‘द्रौपदी के 5 पति, मेरे 2 पर आपत्ति क्यों…’:
ओशो की सेक्रेटरी रही शीला इंदौर में बोलीं- यह मेरी देह है, दिखाना चाहूं तो ऐतराज क्यों …
ओशो की पर्सनल सेक्रेटरी रह चुकीं आनंद शीला सोमवार को इंदौर पहुंचीं। उनका पूरा जीवन विवादों से घिरा रहा। उनकी कंट्रोवर्शियल लाइफ पर दो वेब सीरीज भी आईं। 72 साल की आनंद शीला दो टूक बात करती हैं। सवाल कितना ही विवादित क्यों न हो, एक भी पल गंवाए बगैर बेबाक जवाब देती हैं। फिर चाहे एक मैगजीन में छपे उनके न्यूड फोटोग्राफ्स से जुड़ा सवाल हो या ड्रग्स की शुरुआत करने पर ओशो को छोड़ देने का जिक्र। शीला फिक्की लेडीज आर्गनाइजेशन की चेयरपर्सन पायल अग्रवाल की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में आई थीं।
आनंद शीला ने शहर की आंत्रप्रेन्योर्स से हर मसले पर खुल कर बात की। शीला ने हर उलझे हुए सवाल का जवाब दिया। संतुलित और नपा तुला ही सही, पर जवाब दिया। पढ़िए आर्किटेक्ट विभा सेठी की उनसे बातचीत के अंश…
भगवान (ओशो) जैसे खूबसूरत व्यक्ति से किसी को प्रेम कैसे न हो! ऐसे सम्मोहित करने वाले पुरुष के प्रति प्रेम भाव न जागे तो समझिए कि आप में कोई समस्या तो है। मैं भगवान से प्रेम करने लगी थी और मैं प्रेमवश ही उनके पास गई थी। उनकी दौलत, उनके साम्राज्य के ऐश-ओ-आराम को हासिल करने या उनकी सेक्रेटरी बनने की मंशा लेकर नहीं। वक्त के साथ सब होता गया और जो कुछ हुआ, मैंने उसे खुली बांहों से अपनाया। मैं उनसे दौलत-शोहरत के लिए नहीं जुड़ी। सच कहूं तो वहां काम करने के लिए कोई रुपए मिलते भी नहीं थे। आप शायद मेरी बात पर यकीन न करें। इस पर आपको शंका हो सकती है, लेकिन वह आपकी समस्या है। मेरी नहीं। अपनी इन शंकाओं का बोझ आप मुझ पर नहीं डाल सकते।
सवाल: अपनी किताब में आपने लिखा है कि आपने ओशो के लिए 5.9 मिलियन डॉलर की प्रॉपर्टी खरीदी थी जबकि आपके पास 50 हजार डॉलर भी नहीं थे। ये रुपया आपने कैसे और कहां से जुटाया ?
शीला: इधर मैं जमीन की कीमत का मोलभाव कर रही थी और उधर भगवान ओशो एक रोल्स रॉयस और एक मर्सिडीज खरीद लाए। रोल्स रॉयस अपने लिए और मर्सिडीज मेरे लिए। दुनियाभर में उनके कई चाहने वाले थे। सब अपने आप होता गया।
सवाल: इतने साल ओशो के साथ रहने के बाद, उनके प्रति प्रेम होते हुए भी अचानक आपने उनका साथ छोड़ दिया। क्यों?
शीला: मैंने भगवान को कभी नहीं छोड़ा। मैं आज भी उनसे उतना ही प्रेम करती हूं। पर एक समय ऐसा आया जब कुछ लोगों ने उनके साथ ड्रग्स के प्रयोग करना शुरू कर दिए जो मुझे सही नहीं लग रहा था। मैंने आपत्ति ली तो भगवान ने कहा ‘तुम इस मसले से दूर ही रहो।’ मेरा फर्ज उन्हें इस सबसे बचाना था, लेकिन उसकी इजाजत मुझे नहीं थी। इसलिए मैंने ओशो कम्यून से दूर होना ही बेहतर समझा।
सवाल: एक वक्त पर आपके दो पति रहे। आप दोनों के साथ रहीं। दो लोगों के लिए एक वक्त पर एक सी भावना और सोशल कॉन्फ्लिक्ट को कैसे हैंडल किया?
शीला: जब द्रौपदी के पांच पति हो सकते हैं तो मेरे दो पति पर सवाल क्यों? मेरे दोनों जीवनसाथी यह बात जानते थे कि यदि दूसरे व्यक्ति से ईर्ष्या भाव रखा तो शीला को खो देंगे। मैंने दुनिया की परवाह कभी नहीं की। वही किया जो मुझे सही लगा।
सवाल: प्रेम और शादी के बारे में क्या कहेंगी?
शीला: जो मुझे कहना है वह आपको पसंद नहीं आएगा पर मैं कहूंगी जरूर। मेरे लिए शादी सर्टिफाइड सेक्शुअल एक्ट से ज्यादा कुछ भी नहीं है। दैहिक संबंध बनाने के लिए इस सर्टिफिकेट की जरूरत औरत को ही क्यों हो, जब पुरुष से यह प्रमाण पत्र कोई नहीं मांगता।
सवाल: एक मैगजीन में आपकी न्यूड फोटो प्रकाशित की गई थी। यह आपका लिबरेशन था या फिर आपसे यह करने को कहा गया था?
शीला: यह मेरी देह है और मैं इसे दिखाना चाहूं तो किसी को ऐतराज क्यों करना चाहिए। मैं आज इस उम्र में भी ऐसा फोटोशूट कराने को तैयार हूं।
सवाल: क्या ओशो के पास 96 रोल्स रॉयस कार थीं?
शीला: ओशो के पास 96 रोल्स रॉयस कार थीं। उन्होंने अपने अनुयाइयों के सामने शर्त रखी थी कि मैं समाधि सिर्फ एक शर्त पर लूंगा। शर्त यह है कि मुझे 30 रोल्स रॉयस कार चाहिए, वह भी एक महीने में। करोड़ों रुपए कीमत चुकाकर ये कारें लाई भी गईं। भगवान ओशो सबसे ज्यादा रोल्स रॉयस कारों के मालिक होने का गिनीज रिकॉर्ड बनाना चाहते थे। उन्होंने मुझे अपनी यह ख्वाहिश बताई थी।
39 महीने जेल में रहीं शीला
1949 में गुजरात के वडोदरा में उनका जन्म हुआ। आनंद शीला रजनीश मूवमेंट की प्रवक्ता रही हैं। 1981 से 1985 तक ओशो की सेक्रेटरी रहीं। उनपर आरोप लगा कि ओशो को भारत से अमेरिका ले जाने के पीछे का दिमाग उनका है। ओशो ने साल 1981 में अमेरिका के वॉस्को काउंटी में रजनीश पुरम आश्रम की स्थापना की थी। शीला पर साल 1984 में बायो टेरर अटैक का आरोप लगा था, जिसके बाद उन्हें काफी समय जेल में भी बिताना पड़ा था। वो साल 1985 में अमेरिका से भाग गई थीं और वेस्ट जर्मनी में 1986 में गिरफ्तार की गईं। उन पर करोड़ों रुपए की चोरी का भी इल्जाम लगा और 20 साल की सजा सुनाई गई। हालांकि सिर्फ 39 महीनों में ही अच्छे व्यवहार की वजह से उन्हें पेरोल पर रिहा कर दिया गया।
ओशो ने की थी शीला की बुराई
ओशो ने सार्वजनिक तौर पर आनंद शीला की बुराई की थी और अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराया था। इसके बावजूद उन्होंने कभी ओशो की बुराई नहीं की, बल्कि वे हमेशा ओशो से प्रेम का ही दावा करती रहीं। मौजूदा समय में आनंद शीला स्विटजरलैंड में बुजुर्गों के लिए दो आश्रम चला रही हैं।