मोबाइल फोन के गुलाम बनते जा रहे युवा, आपको बहुत बीमार बना सकता है एक Smartphone

 नई रिपोर्ट के मुताबिक़ मोबाइल फोन आपकी Mental Health का सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका है. आज भारत में 18 से 24 साल के युवाओं के खराब मानसिक स्वास्थ्य और तनाव के लिए उनका Smart Phone सबसे बड़ा ज़िम्मेदार है. 

 अब आप हमारे देश के उन युवाओं से मिलिए, जिन्होंने मोबाइल फोन की गुलामी को स्वीकार कर लिया है. एक नई रिपोर्ट के मुताबिक़ मोबाइल फोन भारत में 18 से 24 साल के बच्चों को बहुत बीमार बना रहा है. इतना बीमार कि ये बच्चे मोबाइल फोन के लिए मर्डर, चोरी और यहां तक कि सुसाइड करने के लिए भी तैयार हैं. गुलाम भारत की युवा पीढ़ी को सम्बोधित करते हुए एक बार स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि ‘उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए. तुम जो सोच रहे हो, उसे अपनी ज़िन्दगी का विचार बनाओ. उसके बारे में सोचो, उसके लिए सपने देखो, उस विचार के साथ जिओ. तुम्हारे दिमाग़ में, तुम्हारी मांसपेशियों में, तुम्हारी नसों में और तुम्हारे शरीर के हर हिस्से में वो विचार भरा होना चाहिए. यही सफलता का सूत्र है.’ ये वो विचार हैं, जिसने गुलामी के समय भारत के युवाओं के मन में स्वाभिमान और स्वतंत्रता के बीज बोए. लेकिन हमें लगता है आज विवेकानंद के विचार की लड़ाई, वीडियो गेम वाली पीढ़ी से हो रही है.

युवाओं पर डाला सबसे बुरा असर

एक नई रिपोर्ट के मुताबिक़ मोबाइल फोन आपकी Mental Health का सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका है. आज भारत में 18 से 24 साल के युवाओं के खराब मानसिक स्वास्थ्य और तनाव के लिए उनका Smart Phone सबसे बड़ा ज़िम्मेदार है. पहले जब इंटरनेट की पहुंच इतनी आसान नहीं हुई थी और बच्चों के पास उनका Smart Phone नहीं होता था, तब औसतन एक बच्चा 18 वर्ष का होने तक अपने परिवार और दोस्तों के साथ 15 हज़ार से 18 हज़ार घंटे बिता चुका होता था. लेकिन Smart Phone आने के बाद अब ये समय घट कर 15 हज़ार घंटे से 5 हज़ार घंटे ही रह गया है. यानी अब आपका बच्चा रियल लाइफ की बजाए रील लाइफ में बिजी हो गया है.

इसके अलावा इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि Smart Phone के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों के मन में आत्महत्या करने के भी बुरे ख्याल आते हैं. इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों और युवाओं को भ्रम में डाल देता है और वो रियल और रील लाइफ में कंफ्यूज हो जाते हैं. वो रील लाइफ को ही रियल लाइफ समझने लगते हैं. यानी ज्यादा फोन इस्तेमाल करने वाले युवा काल्पनिक दुनिया को ज्यादा से ज्यादा बड़ा करने में लग जाते हैं. वहां से होने वाली हताशा को वो वास्तविक समझते हैं और अपने माता-पिता से दूर होते जाते हैं. हालांकि Smart Phone वाले इस दौर में ये समस्या सिर्फ़ युवाओं को लेकर नहीं है. आज हम आपको Smart Phone से पहले का दौर याद दिलाना चाहते हैं और आप खुद सोचिएगा कि अब समय और परिस्थितियां कितनी बदल चुकी हैं.

मोबाइल फोन के गुलाम बने लोग

पहले लोग घर के बाहर बरामदे में दोस्तों के साथ घंटों बातचीत किया करते थे क्योंकि उस समय मोबाइल फोन नहीं था. स्कूल के सारे टीचर शिकायतें डायरी में लिखते थे क्योंकि मोबाइल फोन नहीं था. एक जमाने में लोग दूरदर्शन के 15 मिनट के समाचार शांति से साथ बैठ कर सुन लेते थे क्योंकि मोबाइल फोन नहीं था. पहले लोग इधर उधर ध्यान दिए बिना परिवार के साथ बैठकर खाना खा लेते थे क्योंकि मोबाइल फोन नहीं था. ट्रेन लेट होने पर कई बार रेलवे स्टेशन जाकर बार बार पूछना पड़ता था क्योंकि मोबाइल फोन नहीं था. हर साल जन्मदिन पर माता-पिता के साथ फोटो स्टूडियो में एक तस्वीर खिंचवाने के लिए जाते थे क्योंकि मोबाइल फोन नहीं था. लेकिन मोबाइल फोन के बाद ये सब बदल गया. मोबाइल फोन ने हमारे जीवन को सरल बनाया और Smart Phone ने स्मार्ट. लेकिन जैसे ही लोगों और खास तौर पर युवाओं ने खुद को मोबाइल फोन का गुलाम बना लिया, तभी से इसने एक महामारी का रूप ले लिया. आज एक Smart Phone आपको बहुत बीमार बना सकता है.

मोबाइल फोन में Thermal और Magnetic Radiation होता है, जिसमें Thermal Radiation हमारे शरीर में गर्मी को बढ़ाता है और इससे आपके मस्तिष्क और दिल के Cells ज्यादा गति से चलते हैं. वहीं Magnetic Radiation भी शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है. ये Radiation बच्चों को Hyperactive बना देता है, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. Smart Phone के ज्यादा इस्तेमाल से कोशिकाओं में एक अलग तरह का Oxidative Stress पैदा होता है. इसके अलावा ये Radiation खून की गुणवत्ता और Brain Cells को भी प्रभावित करता है. इससे डिप्रेशन, Alzheimer, कैंसर, Arthritis और दिल से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

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