एक दवा से 300 सुपरबग्स का खात्मा …? हर साल 70 लाख लोगों की जान बच सकती है ..
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बनाया ‘सुपरड्रग’, हर साल 70 लाख लोगों की जान बच सकती है …?
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ड्रग विकसित किया है, जो सुपरबग्स के खिलाफ काम आ सकता है। इसका नाम फैबिमायसिन है। रिसर्च के दौरान यह सैकड़ों बैक्टीरिया मारने में सक्षम पाया गया। ये सभी बैक्टीरिया सामान्य दवाओं के प्रति रेसिस्टेंट हैं।
ज्यादा दवा लेने से बनते हैं सुपरबग्स
सुपरबग एक ऐसा बैक्टीरिया, वायरस, पैरासाइट या फंगस है, जिस पर एंटीबायोटिक दवाओं का कोई असर नहीं होता। एक जीवाणु के सुपरबग बनने की मुख्य वजह ज्यादा मात्रा में एंटीबायोटिक दवाएं लेना होता है। नॉर्मल बैक्टीरिया का क्रोमोजोम एंटीबायोटिक दवा के प्रोटीन मॉलिक्यूल्स का तोड़ निकालने लगता है और उनके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है।
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, सुपरबग के इन्फेक्शन से हर साल 70 लाख लोगों की मौत होती है। इसे ग्लोबल वॉर्मिंग की तरह ही गंभीरता से लेना चाहिए।
ड्रग 300 से ज्यादा सुपरबग्स पर कारगर
फैबिमायसिन एक मैन-मेड ड्रग है, जिसका ट्रायल सबसे पहले चूहों पर किया गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि इसने चूहों में ड्रग-रेसिस्टेंट निमोनिया और यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन्स (UTIs) को ठीक किया। इस पर और रिसर्च के बाद पता चला कि यह ड्रग सुपरबग्स की 300 से ज्यादा स्ट्रेन्स को मारने में कारगर है।
ड्रग के 14 वर्जन्स बनाए गए
यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस के वैज्ञानिकों ने फैबिमायसिन के 14 वर्जन्स बनाए हैं। ये स्किन इन्फेक्शन, ब्लड पॉइजनिंग और टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम जैसी स्थितियां पैदा करने वाले सुपरबग्स का खात्मा करने में मदद कर सकते हैं।
इन वर्जन्स को चूहों में 10 अलग-अलग बैक्टीरिया पर ट्राय किया गया। इसमें ई कोली नाम का बैक्टीरिया भी था, जो UTI का कारण बनता है। इसके अलावा के. निमोनिया बैक्टीरिया पर भी फैबिमायसिन की जांच हुई, जो फेफड़ों में संक्रमण और निमोनिया की वजह बनता है।
बढ़ रहा सुपरबग्स का खतरा
अमेरिकी हेल्थ एजेंसी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की मानें तो देश में एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट से हर साल 28 लाख इन्फेक्शन्स होते हैं। इसमें से करीब 34,000 लोगों की जान जाती है। वहीं, इंग्लैंड में सुपरबग्स से सालाना 61,000 लोग प्रभावित होते हैं।