घर में चप्पल पहनकर रहें। ऐसा करने से धूल- मिट्टी आपके पैरों से बिस्तर तक नहीं आएगी।
}नींद से जागते ही बिस्तर न बनाएं। थोड़ी देर बिस्तर को ऐसा ही रहने दें ताकि रातभर में आपके शरीर से निकला हुआ पसीना बेडशीट से पूरी तरह सूख जाए। फिर बिस्तर को व्यवस्थित करें।