DSP Surendra Singh Murder …?

DSP Surendra Singh Murder: पत्थरों की खन-खन में करोड़ों का कारोबार, जानें कैसे कीमती हो जाता है पत्थर…
अरावली की पहाड़ी
तावडू में डीएसपी की हत्या ने पूरे राज्य में सनसनी फैला दी है। पत्थरों की खन-खन में करोड़ों का कारोबार होता है। ऐसा हम नहीं, यह उन लोगों का दावा है जिन्हें पिछले महीने क्राइम ब्रांच सेक्टर-65 ने गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड से पकड़ा था। पुलिस ने खनन माफिया के इस गिरोह का खुलासा किया था। इसमें पाली गांव निवासी सोमवीर व चंद्रपाल नाम के चाय वाले को गिरफ्तार किया गया था। आरोपियों से पूछताछ में सामने आया कि पत्थर चोरी में करोड़ों का मुनाफा होने के कारण अपराधी बड़े से बड़ा रिस्क लेने के लिए तैयार रहते हैं। आरोपियों ने पूरे सिस्टम को हैक करने के लिए आरटीओ विभाग के अधिकारियों की गतिविधि पर नजर रख रखी थी। जैसे ही अधिकारी अपने कार्यालय से बाहर निकलते हैं तो आरोपी के गुर्गे व्हाट्सएप ग्रुप पर सूचना भेज देते थे। ग्रुप में ट्रांसपोर्टर, चालक व सरगना जुड़े होते थे। इस पूरे नेटवर्क में पुलिस से लेकर खनन विभाग और आरटीओ तक के अधिकारियों को मोटी रिश्वत दी जाती थी। पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा ने इसमें अभी तक तत्कालीन सूरज कुंड थाना प्राभारी सोहनपाल, पाली पुलिस चौकी प्रभारी, ग्रीन फील्ड चौकी प्रभारी सहित सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करा दी है।
खनन माफियाओं ने की डीएसपी सुरेंद्र सिंह की हत्या
एक अधिकारी को हर माह 60 लाख रुपये
क्राइम ब्रांच की अभी तक की जांच में सामने आया है कि पत्थर चोरी में एक-एक अधिकारी को हर माह 50 से 60 लाख रुपये दिए जाते थे। सूत्रों के मुताबिक, पाली गांव निवासी सोमवीर ने जिन नामों के खुलासे किए हैं वे सभी जिला स्तर के अधिकारी हैं। इसमें खनन विभाग से लेकर आरटीए और पुलिस के अफसर भी शामिल हैं। खनन विभाग के माइनिंग अधिकारी बलराम का नाम भी जांच में सामने आया है। बलराम की भूमिका इसलिए भी संदिग्ध है क्योंकि कई बार ट्रांसफर से बावजूद वह कुछ महीनों में ही वापस फरीदाबाद आ जाते हैं।
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कैसे कीमती हो जाता है पत्थर 
नाम ना छापने का शर्त पर एक खनन अधिकारी ने बताया कि पत्थर में सारा खेल चोरी का है, जो ट्रक चार टन तक पास है उस पर 10 से 12 टन तक माल लादा जाता है। चार टन का बिल बनने के बाद बाकी सारा चोरी का माल होता है। पुलिस को इनका चालान करने की पावर नहीं होती। कुछ माह तक पुलिस को इसकी पावर दी गई थी। उस समय करोड़ों का राजस्व पुलिस ने विभाग को दिया था। करीब तीन महीने पहले पुलिस से पावर वापस ले ली गई। ओवरलोड ट्रक पहली बार पकड़े जाने पर साढ़े 4 लाख, दूसरी बार में आठ लाख, तीसरी बार में 16 लाख और चौथी बार में गाड़ी को सीज करने का प्रावधान है। मोटे चालान से बचने के लिए हर माह मोटी रकम दी जाती है। दबाव बढ़ने पर खनन अधिकारी चालान के बजाय एफआईआर करवाकर दो दिन में गाड़ी छोड़ देते हैं। चालक जमानत के बाद दोबारा गाड़ी चलाने लगता है।
रेत व ट्रैक्टर-ट्रालियां।
बगैर ठेके मिल रहा रेत
सूरजकुंड स्थित अरावली की पहाड़ी से लेकर यमुना नदी से अवैध खनन का सिलसिला रोक के बावजूद जारी है। जनवरी से जुलाई मध्य तक फरीदाबाद पुलिस ने अवैध खनन करने के करीब 38 मामले दर्ज किए हैं। फरीदाबाद के सूरजकुंड से अरावली गुरुग्राम तक है। इसके अलावा फरीदाबाद और पलवल जिले के करीब 60 किलोमीटर क्षेत्र में यमुना नदी बहती है। कोई ठेका नहीं छोड़ा गया है। इसके बावजूद रेता आसानी से मिल जाता है। अरावली में चोरी-छिपे हो रहे खनन को रोकने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कई बार सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी में याचिका कर दायर की है।
विभाग ने पत्थर चोरों के खिलाफ 332 केस दर्ज कराए हैं। खनन और आरटीओ अधिकारियों की जांच पुलिस द्वारा की जा रही है। राजस्थान व मेवात के रास्ते से आने वाले खनन माफिया पर नकेल कसने के लिए दूसरे राज्यों से भी पुलिस का सहयोग लिया जाएगा। जल्द ही बड़ा अभियान चलाया जाएगा। – मूलचंद शर्मा परिवहन एवं खनन मंत्री हरियाणा

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