भिण्ड : फर्जीवाड़ा ..? 13 स्वसहायता समूहों को 20 माह में कर दिया 2.66 करोड़ का भुगतान
नियम एक स्व-सहायता समूह को अधिकतम 10 आंगनबाड़ी केंद्र पर पोषण आहार वितरण कराने का ….
भिण्ड. महिला एवं बाल विकास विभाग में बड़ा गोलमाल सामने आया है। कागजों में संचालित किए जा रहे 13 स्वसहायता समूहों को गुजरे 20 महीनों में दो करोड़ 66 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया है। मजे की बात ये है कि अलग-अलग स्वसहायता समूहों को भुगतान की गई धनराशि एक ही व्यक्ति के खाते में स्थानांतरित की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि महिला एवं बाल विकास विभाग में दर्ज भिण्ड शहर के गीता स्व.सहायता समूह, माँ पीताम्बरा स्व.सहायता समूह, रूबी स्व-सहायता समूह, गुनगुन स्व-सहायता समूह, स्वदेशी स्व-सहायता समूह, लक्ष्मी स्व.सहायता समूह, शिवानी स्व.सहायता समूह, गौरी स्व-सहायता समूह, स्नेहा स्व-सहायता समूह, शिवशक्ति स्व-सहायता समूह, सरस्वती स्व-सहायता समूह, दुर्गा स्व.सहायता समूह एवं आस्था स्व-सहायता समूह के बैंक खातों में प्रति माह औसतन एक लाख 30 हजार रुपए पोषण आहार बनवाकर आंगनबाड़ी केंद्रों पर वितरण के नाम पर भुगतान किए जा रहे हैं। यह सिलसिला पिछले 20 महीनों से अनवरत रूप से चल रहा है।
जांच में फर्जी पाए गए स्वसहायता समूह
विदित हो कि सामाजिक कार्यकर्ता कौशल किशोर ने स्वसहायता समूहों के फर्जीवाड़े की शिकायत संचालक नगरीय निकाय एवं विकास विभाग भोपाल को की थी। तदुपरांत सामाजिक न्यायाय विभाग एवं नगरीय निकाय प्रशासन द्वारा उपरोक्त स्वसहायता समूहों की जांच की गई। जांच में न तो निकाय अन्तर्गत कोई भी एएलएफ का गठन और न ही इसकी कोई जानकारी पूर्व से पदस्थ सामुदायिक संगठक सीमा भदौरिया एवं अंजेला मिंज के पास पाई गई। इतना ही नहीं कोई नस्ती भी कार्यालय में नहीं मिली। पोर्टल पर जो 03 एएलएफ दर्ज मां पीताम्बरा, वैष्णवी एवं गुनगुन समूहद्ध के दर्ज पाए गए। इसके अलावा निकाय में कोई भी एएलएफ गठित नही पाया गया। पूर्व में पदस्थ सिटी मिशन प्रबंधक गोपाल झा द्वारा अन्य समूहों के बारे में भ्रामक जानकारी दर्ज कराया जाना पाया गया। भिण्ड निकाय अन्तर्गत स्व.सहायता समूहों को महिला एवं बाल विकास विभाग से पोषण आहार वितरण का कार्य आवंटित किया गया है। शिकायत में अंकित स्व.सहायता समूहों से पोषण आहार सम्बन्धी दस्तावेजों की जानकारी 03 स्व.सहायता समूहों द्वारा ही प्रदान की गई। शेष स्वसहायता समूहों द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई और न ही जांच में कोई सहयोग किया गया। 03 स्व.सहायता समूहों से प्राप्त जानकारी में पाया गया कि गुनगुन स्व.सहायता समूह के सदस्यों को आवंटित आंगनवाड़ी तक की जानकारी नहीं है और न ही लेन.देन की भी जानकारी है। वहीं स्वदेशी स्व.सहायता समूह के सदस्यों द्वारा बताया गया कि समूह को दबोहा के आंगनबाड़ी केंद्रों का कार्य आवंटित है वहां पर 02 महिलाओं को खाना बनाने के लिए नौकरी पर रखा गया है। स्व.सहायता समूह की महिलाओं द्वारा पोषण आहार का निर्माण नहीं किया जा रहा है। जबकि नियम के मुताबिक स्वसहायता समूह की महिलाओं को स्वयं काम करना होता है। इसी प्रकार मां पीताम्बरा स्व.सहायता समूह के अध्यक्ष सचिव द्वारा बताया गया कि समूह को लाहार निकाय की आंगनवाडिय़ों में पोषण आहार वितरण करने की जिम्मेदारी दी गई है जबकि जिस निकाय में स्वसहायता समूह दर्ज है उसी निकाय के आंगनबाड़ी केंद्र पर पोषण आहार वितरण का काम किए जाने का प्रावधान है।
ये फर्जीवाड़ा है स्व-सहायता समूहों में
दुर्गा स्व.सहायता समूह का गठन दिसम्बर 2016 में किया जाना एमआईएस पोर्टल पर दर्ज है। समूह में 01 ही महिला की संख्या दर्ज है। जबकि डे.एनयूएलएम के गाईड लाईन अनुसार एक समूह में न्यूनतम 10 महिलाओं का होना अनिवार्य है। डे.एनयूएलएम के एमआईएस पोर्टल पर दर्ज स्व.सहायता समूह के दूरभाष नम्बर या तो बन्द है या किसी अन्य व्यक्ति के नम्बर दर्ज हैं जिनका स्व.सहायता समूहों से कोई संबंध नहीं है। पोर्टल अनुसार सिर्फ 05 स्व.सहायता समूह ही लिंक हैं। जबकि उक्त स्व.सहायता समूहों के गठन की अवधि 03 वर्ष से अधिक है। डे एनयूएलएम के एमआईएस पोर्टल पर दर्ज जानकारी भ्रामक एवं गलत दर्ज है। अगर इस घालमेल की बारीकी से जांच हुई तो बड़ा नेक्सस सामने आ सकता है।
इस संबंध में परियोजना अधिकारी से लेता हूं। यदि फर्जीवाड़ा किया गया है तो गलत तरीके से संचालित स्वसहायता समूहों से को ब्लैक लिस्टेट कराए जाने के अलावा अनियमितता में संलिप्त विभागीय अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. सतीश कुमार एस, कलेक्टर भिण्ड