मुफ्त पर कितना खर्च …? सब्सिडी बांटने में मप्र का देश में दूसरा नंबर, एक साल में कमाई से 21,000 करोड़ रु. बांटे

मुफ्त की रेवड़ियां बांटने में हमारा राज्य भी पीछे नहीं है। मप्र सरकार ने टैक्स के जरिए सालभर में अर्जित राशि का 28.8% हिस्सा मुफ्त की योजनाओं में खर्च कर दिया। अपनी टैक्स आय से सब्सिडी देने वालों में पंजाब (45.4%) और आंध्रप्रदेश (30.3%) ही मप्र से आगे रहे। रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है। यह रिपोर्ट राज्यों के बजट पर आधारित थी। मप्र सरकार ने बजट पेश होने के बाद 6,800 करोड़ रुपए के बिजली बिल माफ कर दिए थे।

इसे जोड़ लें ताे मप्र में पिछले एक साल में 27,800 करोड़ रुपए की मुफ्त की रेवड़ियां बांटी गईं। यानी जारी वित्तीय वर्ष में उसकी कमाई का 28.8% नहीं, 38.12% हिस्सा मुफ्त की योजनाओं में खर्च होगा। इस लिहाज से राशि के आधार पर सबसे अधिक सब्सिडी मप्र सरकार ने दी। हालांकि रिपोर्ट में राशि के आधार पर आंध्रप्रदेश 27,541 करोड़ की सब्सिडी देकर देश में अव्वल है। 21 हजार करोड़ के साथ मप्र दूसरा और 17,000 करोड़ की सब्सिडी देने वाला पंजाब तीसरे स्थान पर है।

राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर उठे ये सवाल

  • 10 साल पहले मप्र के जीएसडीपी(राज्य घरेलू उत्पाद) में खुद के टैक्स की अर्जित राजस्व की हिस्सेदारी 8% होती थी। अब यह घटकर 6% ही रह गई है।
  • बिजली कंपनियों को बेलआउट करने पर मप्र सरकार पर 49,112 करोड़ रुपए का लंबी अवधि का कर्ज बढ़ा है।

जानिए… क्या हैं मुफ्त की रेवड़ियां और उनका असर

आरबीआई के अनुसार मुफ्त की योजनाएं वे हैं, जिनसे अर्थव्यवस्था को कोई फायदा नहीं होता। फ्री बिजली-पानी, बस यात्रा, कर्जमाफी जैसी योजनाएं रिपोर्ट में मुफ्त की रेवड़ियां मानी गई हैं। रिपोर्ट कहती है कि ये प्रदेश के बैंकिंग सिस्टम को खोखला बना रहीं हैं। ये निजी निवेश के प्रोत्साहन को कम करती हैं।

राज्यों में जीएसडीपी की तुलना में कर्ज (%)
राज्यों में जीएसडीपी की तुलना में कर्ज (%)
  • 27,541 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी है आंध्र प्रदेश ने
  • 17,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी 1 साल में पंजाब ने
  • 6800 करोड़ के बिजली बिल मप्र में माफ किए गए

मप्र में दो साल में कर्ज का बोझ 2% तक बढ़ गया

रिपोर्ट में मप्र के बढ़ते कर्ज पर गहरी चिंता जताई गई है। इसके अनुसार मप्र देश का इकलौता ऐसा राज्य है जहां पिछले दो सालों में कर्ज का बोझ घटने के बजाय 2% बढ़ गया है। मप्र में जीडीपी की तुलना में 31.3% कर्ज है। 2022-23 में इसके बढ़कर 33.3% होने यानी सीधे 2% की बढ़ोतरी का अनुमान है। जीएसडीपी की तुलना में कर्ज में मप्र देश में चौथा है। पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल टॉप-3 हैं। लेकिन इन तीनों राज्यों में मौजूदा वर्ष में जीएसडीपी की तुलना में कर्ज में कमी आने का अनुमान है। पंजाब में इस साल 4.2%, बंगाल में 2.9% और राजस्थान में 0.7% कर्ज कम होगा। आरबीआई मानता है कि मप्र देश के उन चुनिंदा राज्यों की सूची में शुमार है, जहां कर्ज क्षमता से ज्यादा है।

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