ग्वालियर ; न्याय केंद्र …? जो पीड़ित नहीं कर पाते वकील उन्हें देते हैं फ्री सलाह, 3 साल में 285 लोगों को मिली मदद
देश के संविधान ने जहां प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकार दिए हैं, वहीं कानून में हर अवैध कार्य के लिए दंड का प्रावधान भी है, लेकिन अधिकांश अवसर पर ये देखने को मिलता है कि पैसे के अभाव में शोषित या जरूरतमंद वर्ग वकील से संपर्क नहीं कर पाता और पात्र होने के बाद भी उन्हें अपना हक नहीं मिल पाता।
हालांकि, अधिवक्ता परिषद, मध्यभारत प्रांत की ग्वालियर ईकाई द्वारा संचालित न्याय केंद्र विधिक सहायता देने के काम को बखूबी अंजाम दे रहा है। प्रत्येक रविवार को परिषद के अधिवक्ता शिंदे की छावनी स्थित संत रविदास शिशु मंदिर विद्यालय में सुबह 9 से 12 बजे तक नि:शुल्क सलाह देते हैं। जून 2018 से शुरू किए न्याय केंद्र में अब तक 285 से अधिक लोगों को विधिक सलाह दी जा चुकी है। न्याय केंद्र के संबंध में जानकारी देते हुए एडवोकेट विवेक जैन ने बताया कि यहां जरूरतमंद लोगों को लीगल एड के जरिए मुकदमे दायर करने के संबंध में भी मार्गदर्शन दिया जाता है।
एक माह बाद फोन किया, तो पिता बोले- सब ठीक है
- 84 वर्षीय संदीप गौड़ (परिवर्तित नाम) निवासी खल्लासीपुरा ने न्याय केंद्र में संपर्क कर बताया कि उनका बेटा न तो उन्हें अपने साथ रखने को तैयार है और न ही खर्च के लिए पैसे देता है। अधिवक्ताओं ने बेटे सुंदरलाल (परिवर्तित नाम) निवासी अंबेडकर पार्क, शीलनगर से संपर्क किया और न्याय केंद्र बुलाकर समझाया कि पिता को खर्च देने के लिए कानून में प्रावधान है। बेटा पिता को खर्च नहीं देगा, तो उसके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। ये बात बेटे को समझ में आ गई और उसने भरोसा दिलाया कि आगे से पिता को कोई समस्या नहीं होगी। एक माह बाद जब न्याय केंद्र से संदीप गौड़ को फोन लगाया, तो उन्होंने कहा कि बेटा परेशान नहीं कर रहा। भविष्य में कोई समस्या आई तो संपर्क करूंगा।
भाइयों पर लगाया संपत्ति हड़पने का आरोप
- पिता की मृत्यु के बाद सतीश कुमार राठौर (परिवर्तित नाम) निवासी जौहरी कॉलोनी, नई सड़क के भाइयों ने फर्जी वसीयत बनवा ली और उसे बेदखल कर दिया। कानूनी सलाह लेने के लिए सतीश ने न्याय केंद्र में संपर्क साधा और भाइयों पर फर्जीवाड़ा कर घर से बाहर धकेलने का आरोप लगाया। उसने कहा कि पुलिस भी इस मामले में उसकी मदद नहीं कर रही। इस पर न्याय केंद्र से उसे सक्षम न्यायालय में निजी इस्तगासा दायर करने की सलाह दी गई। इस्तगासा दायर होने के बाद आरोपी परिजन के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेज तैयार करने सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया।