‘रेवड़ी कल्चर’ को सुप्रीम कोर्ट ने बताया गंभीर मुद्दा, केंद्र सरकार को दिए कानून बनाने के आदेश

चुनाव से पहले वोटरों को लुभाने के लिए राजनीतिक दल उपहार बांटने, बिजली-पानी फ्री देने और कई अन्य वादे कर रहे हैं जो सही नहीं है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार को कानून बनाने का आदेश दिया है …

नई दिल्ली ...चुनाव के दौरान फ्री में बिजली-पानी या अन्य सुविधाएं देने का वादा करने वाले मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख दिखाया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले पर केंद्र सरकार को आदेश दिए हैं कि चुनावों के दौरान ‘मुफ्त की रेवड़ियां’ बांटने का वादा करने से राजनीतिक दलों को रोकने के लिए वह कोई समाधान निकाले। दरअसल, चुनाव के दौरान ‘रेवड़ी कल्चर’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई है, जिसमें मांग की गई है कि मुफ्तखोरी के वादे करने वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द किया जाए और चुनाव चिह्न जब्त कर लिया जाए।

‘रेवड़ी कल्चर’ को लेकर भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह ‘एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है’। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय ने यह याचिका दायर की है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बुंदेलखंड एक्सप्रसवे के उद्घाटन के दौरान उन राजनीतिक दलों पर निशाना साधा था जो चुनावों के दौरान मुफ्त वादों को लेकर निशाना साधा और उसे ‘रेवड़ी कल्चर’ बताया था।

वहीं इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने केंद्र सरकार से स्थिति पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने को कहा है। चुनावा आयोग की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि फ्री गिफ्ट और चुनावी वादों से संबंधित नियमों को आदर्श आचार संहिता में शामिल किया गया है। लेकिन इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने और दंडित करने के लिए कोई भी कानून सरकार को बनाना होगा।

चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के ऐसे कई फैसले हैं जो कहते हैं कि चुनावी घोषणा पत्र कोई वादा नहीं है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने भी कहा कि इस मुद्दे पर ECI को विचार करना होगा। बता दें, इस मामले में चीफ जस्टिस ने पिछले 25 जनवरी को ही केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था। अदालत इस मामले पर 3 अगस्त को आगे की सुनवाई करेगी।

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